तीन साल में 40 केस दर्ज; 25 लोग गिरफ्तार, किसी भी आरोपित को नहीं हुई सजा
इंसान व परिंदों के लिए जानलेवा साबित हो रही ड्रैगन डोर को लेकर स्थानीय पुलिस पिछले तीन साल में अब तक 40 के करीब केस दर्ज कर चुकी है।
लुधियाना, [राजन कैंथ]। इंसान व परिंदों के लिए जानलेवा साबित हो रही ड्रैगन डोर को लेकर स्थानीय पुलिस पिछले तीन साल में अब तक 40 के करीब केस दर्ज कर चुकी है। इनमें से 25 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। पुलिस अब तक चाइना डोर के सैकड़ों गट्टू कब्जे में भी ले चुकी है। मगर कानून में ढील का फायदा उठाकर आरोपित आसानी से जमानत पर छूटते रहे। आज तक किसी आरोपित को इन मामलों में सजा नहीं हुई है। बता दें कि प्लास्टिक डोर के साथ पकड़े गए आरोपित के खिलाफ धारा 188 के तहत केस दर्ज किया जाता है। पुलिस कमिश्नर उसी धारा के तहत ड्रैगन डोर की बिक्री पर पाबंदी लगाते हैं। उनके आदेश की अवहेलना के आरोप में पकड़ा गया आरोपित थाने से ही जमानत लेकर छूट जाता है। पर यदि ड्रैगन डोर की चपेट में आने से कोई व्यक्ति घायल हो या किसी की मौत हो जाए तो उस मामले में उसी के अनुसार धारा लगाई जाती है।
कानून में संशोधन की सख्त जरूरत
सीनियर एडवोकेट रमेश लखनपाल का कहना है कि मौजूदा कानून के अनुसार फिलहाल यही प्रावधान है। 144 के तहत किए जाने वाले वॉयलेशन में 188 के तहत केस दर्ज किया जाता है। जिस तरह झपटमारी की वारदातें बढ़ने पर उससे निपटने के लिए कानून में संशोधन किया गया। उसमें न्यूनतम पांच साल की सजा का प्रावधान रख दिया गया। उसी प्रकार ड्रैगन डोर को बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है ताकि आरोपित की थाने में जमानत भी न हो सके।
कपड़ा व्यापारी की हुई थी मौत, अज्ञात पर दर्ज हुआ था हत्या का केस
खन्ना के ललहेड़ी रोड के दिलीप सिंह नगर निवासी कपड़ा व्यापारी रजनीश कुमार (40) की 20 फरवरी 2016 को डोर से गला कटने पर मौत हो गई थी। तब यह मामला काफी सुर्खियों में भी रहा। रेलवे ओवरब्रिज से गुजरते समय चाइनीज डोर ने रजनीश का गला रेत दिया था। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के आरोप में केस दर्ज किया था। मगर आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
एसएचओ समेत 5 पुलिस कर्मी कर दिए गए थे लाइन हाजिर
व्यापारी की मौत के मामले में तत्कालीन एसएसपी खन्ना ने तब डीएसपी खन्ना रहे राजकुमार जल्होत्रा को मामले की जांच सौंपी। रिपोर्ट में जल्होत्रा ने मामले में थाना सिटी एसएचओ अश्वनी कुमार, एएसआइ बलदेव राज, प्रमोद राज, सुखविंदर सिंह सिंह समेत पांच लोगों की लापरवाही बताया। उनका कहना था कि पुलिस की लापरवाही से शहर में ड्रैगन डोर बिकती रही। तब पांचों को लाइन हाजिर कर उनके खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की थी।
परिवार को हाईकोर्ट ने आदेश पर मिला 4 लाख रुपये मुआवजा
एसएसपी की ओर से उस समय पांचों पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया, मगर उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं हुआ। पीड़ित परिवार हाईकोर्ट में गया तो कोर्ट के आदेश पर सरकार ने चार लाख रुपये मुआवजा दिया। विधायक गुरकीरत सिंह कोटली ने मामले को विधानसभा में उठाया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी परिवार को एक लाख रुपये मुआवजा भेजा। मगर सरकार द्वारा मृतक की पत्नी नेहा शर्मा को सरकारी नौकरी का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ।