पंजाब में पराली जलाने से रोकेंगे 30 हजार एनएसएस वालंटियर, खेती से संबंधित बैकग्राउंड वाले युवाओं को किया शामिल
पजाब में पराली जलाने के मामलों में साल 2019 में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। बढ़ रहे मामलों को कम करने के मकसद से पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने सीजन के शुरू से ही किसानों को पराली जलाने से रोकने के इरादे से अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं।
पटियाल [गौरव सूद]। पंजाब में धान की रोपाई शुरू हो चुकी है और धान की पराली का निपटारा हर वर्ष गंभीर मुद्दा रहा है। पराली जलाने के मामलों में जहां साल 2019 में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, वहीं बढ़ रहे मामलों को कम करने के मकसद से पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) ने भी सीजन के शुरू से ही किसानों को पराली जलाने से रोकने के इरादे से अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके तहत पीपीसीबी ने चार हजार एकड़ पर पराली को जलने से रोकने का लक्ष्य तय किया है, जोकि पिछले साल 400 एकड़ था। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पीपीसीबी ने राज्य भर में करीब 30 हजार एनएसएस वालंटियर्स के जरिए हर गांव के हर किसान तक पहुंच करने की योजना बनाई है। यह एनएसएस वालंटियर गांवों और खेती से संबंधित होंगे जो किसानों के घर तक पहुंच करके जहां पराली जलाने से होने वाले नुक्सान संबंधी जागरूक करेंगे, वहीं पराली न जलाकर इसके निपटारे के अन्य विकल्प भी किसानों को समझाएंगे। पीपीसीबी ने खेती से संबंधित बैकग्राउंड वाले वालंटियर्स को प्राथमिकता के आधार पर इस मुहिम में शामिल किया है।
बता दें कि इससे पहले जिला प्रशासन और कृषि विभाग की ओर से किसानों को जागरूक किया जाता रहा है। जिसके कोई खास बेहतर नतीजे सामने नहीं आए। जिसके चलते पीपीसीबी ने साल 2018 में पंजाबी यूनिवर्सिटी के एनएसएस वालंटियर्स के जरिए लुधियाना, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और रोपड़ में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था, जिसके तहत सार्थक नतीजे सामने आए थे और कुल रकबे के मुकाबले करीब 15 प्रतिशत कम पराली जलाई गई थी। पटियाला जिले के बरसट निवासी एनएसएस वालंटियर भरपूर सिंह ने बताया कि पहले उन्होंने खुद माहिरों की सलाह से अपने खेत में पराली का निपटारा किया। जिसके अच्छे नतीजे सामने आने के बाद अपने तजुर्बे किसानों के साथ साझा किए और इसी कारण किसानों को पराली न जलाने के लिए मनाया।
ऐसे काम करते हैं वालंटियर
पचास दिन तक किसान के साथ रहकर तैयार करते हैं रिपोर्ट
इन वालंटियर्स का सबसे पहला काम किसान को पराली न जलाने के लिए मनाना है। किसान के राजी होने के बाद करीब 40 से 50 दिन तक वालंटियर किसान के निरंतर संपर्क में रहते हैं। इस दौरान जहां किसान को पराली के अलावा अन्य विकल्प से निपटारे संबंधी माहिरों से चर्चा करके हर जानकारी मुहैया करवाते हैं, वहीं फसल और अन्य पहलुओं पर पचास दिन बाद अपनी रिपोर्ट पीपीसीबी के पास जमा करवाते हैं।
एनएसएस वालंटियर्स के जरिए राज्य के 12,758 गांवों में हर किसान तक पहुंचने की कोशिश है। पिछले कुछ वर्षों में चार जिलों में इसका ट्रायल हो चुका है। जिसके चलते अब राज्य भर में इसे लागू किया जा रहा है। इससे जहां किसानों को माहिरों की सलाह मिलेगी, वहीं पराली से निपटारे में पीपीसीबी किसानों की हरसंभव मदद करेगा।
प्रो. सतिंगर सिंह मरवाहा, चेयरमैन, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड।