सीचेवाल ने संगत को बंदी छोड़ दिवस व दीपावली की बधाई दी
पर्यावरण प्रेमी पद्म श्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने देश विदेश में रहती गुरू प्यारी संगत को बंदी छोड़ दिवस और दीपावली की बधाई दी
संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी :
पर्यावरण प्रेमी पद्म श्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने देश विदेश में रहती गुरू प्यारी संगत को बंदी छोड़ दिवस और दीपावली की बधाई देते हुए कहा कि खुशियों के इन त्योहारों में आज के समय दौरान पड़ी नयी प्रवृत्ति करोड़ों रुपये खर्च कर पटाखे चलाने ने कुदरत का बहुत विनाश किया। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपए ़खर्चने की बजाय हम एक वृक्ष लगाएं और उन्होंने रुपया को •ारूरतमंदों को देकर हरेक के भले का कार्य करके •ारूरतमंदों का आशीर्वाद लेकर इन पैसों का अधिक लाभ लिया जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दों में यदि किसी का सब से बड़ा सहयोग है। तो वह प्रदूषण का ही है। जो त्योहार को हम खुशियां और रोशनियों का त्योहार समझते था। आज के समाज में वह त्योहार सि़र्फ पटाखों और शोर शराबे तक ही सीमित रह गया है।
उन्होंने बताया कि इस दिन सिखों के छठवें गुरु श्री गुरु हरिगोबिन्द सिंह जी ग्वालियर के किले से 52 राजाओं समेत रिहा करवाकर अमृतसर आए थे। उसकी खुशी में लोगों की तरफ से दीपमाला की गई थी। सिक्ख धर्म में इस त्योहार को बंदी छोड़ के रूप में मनाया जाता है।
इसी दिन भगवान श्री राम चंद्र जी 14 सालों का बनवास काट वापिस अयोध्या आए उनके वापिस आने की ़खुशी में भी अयोध्या निवासी ने दीपमाला की थी। इन से से सीध लेती संत सीचेवाल ने कहा कि हमारे द्वारा की गलतियों का सुधार करते हुए हमें यह त्योहार खुशियां और रोशनियों के त्योहार के तौर पर मनाना चाहिए। संगत से अपील कि वह इस बार हरी दीवाली मनाने और एक प्रदूषण रहित समाज बनाने, अपने बच्चों का भविष्य बचाने और अधिक से अधिक पौधे लगाने और गुरू नानक देव जी की तरफ के दिए 'पवनु गुरु पानी पिता माता धरती महतु ' को अपने जीवन का हिस्सा बना कर कुदरत के साथ सांझ पहनने।