इस शहर के लोग पानी के नाम पर पी रहे 'जहर', जांच में 191 सैंपल फेल Ludhiana News
पानी के सैंपलों के फेल होने और सैंपलों में क्लोरीन की मात्रा न पाएं जाने की रिपोर्ट नगर निगम कमिश्नर को भेजी जा चुकी है। इसके अलावा डीसी प्रदीप अग्रवाल को भी बता दिया गया है।
लुधियाना, [आशा मेहता]। शहर में पेयजल व्यवस्था के हालात ऐसे हैं कि नगर निगम द्वारा सप्लाई किए जा रहे जल को पीने से पहले लोगों को सोचना पड़ता है। कारण नगर निगम की ओर से सप्लाई किए जा रहे पानी का अशुद्ध होना है। हर साल शहर में दूषित पेयजल की वजह से डायरिया व गैस्ट्रो का प्रकोप छाया रहता है। इसके बाद भी निगम इस समस्या को दूर करने को लेकर गंभीर नहीं है। इस साल भी निगम की लापरवाही हजारों लोगों के जीवन पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि सेहत विभाग द्वारा 'हाई रिस्क' एरिया से लिए गए पानी के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं।
विभाग की जांच में हाई रिस्क एरिया ढंडारी कलां, शेरपुर, सम्राट कॉलोनी, मक्कड़ कॉलोनी, ग्यासपुरा, शांति कॉलोनी, संधू नगर, नानक नगर, जवद्दी खुर्द, सहोली, सिहोड़ा, जीवन नगर, सुनेत, गीता कॉलोनी व भारती कॉलोनी सहित कई इलाकों का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया। विभाग ने जनवरी से जुलाई तक कुल 629 सैंपल भरे थे। इनमें से 191 सैंपल का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया।
हर साल हाई रिस्क एरिया में फैलती है बीमारी
हाई रिस्क एरिया में पिछले पांच सालों से दूषित पेयजल की वजह से बीमारियां फैलती हैं। 2015 में इन इलाकों में डायरिया, हैजा व गैस्ट्रो से 670 लोग बीमार हुए, जबकि एक की मौत हुई थी। 2017 में 1384 लोग प्रभावित हुए और एक की मौत हुई। 2018 में 210 लोग बीमार हुए। जबकि एक को जान चली गई।
नगर निगम नहीं कर रहा क्लोरीनेशन
बता दें कि सेहत विभाग की जांच में हर साल इस एरिया के पानी के सैंपल फेल होते हैं। विभाग की ओर से इस साल क्लोरीनेशन की जांच के लिए 107 ट्यूबवेलों से पानी के सैंपल लिए थे। इसमें से सौ सैंपलों में क्लोरीन की मात्रा नहीं पाई गई। इससे साफ है कि नगर निगम क्लोरीनेशन नहीं कर रहा है।
अवैध कनेक्शनों से फैलती है बीमारियां
बीमारी फैलने की सबसे बड़ी वजह इन कॉलोनियों में अवैध वाटर कनेक्शन का होना है। लोग कहीं से भी गैर कानूनी तरीके से वाटर सप्लाई पाइप से पानी का कनेक्शन ले लेते हैं। इससे पानी में मिलावट होती है। जबकि दूसरी वजह हाई रिस्क एरिया में घटिया ड्रेनेज सिस्टम है। वहीं तीसरी बड़ी वजह वेहड़े हैं। अधिकारियों के अनुसार इन इलाकों में बड़ी संख्या में वेहड़े हैं। जहां सफाई व पेयजल व्यवस्था का बिलकुल भी प्रबंध नहीं है।
नगर निगम कमिश्नर को भेजी गई है रिपोर्ट
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बग्गा का कहना है कि हमारा विभाग लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए सैंपल लेकर पानी की जांच करवाता हैं। इसके बाद इसकी रिपोर्ट निगम को भेज देते हैं। पानी के सैंपलों के फेल होने और सैंपलों में क्लोरीन की मात्रा न पाएं जाने की रिपोर्ट नगर निगम कमिश्नर को भेजी जा चुकी है। इसके अलावा डीसी प्रदीप अग्रवाल को भी बता दिया गया है।
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