महिलाओं को रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बना रहीं सुरिंदर
कपूरथला की सुरिंदर कौर महिलाओं को अत्मनिर्भर बना रही है।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला गरीबी व आर्थिक तंगी से जूझ रही महिलाओं की दशा को बदलने का जज्बा लिए एक महिला ने परिवार के विरोध के बावजूद हिम्मत दिखाई तो वह फिर ना सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बन गई बल्कि अपने जज्बे से करीब 255 परिवारों को रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने में सफल हुई है। विरासती शहर के बकरखाना की रहने वाली सुरिदर कौर पति के विरोध के बावजूद अपने दोनों बेटों की मदद से उत्पीड़न का शिकार महिलाओं की भलाई में जुटी है।
13 साल से समाजसेवा में जुटी सुरिदर कौर लगभग ढाई सौ महिलाओं को मामूली ब्याज दर पर लगभग एक करोड़ नौ लाख रुपये का लोन दिला चुकी है। लोन की बदौलत कई महिलाओं ने ब्यूटी पार्लर व सिलाई कढ़ाई का काम शुरू किया। कई महिलाओं ने अपने पति के लिए सब्जी की रेहड़ी व दुकान का काम शुरू करवाया। अब इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर है। सुरिदर कौर हालाकि पूरी तरह अनपढ़ है जिसे गरीबी की वजह से एक भी दिन स्कूल जाने का मौका नही मिला लेकिन पैरों पर खड़ा होने की ललक और महिला अत्याचार के खिलाफ जूझने के जनून को पति का विरोध के बावजूद रोक नही सकी।
नौ साल पहले महिलाओं का ग्रुप बनाकर स्वरोजगार के लिए किया प्रेरित
लगभग नौ साल पहले सुरिंदर कौर ने कुछ महिलाओं का एक ग्रुप बनाया और उन्हें स्वरोजगार अपना कर आत्म निर्भर होने का मंत्र दिया। कारोबार शुरू करने के लिए सवाल पैसे का उठा। इसके पश्चात सुरिंदर कौर केंद्र सरकार की मदद से चलने वाली कुछ कंपनियां के अधिकारियों के संपर्क में आई जिनके पास बेहद मामूली दर पर बेरोजगार महिलाओं को कर्ज देने की योजना थी। सुरिदर ने अपनी गारंटी पर पहले पांच महिलाओं को 15-15 हजार का लोन दिलाया जिसकी मदद से उनके पतियों में किसी ने रिक्शा खरीदा, किसी ने करियाना, किसी ने चाय तो किसी ने हलवाई की दुकान शुरू कर दी। कुछ दिनों में इन लोगों के आर्थिक हालात बेहतर हो गए। इसके बाद कई महिलाएं सुरिदर के पास आई और लोन दिलाने का सिलसिला चलता गया। इस समय सुरिदर ने लगभग 255 महिलाओं को एक करोड़ नौ लाख से अधिक का लोन दिलाया और पूरा लोन बिना कोई चीज गिरवी रखे सिर्फ सुरिंदर की गारंटी पर दिया गया। हैरानी की बात है कि उसका एक भी केस डिफाल्टर नही है।
सुरिदर कौर इस समय शहर के बक्करखाना, नामदेव कालोनी, महिताबगढ़, नूरपुर जट्टा आदि में कई सेल्फ ग्रुप चल रही है जिनमें शामिल महिलाओं ने कर्ज लेकर अपने पतियों को रोजगार मुहैया करवाया है। बकरखाना की जीती ने लोन लेकर अपने पति को फर्नीचर दुकान शुरू करवाई जिसकी सप्लाई आज वह जिले के कई गांवों में कर रहा है। सुंदर नगर की मनमीत का पति अवतार राज मिस्त्री है उसने सभी औजार अब अपने खरीद लिए है जबकि पहले वह किराए पर लेता था। सुरजीत कौर ने सिलाई का काम शुरू किया है। पूनम रानी ने लोन लेकर अपने पति को हलवाई की दुकान बना कर दी है। अमनदीप कौर के पति मनदीप ने बकरखाना में चाय की दुकान लगानी आरंभ की है।
कई परिवारों को संतुष्ट देख कर सुरिदर कौर कहती है कि जिन घरों में कभी दो वक्त का चूल्हा नही जलता था उनके घर आज रोशनियों से जगमगाते देख उसे बेहद सकून मिलता है।