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शिक्षा नीति से बच्चों का होगा सर्वपक्षीय विकास

नई शिक्षा नीति को लेकर विभिन्न शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की ज्यादातर सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 01:48 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:07 AM (IST)
शिक्षा नीति से बच्चों का होगा सर्वपक्षीय विकास
शिक्षा नीति से बच्चों का होगा सर्वपक्षीय विकास

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला

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केंद्र सरकार की ओर से घोषित नई शिक्षा नीति को शिक्षाविदों और माहिरों ने इसे बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण सुधार बताया है। शिक्षाविदों ने कहा कि जितनी देर इसे सही ढंग से जमीन पर उतारा नही जाता उतनी देर इसके सकारात्मक परिणाम नही मिलेंगे प्राइमरी तक मात्र भाषा में पढ़ाई करवाने की उल्लेख तो पहले भी थी लेकिन जितनी देर तक यह प्राथमिक शिक्षा में पूरी तरह लागू नही होती उतनी देर यह कारगर नही मानी जा सकती। प्राइमरी शिक्षा में मीडियम भी मात्र भाषा ही होना चाहिए।

पिछले साल कनाडा के ब्रम्पैटन में आधुनिक शिक्षा प्रणाली बारे पर्चा पढ़ने वाले एवं पूर्व प्रिसिपल आसा सिंह घुम्मण का कहना है कि यह नीति कौशल और ज्ञान के मिश्रण से स्वस्थ्य माहौल सृजित करेगी। उन्होंने कहा कि नीति में कुछ ऐसे सुधार हैं जिनकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। यह विभिन्न विषयों के संयोग का मार्ग प्रशस्त करेगी और इससे पठन-पाठन एवं विचारों तथा वास्तविक दुनिया में इनके उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। डॉ. घुम्मण ने बताया कि नई शिक्षा नीति में पांचवी कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई, बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने, विदेशी विश्व विद्यालयों को देश में खोलने की अनुमति देने, विधि और मेडिकल को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक बनाने, विश्वविद्यालयों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा आयोजित करने सहित स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनेक सुधारों की बात से सार्थिक नतीजे सामने आएंगे। विषय चुनने की स्वतंत्रता से बच्चों का सवर्पक्षीय विकास होगा। पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी साधू सिंह बूलपुर का कहना है कि 10+2 प्रणाली से 5+3+3+4 प्रणाली की ओर बढ़ना अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानदंडों के अनुरूप है। कनाडा की शिक्षा प्रणाली भी इसी पैर्टन पर आधारित है। हालाकि यह लगभग पहले पैर्टन से ही मिलता है पर इसमें नर्सरी व प्राइमरी को दो ग्रुप में रखा जाता तो ज्यादा बेहतर रहता। उन्होंने कहा हमारे आइआइएम और आइआइटी के ढांचे छोटे होने के कारण काफी प्रतिभा होने के बावजूद वे दुनिया के शीर्ष संस्थानों की सूची में नहीं आ पाते हैं। तकनीकी संस्थानों के बहुआयामी बनने से आइआइएम और आइआइटी को मदद मिलेगी।

कुलवंत राय जैन डीएवी स्कूल कपूरथला के प्रिसिपल विपन कुमार का कहना है कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में आपूर्ति और देश में उच्च शिक्षा के नियमन संबंधी जटिलताओं को दूर करेगी और सभी छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करेगी। कोविड-19 के बाद के समय में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने का कदम महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह प्रगतिशील और आगे की ओर बढ़ने वाली नीति है। यह देश में उच्च शिक्षा के आयामों को बदलने वाली है।

पूर्व प्रिसिपल प्रोमिल अरोड़ा ने कहा है कि नीति में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार की बात कही गई है लेकिन इसके विस्तार को जमीन पर कैसे और कितना उतारा जाता है यह देखना होगा। उन्होंने कहा कि सुधार की सच्ची भावना देश के छात्रों के सशक्तीकरण में निहित होती है ताकि वे अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि नीति में इस बात का ध्यान होना चाहिए कि सुधार इनपुट आधारित होने की बजाए परिणाम आधारित हो।


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