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संत सींचेवाल का यह स्‍कूल है बेहद खास, नई उड़ान के लिए यूं तैयार किए जाते हैं नौनिहाल

पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने नए पीढ़ी को जिंदगी की नई उड़ान के लिए हर तरह से सक्षम बनाने के लिए कदम बढ़ाया है। संत सीचेवाल का खास स्‍कूल बच्‍चों को जीवन के लिए तैयार करेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 11:20 AM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 11:20 AM (IST)
संत सींचेवाल का यह स्‍कूल है बेहद खास, नई उड़ान के लिए यूं तैयार किए जाते हैं नौनिहाल
संत सींचेवाल का यह स्‍कूल है बेहद खास, नई उड़ान के लिए यूं तैयार किए जाते हैं नौनिहाल

कपूरथला, [हरनेक सिंह जैनपुरी]। पर्यावरण रक्षक पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अब नई पीढ़ी को जिंदगी की नई उड़ान के लिए तैयार करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए उन्‍होंने खास स्‍कूल खोला है। यह फ्री डिजिटल स्कूल बनाने का उनका सपना काफी पुराना था। इस स्‍कूल में बच्‍चों को जीवन के हर पहलू के लिए तैयार किया जाएगा। एक पेड़ के नीचे तीन बच्‍चों संग शुरू हुआ शिक्षा का यह सफर आज स्‍मार्ट स्‍कूल तक पहुंचा है तो संत सीचेवाल की आंखों में खास चमक है।

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संगत एवं एनआरआइ के सहयोग से बना डिजिटल स्‍कूल, ढाई करोड़ आई लागत

पंजाब के शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार गांव सीचेवाल में इस फ्री डिजिटल स्कूल का शुभारंभ करेंगे। पहले से ही चल रहे स्कूल को अपग्रेड किया गया है। इसमें गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिल रही है। बच्‍चे स्कूल में स्थापित अंतरराष्ट्रीय स्तर के एस्ट्रोटर्फ युक्त मैदान में हॉकी सीख देश का प्रतिनिधित्व करने का गौरव भी हासिल कर सकेंगे। बच्चे यहॉ स्मार्ट क्लासों में पढ़ाई के बाद खास गद्दों से युक्‍त रेसलिंग हॉल में कुश्‍ती की कोचिंग भी प्राप्त कर सकेंगे।

वर्ष 2004 में देखा था स्मार्ट स्कूल का सपना,तीन बच्‍चों के साथ पेड़ के नीचे शुरू हुआ था शिक्षा का खास सफर

संत सीचेवाल ने वर्ष 2004 में काली बेई के किनारे एक पेड के नीचे तीन बच्चों से गरीबों को मुफ्त शिक्षा मुहैया करवाने की शुरुआत की थी। इस स्कूल में 65 फीसद बच्चे गरीब परिवारों के हैं और इनको शिक्षा मुफ्त मिलती है। 35 फीसद बच्चे समान्य घरों के हैं, जिनसे मामूली फीस ली जाती है, ताकि स्कूल का कुछ खर्च निकल सके।

35 आधुनिक क्लास रूम, गरीब बच्चो के लिए स्मार्ट कलास, कंप्यूटर लैब व एस्ट्रोटर्फ युक्त हॉकी मैदान

इस स्कूल में 35 आधुनिक क्लास रूम हैं। इनमें आधुनिक प्रोजेक्टर हैं। स्कूल में 100 कंप्यूटरों वाली चार लैब बनाई गई हैं।  स्कूल के करीब 700 बच्चों के लिए एस्ट्रोटर्फ युक्त हॉकी का मैदान, रेसलिंग के लिए गद्दे लगाए गए हैं। एथलेटिक के लिए ट्रैक बनाया गया है। विभिन्न खेलों में बच्चों को दक्ष करने के लिए अलग -अलग खेलों के माहिर कोच ट्रेनिग दे रहे हैं। नौकायन और गतका की ट्रेनिग देने के साथ साथ बच्चों का दक्षता विकास भी करवाया जा रहा है।

हर बच्चा शिक्षा और खेल में बढ़े आगे: सीचेवाल

संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया है कि उनकी कोशिश है कि गरीबी के कारण कोई भी बच्चा काबिलियत होने के बावजूद पढ़ाई और खेलों से वंचित नहीं रहे। इस मकसद से लोगों की मदद से यह स्कूल बनाया गया है। इसमें पढ़ाई और खेलों में रुचि वाले बच्चों के लिए फीस व पैसे की कोई बंदिश नहीं है। उनको आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता भी की जाती है। स्कूल के बच्चे पर्यावरण के प्रति सजग हैं। खुद पौधे तैयार करते हैं। गुरबाणी और कविश्री गाना सीख रहे हैं।



स्कूल के बच्चों की होती है अच्छी प्लेसमेंट भी: बोपाराय

स्कूल कमेटी से जुड़े गुरविंदर सिंह बोपाराय ने बताया कि यह देश का पहला मुफ्त डिजिटल स्कूल है। इसका सारा खर्च इलाके की संगत व एनआरआइ उठा रहे हैं। इस स्कूल से शिक्षा हासिल करने वाले बच्चों की प्लेसमेंट भी अच्छे संस्थानों में करवाई जाती है। इस स्कूल के नौकायन के 25-30 खिलाडिय़ों को सीआरपी व पंजाब पुलिस में नौकरी मिली है।


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