लापरवाही पर झाड़ू के बाद अब लीपापोती में जुटे अफसर
चुनाव से पहले लुधियाना में ताबड़तोड़ सड़कों का निर्माण किया गया। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले एक साल में नगर निगम लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट व ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथारिटी के जरिए सड़कों का निर्माण किया गया। अफसरों की लापरवाही के कारण ठेकेदारों ने सड़कों के निर्माण मानकों के हिसाब से नहीं किया। जनवरी के पहले सप्ताह में हुई बारिश से ही ज्यादातर सड़कें बिखरने लगी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : चुनाव से पहले लुधियाना में ताबड़तोड़ सड़कों का निर्माण किया गया। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले एक साल में नगर निगम, लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट व ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथारिटी के जरिए सड़कों का निर्माण किया गया। अफसरों की लापरवाही के कारण ठेकेदारों ने सड़कों के निर्माण मानकों के हिसाब से नहीं किया। जनवरी के पहले सप्ताह में हुई बारिश से ही ज्यादातर सड़कें बिखरने लगी। अपनी लापरवाही छिपाने के लिए अफसरों ने पहले सड़कों पर बिखरी बजरी को हटाने के लिए झाडू लगवाया। इसके बाद भी जब सड़क से बजरी बिखरती रही तो अफसरों ने अब उन जगहों पर तारकोल का छिड़काव करके लीपापोती शुरू कर दी। हालांकि अफसरों की यह चाल भी कामयाब नहीं हो पाई और सड़कें फिर बिखरने लगी।
नई बनी सड़कें टूटने के सबसे ज्यादा मामले जोन डी में आ रहे हैं। माडल टाउन एक्सटेंशन, माडल टाउन, माडल ग्राम, किचलू नगर, सग्गू चौक से हैबोवाल चौक की सड़क समेत कई सड़कें बारिश के कारण बिखर चुकी हैं। यह सभी सड़कें जोन डी में हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सभ्रवाल ने तो सड़कों की गुणवत्ता पर उसी समय सवाल उठाते हुए शिकायत भी कर दी थी। फिर भी किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
रोहित सभ्रवाल ने अब इस मामले की शिकायत विजिलेंस ब्यूरो को भी कर दी है। उधर नगर निगम कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल भी शहर में हुए विकास कार्यों की जांच थर्ड पार्टी जांच करवाने के लिए पत्र लिख दिए हैं। कमिश्नर साफ कर चुके हैं कि लापरवाही बरतने वाले किसी भी अफसर और ठेकेदार को बख्शा नहीं जाएगा।
अफसरों ने पहले ध्यान दिया होता तो नहीं आती ये नौबत
जोन डी में सड़कों को गुणवत्ता के हिसाब से बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर राहुल गगनेजा, एक्सईएन रमन कौशल, एसडीओ बलविदर सिंह समेत पूरी बीएंडआर ब्रांच की है। इन अफसरों ने सड़क निर्माण के समय अगर ध्यान दिया होता तो सड़कों के यह हालत नहीं होते और अब अफसरों को इसके लिए लीपापोती नहीं करनी पड़ी।