रात में नहीं खुलता जन औषधि केंद्र, बाहर से दवा खरीदते हैं सिविल अस्पताल आने वाले मरीज
सिविल अस्पताल में जन औषधि केंद्र रात को बंद रहता है।
नरेश कद, कपूरथला
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का मकसद लोगों को सस्ती कीमत पर दवा उपलब्ध कराना है। जन औषधि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंदों एवं गरीब मरीजों को सस्ती दवाईयां उपलब्ध करवाने के लिए सिविल अस्पताल के बाहर जन औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया था। कपूरथला सिविल अस्पताल के बाहर स्थित जन औषधी केंद्र में मरीजों को डॉक्टरों की ओर से लिखी गई दवाइयां नहीं मिलती है। डाक्टरों की ओर से मरीजों को दवाइयां का ब्रांडेड साल्ट या ब्रांडेंड दवाई का नाम लिखकर दिया जाता है जोकि जन औषधि केंद्र में नहीं मिलती है। मरीजों को मजबूरन बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।
एक साल पहले शहरवासियों ने सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को डाक्टरों की सिविल अस्पताल की दवा न लिखकर बाहर से दवाइयां लिखने के बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद सेहत मंत्री ने डाक्टरों को सख्त हिदायत दी थी कि अस्पताल में मिलने वाली दवाई नहीं लिखने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सेहत मंत्री की चेतावनी के बावजूद डाक्टरों ने अपना रवैया नहीं बदला है।
कपूरथला सिविल अस्पताल के बाहर स्थित जन औषधि केंद्र 24 घंटे खुला रहने की बजाय सिर्फ 12 घंटे खुला रहता है। इसका कारण कर्मचारियों की कमी की है। जन औषधि केंद्र में मिलने वाली दवाइयां भी कम मात्रा में उपलब्ध है जो कि मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। सिविल अस्पताल में इलाज करवाने आए मरीज जन औषधि केंद्र पर कम, बल्कि निजी स्टोरों पर दवाइयां खरीदते देखे गए।
मरीज बोले- बाहर से खरीदनी पड़ रही दवा
इमरजेंसी में दाखिल साधू राम पुत्र महिदर सिंह वासी कालरु ने बताया कि इलाज के दौरान डॉक्टर की ओर से लिखी जाने वाली दवाईयां बाहर से ही लानी पड़ती है।
अस्पताल में उपचाराधीन सतपाल पुत्र गुरमेल सिंह वासी सुंदर ने बताया कि सिविल अस्पताल में दाखिल होने के बाद डॉक्टर की ओर से लिखी चार दवाईयों से दो अस्पताल से मिल गई और दो दवाइयां निजी मेडिकल स्टोर से महंगे दामों पर लानी पड़ी।
भोला पुत्र सुखबीर वासी अजीत नगर जोकि डाक्टर को अपना इलाज के दौरान लिखी गया टीका तो डाक्टर द्वारा सिविल अस्पताल के अंदर से लगवा दिया। जो दवाईयां लिखी गई वे सभी मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ी।
अस्पताल में उपचाराधीन सुखविदर सिंह पुत्र जोगिदर सिंह वासी लाहौरी गेट शुगर का मरीज है। सुखविंदर ने कहा कि शुगर के मरीजों के लिए डॉक्टर द्वारा लिखी गई सिविल अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदना पड़ा है।
सिविल अस्पताल में रोजाना उपचार के लिए आते है 850 मरीज
सिविल अस्पताल में 12 ओपीडी सेंटर है। ओपीडी में तैनात डाक्टर रोजाना 850 के करीब मरीजों की जांच कर दवाइयां लिखते हैं। कुछ दवाइयां अस्पताल में सरकार की ओर से चलाए जा रहे मेडिकल दुकान पर मिल जाती है। अधिकतर दवाइयां मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर खरीदना पड़ता है।
कर्मचारियों की कमी के कारण 12 घंटे खुला रहता है जन औषधि केंद्र
वहीं जन औषधि केंद्र 24 घंटे खुला रहने के बारे में जन औषिध केंद्र के अधिकारी गुरमुख सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्र पर मिलने वाली सभी दवाईयां उपलब्ध है। कर्मचारियों की कमी के चलते जन औषधि केंद्र 24 घंटे की जगह 12 घंटे ही खुल रहा है।
अस्पताल में दवाइयों का स्टॉक उपलब्ध : डॉ. संदीप
जन औषधि की जगह निजी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां खरीदने के बारे में जब कार्यकारी एसएमओ डॉ. संदीप धवन से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल के जन औषधि केंद्र में 99 प्रतिशत दवाइयां उपलब्ध है। यदि कोई दवा जन औषधि केंद्र में नहीं होती, तभी मरीज को मजबूरन दवाईयां निजी मेडिकल स्टोर पर खरीदने के लिए लिखी जाती है। उन्होंने कहा कि यदि कोई डाक्टर साल्ट की जगह ब्रांडेड दवा का नाम लिखता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ब्रांडेड जेनेरिक और सामान्य जेनेरिक दवाओं में अंतर
दोनों के बीच अंतर सिर्फ नाम का है। एक को किसी ब्रांड के नाम के साथ बेचा जाता है और दूसरा एक सामान्य नाम के साथ बिकता है। असलियत ये है कि ये दोनों ही जेनेरिक दवाएं हैं जो पेटेंट समाप्त होने के बाद बनाई जा रही है। जेनेरिक दवाएं किसी ब्रांड के नाम की बजाय बिना किसी ट्रेडमार्क या सामान्य नाम से बेचा जाता है। इंटरनेशनल नॉन प्रॉपराइट्री नेम (आइएनएन) फार्मास्युटिकल पदार्थों या एक्टिव फार्मास्यूटिकल सामग्रियों की पहचान करने के लिए दिया गया एक यूनिक नाम होता है।