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बिना श्रद्धा किया मंत्रजाप नहीं होता फलदायी : स्वामी कमलानंद

श्री स्नेह बिहारी मंदिर जलौखाना कांप्लेक्स में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 12:34 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 12:34 AM (IST)
बिना श्रद्धा किया मंत्रजाप नहीं होता फलदायी : स्वामी कमलानंद
बिना श्रद्धा किया मंत्रजाप नहीं होता फलदायी : स्वामी कमलानंद

संवाद सहयोगी, कपूरथला : श्री स्नेह बिहारी मंदिर जलौखाना कांप्लेक्स में श्री कल्याण कमल सत्संग समिति द्वारा आयोजित 13 दिवसीय श्री राम चरित्र मानस के अरण्य कांड पर चर्चा करते हुए हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि महाराज ने बताया कि वह व्यक्ति अभागा नहीं है जिनके पास धन संपत्ति न हो, वास्तव में अभागा वह है जिसको प्रभु पर भरोसा नहीं है।

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गिद्धराज जटायु की चर्चा करते हुए महाराज श्री ने बताया कि अपने जीवन काल में मांसाहार के लिए जटायु ने अन्य जीवो को दुख दिया था होगा तो उसका फल उसके शरीर ने छटपटा कर भोग लिया। लेकिन जीवन के अंतिम क्षण में उसने प्रभु चरणों का चितन किया तो उसे प्रभु प्राप्त हो गए। भगवान स्वयं अपने श्री मुख से कहते हैं कि जैसे मां छोटे बालक की हर वक्त रखवाली करती हैं ऐसे ही मैं अपने भक्तों की रखवाली निरंतर करता हूं।

शबरी को भगवान ने नवधा भक्ति का वर्णन करके सुनाया है। 9 भक्ति के नाम लेते हुए महाराज ने बताया कि पहली भक्ति है श्रवण, दूसरी भक्ति है कीर्तन, तीसरी है निरंतर स्मरण, चौथी भक्ति है चरण सेवा, प्रभु की अर्चना करना छठी भक्ति है, सातवीं दास भाव से प्रभु की सेवा करना, आठवीं भक्ति महाराज ने बताया कि सखा भाव से भगवान से प्यार करना, और नवी भक्ति में अपना सब कुछ समर्पित करके आत्म निवेदन भाव से प्रभु के हो जाना है।

महाराज ने बताया कि मंत्र कौन सा है यह अधिक महत्व की बात नहीं है। किस मनसे जपा जा रहा है यह महत्व की बात है। कई बार लोग मंत्र जप करते रहते हैं लेकिन उनको कुछ प्राप्त नहीं होता। क्योंकि भाव और श्रद्धा के बिना किया गया मंत्र जप फलदायी नहीं होता। देवता हमारे 33 करोड़ हो सकते हैं, लेकिन इष्ट हमारा एक ही होना चाहिए। फल इसलिए नहीं मिलता कि हम कभी किसी देवता का जप करते हैं और कभी किसी देवता का। जब तक अनुष्ठान किसी भी देव का पूर्ण न हो तब तक फल की संभावना नहीं रहती।

स्वामी ने अपने हृदय को ही अवध जैसा बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जहां किसी का कभी वध न हुआ हो, कोई कलह क्लेस न हो, वह ही अयोध्या है। वहीं पर भगवान का अवतार होता है। कलह रहित जीवन क्लेश मुक्त स्वभाव वाले के भीतर भगवान स्वयं आकर बैठ जाते हैं। बाहर के मंदिर में प्रभु की स्थापना करेंगे तो पुजारी की मर्जी से दर्शन होंगे। अपने हृदय को ही अयोध्या बनाएंगे और वहां प्रभु को बिठाएंगे तो हर क्षण प्रभु के दर्शन होंगे। मंदिर के प्रवक्ता ने बताया कि कथा 2 दिन और चलेगी।


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