संसाधनों की कमी, नियम टूटने से बढ़े हादसे
ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने एवं उल्लंघन रोकने के लिए जिला ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग के संसाधन की कमी है।
हरनेक सिंह जैनपुरी/नरेश कद, कपूरथला
ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने एवं उल्लंघन रोकने के लिए जिला ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग के संसाधन की कमी है। दोनों विभागों में स्टाफ कर्मियों का अभाव है जिसके चलते काम सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। सियासी दखलअंदाजी ने भी पुलिस के हाथ बांध रखे हैं।
वाहन चलने के दौरान चालक मोबाइल पर बात करने से बाज नही आते। चार पहिया चालक व सामने की सीटों पर बैठने वाले लोग सीट बेल्ट नहीं लगाते जिससे हादसा होने का डर बना रहता है। नशे की हालत में वाहन चलाना व मुख्य मार्ग पर बिना हेलमेट वाहन चलाना भी आम बात हो गई है। सड़क के किनारे गलत तरीके से गाड़ी पार्क कर दी जाती है। पार्क की गई गाडी के इंडीकेटर या उसकी टेल लाइट ना जलाई जाने के कारण कई बार वाहन सड़क किनारे खड़े भारी वाहन से टकरा जाते है। ऐसे हादसे में लोगों की मौत हो जाती है। कई वाहन चालक ट्रैफिक नियमों की जानकारी नही होने के बावजूद भी गाड़ी चलाते हैं।
दूसरी तरफ सुरक्षित यातायात के लिए पुलिस की तैयारी भी कोई खास नही होती। वीआइपी ड्यूटी के बढ़ते प्रचलन से वह आम नागरिकों की तरफ ध्यान नही दे पाते। बढ़ते वाहन व जनसंख्या के हिसाब से ट्रैफिक पुलिस की भारी कमी के चलते कई बार तो मुलाजिमों को लगातार 16-16 घंटे तक भी ड्यूटी पर तैनात रहना पड़ता है। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस पास क्रेन, स्पीड रडार व एलकोमीटर तक नही है। ट्रैफिक पुलिस की 15 सेक्शन पोस्ट है जबकि कम से कम 30 पोस्ट की जरूरत है।
सड़क सुरक्षा के लिए ट्रैफिक पुलिस की ओर से साल में एक बार एक सप्ताह तक यातायात सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जाता है। इस दौरान जिसमें स्कूलों व कालेजों सहित अन्य लोगों को यातायात नियमों का पालन कराने की जानकारी दी जाती है। उसके बाद साल भर ऐसा कोई आयोजन नही होता जिससे लोग सुरक्षित यातायात कर सके। आर्किटेक्ट परविदर सिंह का कहना है कि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें तथा जिम्मेदार नागरिक बने। ये पंच लाइनें हम बचपन से पढ़ते व सुनते चले आ रहे है। हमारे जीवन में इन लाइनों का बड़ा महत्व है। सही मायने में देखा जाए तो आज भी हम अपने आप को इन लाइनों से जोड़ नहीं सके हैं। विशुद्ध रुप से यातायात नियमों को नजर अंदाज करना हमारी जीवन शैली का अहम हिस्सा बन चुका है।
खराब ट्रैफिक लाइटों को ठीक करवाने की जरूरत
ट्रैफिख विभाग में संसाधन की कमी को पूरा करने की तरफ सरकार का कोई ध्यान नही है। वही शहर के चारबत्ती चौक पर लगे ट्रैफिक सिग्नल सालों से खराब होने के चलते बंद पड़े हैं। ट्रैफिक लाइटों की मरम्मत नहीं करवाई गई है।
कर्मचारियों की कमी के बारे में विभाग को लिखा पत्र : ट्रैफिक इंचार्ज
ट्रैफिक इंचार्ज सुखविदर सिंह का कहना है कि बेशक हमारे पास ट्रैफिक मुलाजिमों की कुछ कमी है लेकिन इसके बावजूद पूरी टीम शानदार काम कर रही है। उन्होंने बताया कि संसाधन की कमी को दूर करने के लिए भी विभाग को लिखा गया है।