प्रशासन की व्यवस्था में खोट, गुरु बना रहे वोट
सरकारी स्कूलों की शिक्षा की का हाल बेहाल है।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला सरकारी स्कूलों की शिक्षा की तो पहले ही हाल बेहाल है और उस पर सरकार द्वारा शिक्षिकों की ड्यूटी वोटे में लगाए जाने की वजह से जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई बेहद प्रभावित हो रही है। जिले में कुल 748 पोलिंग बूथ है और हर बूथ पर एक बीएलओ की ड्यूटी लगाई गई है जिनमें 60 फीसदी शिक्षिक यह सेवाएं निभा रहे है। इसके चलते सरकारी स्कूलों के बच्चों पढ़ाई से महरुम है। कई स्कूलों में तो एक ही अध्यापक के कंधों पर पूरे स्कूल के बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी है, जिससे पढ़ाई तो काफी दूर की बात हो रही है।
हालाकि इस संबंध में शिक्षा सचिव द्वारा जिले के सभी डिप्टी कमिशनरों को पत्र लिख कर वोट बनाने के कायरें में शिक्षिकों को लगाने की मनाही करते हुए उन्हें इस ड्यूटी से फारग कर पढ़ाई के काम में लगाने की हिदायत की है लेकिन जिला प्रशासन के पास दूसरे विभागों के इतने कर्मचारी ही संभव नही है, जिन्हें वोट बनाने के काम में लगाया जा सके। इसके बावजूद जिला प्रशासन व्यकलपिक व्यवस्था में जुटा है लेकिन इतनी जल्दी दूसरे स्टाफ को लगा पाना व्यहारिक तौर पर संभव नही है। शिक्षा सचिव के इस फैसले से अध्यापक वर्ग व अभिभावक काफी खुश है लेकिन उधर पंजाब सरकार की तरफ से वोटों के कार्यो को प्राथमिक्ता के तौर पर लेने के फरमान भी अधिकारियों के कंधों पर तलवार की तरह लटक रहा है। ऐसे में सरकारी स्कूलों के बच्चों व अध्यापकों के लिए काफी विचित्र स्थित बनी हुई है।
जिले में इस समय कुल 768 पोलिंग बूथ है और इन बूथों पर लगभग 400 अध्यापक वोटें बनाने के लिए घर घर दस्तक दे रहे है। इससे पहले जिले में 29 अप्रैल 2019 तक कुल 6 लाख 10 हजार 294 वोटर है जिनमें 3 लाख 18 हजार 805 वोटर है जबकि 2 लाख 91 हजार 457 महिला वोटरों की संख्या है। अब नए सिरे से वोट बनने का कार्य चल रहा है जिसमें कुछ युवा वोटर जुड़ेगे। फगवाड़ा हलके में सबसे अधिक कुल 220 पोलिंग बूथ है जबकि भलत्थ हलके में सबसे कम 174 बूथ है। कपूरथला हलके में 184 और सुल्तानपुर लोधी में 190 पोलिंग बूथों में अधिकाश पर वोट बनाने की जिम्मेदारी शिक्षिक वर्ग को सौपी गई है।
इस संबंध में शिक्षिक नेता सेवा मु्कत सुखदेव सिंह सिद्धू का कहना है कि पंजाब सरकार शिक्षा विभाग का बेड़ा गर्क करने पर तुली है। शिक्षिकों को शैक्षिक कायरें के अलावा अन्य कार्य नही लेने चाहिए, तभी वह अच्छे रिजलट दे सकते है लेकिन सरकार शिक्षिकों की ड्यूटी कभी वोट बनाने, कभी जनगणना करने और कभी अन्य कायरें में लगा देती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई राम भरोसे हो जाता है। सिद्धू ने कहा कि पहले ही स्कूलों में अध्यापकों के आधे से ज्याद पद खाली पड़े है और ऐसे में शिक्षिकों की गैर शैक्षिक कायरें में ड्यूटी लगाने से बच्चों की पढ़ाई का बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। इस संबंध में एडीसी राहुल चाबा ने बताया कि इस मामले को लेकर शिक्षा से आदेश आ चुके है और हमने नान टीचग स्टाफ को इस कार्य में लगाने की प्रक्त्रिया शुरु कर दी है और जल्द ही शिक्षिकों की जगह नान टीचिंग स्टाफ ले लेगा ताकि चुनाव आयोग का कार्य भी प्रभावित ना हो और बच्चों की पढ़ाई के नुकसान से भी बचा जा सके।