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एक्सटेंशन मिलते ही आइसोलेशन सेंटर में ड्यूटी से कतराने लगा स्टाफ

सरकार ने 31 मार्च से 31 मई तक रिटायर होने वाली स्टाफ नर्सो को 30 सितंबर तक एक्सटेंशन दे दी

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 02:38 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 02:38 AM (IST)
एक्सटेंशन मिलते ही आइसोलेशन सेंटर में ड्यूटी से कतराने लगा स्टाफ
एक्सटेंशन मिलते ही आइसोलेशन सेंटर में ड्यूटी से कतराने लगा स्टाफ

आशा मेहता, लुधियाना : कोविड-19 महामारी का दौर शुरू होते ही सरकार ने 31 मार्च से 31 मई तक रिटायर होने वाली स्टाफ नर्सो को 30 सितंबर तक एक्सटेंशन दे दी, ताकि उनके कार्यकाल का अनुभव कोरोना पीड़ित मरीजों की देखभाल और उनके इलाज में काम आ सके। मगर 25-30 साल की नौकरी का अनुभव हासिल कर चुकी कई स्टाफ नर्सो ने बीपी-शुगर होने की बात कहकर कोविड-19 के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी करने से इंकार कर दिया। मात्र 4500 से 6500 रुपये मासिक मानदेय लेने वाले वार्ड हेल्पर्स, सफाई कर्मी व स्टाफ नर्सो ने जान जोखिम में डालकर आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी दी। कम वेतन पर काम कर रहे स्टाफ में चर्चा है कि क्या सरकार ने भारी भरकम वेतन ले रही स्टाफ नर्सो को केवल दफ्तरों में बैठकर समय गुजारने के लिए ही एक्सटेंशन दी थी? कई ने तो फ्लू कॉर्नर या आइसोलेशन वार्ड की तरफ झाका तक नहीं। इस मैडम पर मेहरबानी क्यों

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सिविल अस्पताल में तैनात एक स्टाफ नर्स ऐसी हैं, जिनके खिलाफ कई बार मरीजों से पैसे लेने की शिकायत हुई, मगर आज तक कोई भी एसएमओ उस पर कार्रवाई नहीं कर पाया। जब वह लेबर रूम में तैनात थी तो एक मरीज ने लिखित शिकायत एक्टिंग मैट्रन को दी थी। इसमें कहा था कि लेबर रूम में तैनात यह स्टाफ नर्स हर मरीज से पैसे लेती है। कुछ दिन तक जाच की बात चली, फिर मामला रफा-दफा हो गया। मामला तत्कालीन एसएमओ के ध्यान में आया तो उन्होंने भी कार्रवाई नहीं की। यूजर चार्जेस पर भर्ती की यह नर्स अब फिर वार्ड में दाखिल मरीजों से पैसे लेने को लेकर चर्चा में है। वार्ड की नìसग इंचार्ज को मरीजों ने पैसे लेने की बात भी बता दी। इस बार भी अस्पताल के स्टाफ में चर्चा है कि मैडम की पहुंच बड़े अधिकारी तक है। उसी सिफारिश पर रखी गई है।

मुर्झा गए फूल और किसान

कोरोना की मार हर तरफ पड़ी है। शहरियों के अलावा गावों के लोग भी परेशान हैं। खासकर फूलों की खेती करने वाले किसानों के तो चेहरे ही मुर्झा गए हैं। इनमें किसान सुखपाल सिंह भी शामिल हैं। अपना दर्द साझा करते हुए कहते हैं कि इन दिनों में ही उनका कारोबार चमकता था। इस समय शादियों, पाíटयों का दौर होता था और फूलों की अच्छी खासी डिमाड निकलती थी। मगर इस बार कोरोना ने सब खत्म कर दिया। इतना ही नहीं, मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य धाíमक स्थलों के दरवाजे बंद होने का भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। बिक्री न होने से फूलों की खेती बर्बाद हो गई। अब तो फूलों के किसान अगले सीजन में फूलों की खेती से भी परहेज कर रहे हैं। सुखपाल ने कहा कि वह भी अब अगली बार धान की फसल लगाएंगे। कम से कम परिवार का पेट भरने के लिए गुजारा तो हो जाएगा। नेताजी को दे दिया गच्चा

शादी में अकसर फूफा नाराज हो जाते हैं यह कहावत तो आपने सुनी होगी। शहर के चंडीगढ़ रोड पर स्थित सबसे पॉश इलाके के एक नेता जी हमेशा उद्घाटन करने की उत्सुकता के लिए चर्चा में रहते हैं। कोविड-19 के दौरान इलाके के एक पार्क में युवाओं ने बेडमिंटन का कोर्ट बना डाला ताकि बच्चों के साथ-साथ बड़े भी यहा पर फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाकर बेडमिंटन खेल सकें। ऐसे में सारा काम होने के बाद युवाओं को याद आया कि यह काम तो कर लिया है। अब कहीं नेता जी उनसे उद्घाटन न करवाने के गुस्से में कोर्ट ही न तुड़वा दें। ऐसे में बेडमिंटन कोर्ट बनाने के बाद सबसे अहम चर्चा इस बात की रही कि उद्घाटन वाले नेता जी का क्या किया जाए। फिर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि नेता जी को कहा जाएगा कि कोरोना के चलते इकट्ठ नहीं कर सकते थे, इसलिए उद्घाटन को टालना पड़ा।


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