सात साल पहले शुरू किया था 15 करोड़ का ग्रीन ब्रिज प्रोजेक्ट, लापरवाह अफसरों ने फेरा पानी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फंड से बुड्ढा दरिया को साफ करने के लिए 15 करोड़ रुपये की लागत से ग्रीन ब्रिज टेक्नोलाजी का इस्तेमाल किया गया।
राजेश भट्ट, लुधियाना : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फंड से बुड्ढा दरिया को साफ करने के लिए 15 करोड़ रुपये की लागत से ग्रीन ब्रिज टेक्नोलाजी का इस्तेमाल किया गया। इसके लिए दरिया में करीब सात साल पहले पांच जगह ग्रीन ब्रिज बनाए गए। अब यह ब्रिज अब पूरी तरह से असरहीन हो चुके हैं और इनको बनाने में खर्च किए गए करोड़ों रुपये बुड्ढा दरिया के पानी में घुल गए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मानिटरिग कमेटी के चेयरमैन जस्टिस जसबीर सिंह ने इसके लिए नगर निगम के लापरवाह अफसरों को जिम्मेदार मानते हैं। लुधियाना दौरे के दौरान उन्होंने निगम कमिश्नर व डीसी को साफ कह दिया कि पूर्व के लापरवाह अफसरों ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 15 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए। उन्होंने कमिश्नर को आदेश दिए कि ग्रीन ब्रिज प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करें और उन्होंने इसके लिए निगम को 31 जुलाई 2021 तक का वक्त दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह अपने अफसरों को लेकर जालंधर व भादसों में लगे प्लांट देखने जाएं और उसके हिसाब से यहां उसकी मानिटरिग करें।
जस्टिस जसबीर सिंह ने कहा कि इस टेक्नोलाजी को मेंटेन करने में हर साल पांच से छह लाख रुपये का खर्च था, लेकिन निगम के अफसरों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया और अब यह ब्रिज पूरी तरह से बेकार हो चुके हैं। इस तकनीक में जो वैक्टिरिया पानी में छोड़े जाते है,ं वह पानी में वायरस व वैक्टिरिया को कम कर देते हैं। इससे पानी का बीओडी लेवल कम हो जाता है। उन्होंने निगम कमिश्नर को कहा कि सभी पांच ब्रिज को दोबारा शुरू करवाया जाए । कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल ने एसई रविदर गर्ग को शनिवार को ही जालंधर जाकर जानकारी लेने के आदेश दिए हैं।
बाबू राम जी, मीटर 40 बीओडी दिखा रहा है, जज साहब 250 से कम नहीं है मीटर गलत है
एनजीटी की कमेटी जैनपुर में पीपीसीबी के रियल टाइम मानिटरिग सिस्टम का जायजा लेने पहुंची। कमेटी के चेयरमैन मीटर वाले रूम में गए और बाक्स खोल दिया। वहां से उन्होंने आवाज लगाई कि बाबू राम जी मीटर दरिया के पानी का बीओडी लेवल 40 बता रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञ व कमेटी के सदस्य बाबू राम ने कह दिया कि जज साहब बीओडी 250 से कम नहीं है, इनका मीटर ही लगता है। जिस पर जस्टिस जसबीर सिंह ने संत बलबीर सिंह सींचेवाल को कह दिया कि बाबा जी आप अपनी राय दो। संत सींचेवाल ने कह दिया कि इसके सैंपल भरकर चेक कर लो। अगर मानिटरिग मीटर गलत साबित होता है तो पीपीसीबी पर भी कार्रवाई की सिफारिश की जाए, जिसके बाद वहां पर दरिया के पानी के सैंपल लिए।