प्रभु की भक्ति के लिए मिला है जीवन : साध्वी
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान कपूरथला आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ऋतिु जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मनुष्य जन्म ईश्रवर से मिलकर मुक्ति प्राप्त करने के लिए मिला है। प
संवाद सहयोगी, कपूरथला : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान कपूरथला आश्रम में सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर आशुतोष महाराज जी की शिष्य साध्वी ऋतिु जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मनुष्य जीवन ईश्वर से मिलकर मुक्ति प्राप्त करने के लिए मिला है लेकिन आज तक कोई भी सीधे ही ईश्वर से नही मिल सका। ईश्वर का जो वास्तविक रुप प्रकाश है और इस प्रकाश रुपी ईश्वर को जानने के लिए गुरु की शरण में जाना पड़ता है। श्री गुरुनानक देव जी कहते हैं कि चाहे ब्रह्मा और वेद व्यास जी से पूछ कर देख लें गुरु के बिना आज तक किसी को नही ज्ञान की प्राप्ति नही हो सकी। इसलिए संत के पास जाकर ही आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। सदगुरू ही आध्यात्मिक ज्ञान की दीक्षा दे सकते है। जैसे संसार का छोटे से छोटा काम सीखने के लिए उस्ताद या गुरु की जरुरत पड़ती है तो आत्मिक ज्ञान अपने आप कैसे हो सकता है। प्रभु श्री राम और कृष्ण को भी ज्ञान के लिए गुरु की शरण में जाना पड़ा था। इस संसार के अंदर आज तक कोई भी ऐसा मनुष्य पैदा नही हुआ जिसे समय के गुरु के बिन ज्ञान की प्राप्ति हुई हो। संत करीब जी कहते हैं कि गुरु ईश्वर से भी महान है जिन्होंने मुझे ईश्वर का दर्शन करा दिया। वह कहते है कि अगर गुरु और ईश्वर एक समय में मेरे सामने आ जाए तो मैं पहले गुरु के चरणों में नमस्कार करुंगा क्योंकि गुरु के कारण ही मुझे ईश्वर मिले हैं। इसलिए हमें भी समय के पूर्ण गुरु की खोज करनी चाहिए जो हमें आत्मिक ज्ञान प्रदान कर ईश्वर से मिला दे। इसके साथ ही साध्वी हरीप्रिता भारती जी ने मधुर भजनों का गायन किया।