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जो कुछ मिला है, उसी में संतुष्ट रहें नहीं तो वो भी हाथ से चला जाएगा

शहरी जीवन पर आधारित मध्यम वर्गीय परिवार की स्थिति को दिखाते 'अधे-अधूरे' नाटक का मंचन मंगलवार को पंजाब कला उत्सव के दूसरे दिन पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में किया गया। 'द व‌र्ल्ड थिएटर' की तरफ से पेश इस नाटक का निर्देशन पावेल संधू ने किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 06:30 AM (IST)
जो कुछ मिला है, उसी में संतुष्ट रहें नहीं तो वो भी हाथ से चला जाएगा
जो कुछ मिला है, उसी में संतुष्ट रहें नहीं तो वो भी हाथ से चला जाएगा

जासं, लुधियाना : शहरी जीवन पर आधारित मध्यम वर्गीय परिवार की स्थिति को दिखाते 'अधे-अधूरे' नाटक का मंचन मंगलवार को पंजाब कला उत्सव के दूसरे दिन पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में किया गया। 'द व‌र्ल्ड थिएटर' की तरफ से पेश इस नाटक का निर्देशन पावेल संधू ने किया।

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करीब पचास वर्ष पहले लिखे गए इस नाटक की कहानी एक मध्यम वर्गीय परिवार के इर्दगिर्द घूमती है। सावित्री और महेन्द्रनाथ इस नाटक के मुख्य पात्र होते हैं। इन दोनों की दो बेटियां विन्नी व किन्नी और एक बेटा अशोक होता है। सावित्री पहले तो एक सीधी-सादी गृहिणी के रूप में महेंद्रनाथ के साथ विवाहित जीवन बिताती है। विवाह के कुछ सालों में महेंद्रनाथ के बिजनेस में घाटा होने लगता है। वह जीवन से हारकर घर में बेकार बैठ जाता है। इसके बाद सावित्री अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नौकरी करने लगती है।

शाम को जब वह नौकरी से वापस आती है तो घर में यहां-वहां सामान बिखरा होता है। यह देखकर सावित्री पति व बच्चों को डांटती है। पर किसी पर भी सावित्री की बातों का असर नहीं पड़ता। इस दौरान सावित्री में स्वावलंबनता की भावना, स्वतंत्र अस्तित्व के विचार तथा महत्वाकाक्षाएं जगने लगती हैं। इस वजह से पति-पत्नी में झगड़ा शुरू हो जाता है। पति-पत्नी के विचारों में अलगाव व रिश्तों में खटास आने का असर तीनों बच्चों पर भी पड़ता है। बड़ी बेटी विन्नी घर से भाग कर शादी कर लेती है।

छोटी बेटी किन्नी भी गलत राह पर चलने लगती है। इसके बारे में जब भाई अशोक को पता लगता है तो वह उसे पीटता है। वह उच्च वर्गीय औरतों की तरह जीवन में बहुत कुछ प्राप्त करना चाहती है। ऐसे में वह अनेक पुरुषों के संपर्क में आती है। हर पुरुष में वह अधूरापन पाती है। सावित्री आधुनिक सुशिक्षित नारी होने के बावजूद भी अपनी पति की कमियों को ही देखती रही। वह यह भूल जाती है कि वह खुद भी अपरिपूर्ण है। नाटक ने संदेश दिया कि जो कुछ मिला है, उसी में संतुष्ट रहिए अन्यथा जो है वह भी हाथ से चला जाएगा। इन कालाकारों ने निभाया रोल

नाटक में व्यंग्य संवादों का प्रयोग किया गया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। नाटक में सुदेश विंकल ने मोहिंद्रनाथ, काजल शर्मा ने सावित्री, घाजल जट्टू ने बिन्नी, सरिता ने किन्नी, नवीन शर्मा ने अशोक का किरदार निभाया। म्यूजिक हरिंदर सोहल ने दिया। मेकअप की जिम्मेदारी जसमेल सिंह व लाइटिंग की वरूण पटेल ने संभाली। आज होगा नाटक 'मैट्रीमोनियल' का मंचन

पंजाब कला उत्सव के तहत मंगलवार को पीएयू में 26 सितंबर को नाटक 'मैट्रीमोनियल' का मंचन होगा। यह नाटक रूपक कलां व वेलफेयर चंडीगढ़ द्वारा मंचित किया जाएगा। नाटक शाम 5 बजे से आरंभ होगा। इसके अलावा 27 सितंबर को नाटक 'सौदागर' व 28 सितंबर को 'खुदखुशियों' का मंचन होगा।


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