भगवान श्री कृष्ण की लीला अपरंपार: स्वामी कमलानंद गिरि
श्री स्नेह बिहारी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि ¨हदुओं के पुराणों में से एक भागवत पुराण है। इसे भागवतम भी कहा गया है।
संवाद सहयोगी, कपूरथला: श्री स्नेह बिहारी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि ¨हदुओं के पुराणों में से एक भागवत पुराण है। इसे भागवतम भी कहा गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास जी को माना जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। स्वामी महाराज ने कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित के साथ कथा श्रवण करने की और इस सार को समझने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति दिलाता है। चित की स्थिरता के साथ ही श्रीमद भागवत कथा सुननी चाहिए। श्रीमद् भागवत पर चर्चा करते हुए भागवत श्रवण मनुष्य के संपूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। इसलिए श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने का मौका मिले तो ये मौका कदापि न गवाएं।
सच्ची श्रद्धा देखते हैं भगवान
स्वामी ने बांके बिहारी के जीवन पर चर्चा करते हुए कहा कि बांके बिहारी के कई नाम हैं। कोई उन्हें भगवान कृष्ण, कोई मुरलीधर, कोई गिरधारी तो कोई बांके बिहारी के नाम से बुलाता है। भगवान को चाहे किसी भी नाम से क्यों न बुलाया जाए, भगवान सिर्फ सच्ची श्रद्धा देखते हैं। अगर श्रद्धा में खोट नहीं होगा तथा आपकी श्रद्धा सच्ची होगी तो भगवान दौड़े चले आएंगे। इसलिए भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखें। स्वामी कमलानंद जी महाराज ने कहा कि प्रभु तो भाव के भूखे हैं। उन्हें धन-दौलत से नहीं रिझाया जा सकता। अगर मनुष्य सोचे कि भगवान को धन-दौलत से रिझा लेगा तो ये उसकी भूल है। अगर भगवान के समक्ष सच्चे मन से आंसू बहाकर खाली हाथ फैलाकर भी कुछ मांगे तो वह जरुर देंगे। कथा स्थल भगवान कृष्ण के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा था।