बारिश ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी
खेतों में पानी भरने से फसल खराब होने की संभावना है।
नरेश कद, कपूरथला
लगातार हो रही बारिश ने आलू उत्पादक किसानों की मेहनत पर ही पानी नही फेरा बल्कि गेहूं व सब्जियों की काश्त करने वाले किसानों के सपनों को धो डाला है। कुछ दिन पहले हुई भारी बारिश की मार से उबरने की कोशिश कर रहे किसानों पर शनिवार को फिर से बरसात कहर बन कर गिरने लगी है। शनिवार सुबह से लगातार बारिश होने से आलू व गेहूं उत्पादक किसानों को अब फसलों के बचने की कम ही उम्मीद बची है।
पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण अपनी फसलों को बारिश के पानी से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसान लंबी जदोजहद में जुटे रहे। आलू व गेहूं की फसल को बचाने के लिए विभिन्न गांवों में किसानों की तरफ से जेसीबी से खेतों में गड्डे खोदे गए है। कई किसानों ने खेतों में ज्यादा भर गए पानी को सबमरसीबल मोटर की व्यवस्था कर खेतों से बाहर निकाला था जिससे किसानों को अपनी मेहनत के रास आने की उम्मीद जगी थी। शनिवार को दिन भर हुई बारिश से अब किसानों की अपनी कोशिश पर भी अफसोस होने लगा है
लगातार भारी बारिश ने आलू उत्पादक किसानों को मुश्किलों में डाल दिया था, वहीं गेहूं एवं सब्जियों को भी भारी नुकसान पहुंचा था। बारिश मटर की फसल भी बर्बाद हो गई है। बारिश से आलू व गेहूं के खेतों में जमा हो चुके पानी को किसानों ने निकाल दिया गया था। खेतों में पानी भरने आलू की फसल गलने एवं गेहूं की फसल के सूखने का खतरा किसानों को रुला रहा था। जिले के विभिन्न गांवों के किसानों की तरफ अब फिर जेसीबी से खेतों में गड्डे खोदे जा रहे है ताकि पानी गड्डे के जरिए जमीन में जाकर खेतों से जल्द पानी निकल सके। कई किसानों का खेतों में पानी ज्यादा भर गया है उनकी तरफ से पहे खेत में जेसीबी से गड्डा खोदा गया और फिर ट्रेक्टर जरनेटर के जरिए मोटर चला कर उसके आगे कई किलोमीटर पाइप लगा कर फसलों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
गांव झल लेई के किसान प्यारा सिंह का कहना है कि उन्होंने ठेके पर जमीन ले रखी है जिसमें आलू की फसल बीजी है। पिछले दिनों चार दिनों तक लगातार भारी बारिश होती रही। इससे जमा पानी को निकाल कर कुछ राहत महसूस कर रहे थे। अब दोबारा बारिश ने सभी मेहनत पर पानी फेर कर रख दिया है।
उधर गांव शिकारपुर के किसान सहोन सिंह बताते है कि बारिश का पानी निकालने के लिए खेतों में जेसीबी से गड्डे खोदे हैं। जेसीबी वाले एक घंटे के 2000 रुपये ले रहे है, जिससे किसानों काफी आर्थिक बोझ पड़ रहा है। लेकिन क्या किया जाए, फसल को बचाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। इन कोशिशों के बावजूद उनके दो एकड़ आलू व चार एकड़ गेहूं की फसल खराब चुकी है।
किसान जगजीत सिंह का कहना है कि खेतों में पानी खड़ा है और आगामी दिनों में धूप निकलने के कम ही आसार हैं जिस से खेतों में फसल खराब होने के कारण किसान घाटे में रहेंगे। सरकार को गेहूं, धान व अन्य फसलों की तरह आलू पर भी एमएसपी फिक्स करनी चाहिए तथा मौसमी कारणों के चलते खराब हुई फसल की भरपाई भी करनी चाहिए।