भेदभाव का अंधकार खत्म कर रहे धर्मपाल
डा. आबंडेकर सोसायटी के सदस्य धर्मपाल कालेज के दिनों से ही समाजसेवा से जुड़े हैं।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला पंजाब की धरती को गुरुओं, पीरों की धरती मानी जाती है जहां पर आपसी सौहार्द व सदभाव की बात की जाती है लेकिन हकीकत बेहद अलग है। बेशक संविधान में हर इंसान को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन आमतौर पर या तो वो उससे अनभिज्ञ होते हैं या फिर सब कुछ जानते हुए भी आवाज नहीं उठा पाते। ऐसे में उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। कुछ लोग दूसरों को सम्मान व बराबरी का हक दिलाने की लड़ाई भी लड़ते हैं जिन्हें हमेशा समाज में सम्मान की नजर से देखा जाता है। ऐसे ही एक शख्स धर्मपाल पैथर हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी में रहते हुए भी आम लोगों को समरसता दिलाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की और दूसरों को हक दिलाने के लिए निरंतर लड़ाई लड़ रहे है।
आरसीएफ में कार्यरत धर्मपाल पैंथर का मकसद समाज को बराबरी तक लाना है। इस प्रयास में वह अभी थके नही है। डा. भीम राव आंबेडकर सोसायटी के धर्मपाल लगातार गरीब व पिछड़े समाज के लोगों को सेमीनार एवं पंफ्लेट वितरित कर शिक्षा ग्रहण करने एवं नशे से दूर रहने के संदेश देकर जागरुक कर रहे है। रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला में अपनी ड्यूटी के बाद का समय पैंथर समाज में असमानता का शिकार लोगों की मदद के लिए लगाते हैं। धर्ममपाल का कहना है कि पिछड़े वर्ग को आज भी बार बार जातपात व छुआछूत का एहसास करवाया जाता है। गुरुद्वारों में तो ठीक है लेकिन बाहर उनके समाज को आज भी जगह जगह भेदभाव व जातिवाद का शिकार होना पड़ रहा है। गरीब महिलाओं को जबरन जुल्म के अलावा मानसिक व शारीरिक शोषण की प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही है। धर्मपाल पैंथर पिछड़े वर्ग महिलाओं के सम्मान व इज्जत की पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे है। आरसीएफ की एक यूनियन के पदाधिकारी ने सार्वजनिक तौर पर पिछड़े वर्ग की महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी की थी जिसका केस इस समय उच्च न्यालय में विचाराधीन है। दो केसों में आरोपित माफ मांग चुका है। अपने संघर्ष के बारे में धर्मपाल पैंथर कहते है कि उनका संषर्घ तो जिदगी की अंतिम सासों तक जारी रहेगा।
कालेज के दिनों से ही शुरू किया था समाजसेवा का काम
1994 में कुछ साथियों के साथ मिल कर बाबा साहिब डा. बीआर आंबेडकर सोसायटी का गठन करने वाले पैंथर ने अपने कालेज के दिनों में ही समाज के पिछड़े वर्ग के लिए कार्य शुरू कर दिया था। कालेज के सयम विभिन्न गांवों में जाकर डा. अंबेदकर व गुरु रविदास जी बारे कार्यक्रम करवाने उनकी दिनचर्या का हिस्सा थे।
गरीब बच्चों के लिए चला रहे निश्शुल्क ट्यूशन सेंटर
अपने मिशन के बारे में धर्मपाल बताते हैं कि जो लोग सदियों से दबे कुचले हुए थे, उनकी दशा में ज्यादा फर्क नही आया है। पांच से सात प्रतिशत लोगों ने ही प्रगति की है। उनकी सोसायटी ने गरीब बच्चों के शैक्षिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षा मुहैया करवा रही है। गांव नानो मलिया में विद्यार्थियों के लिए मैथ, इंगलिश व साइंस आदि विषयों का निश्शुल्क ट्यूशन सेंटर चला रहे है। गांव भुलाणे व हुसैनपुर में कई विद्यार्थियों को उनकी सोसायटी शिक्षा मुहैया करवा रही है। महिलाओं को आर्थिक दशा सुधारने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई सेंटर भी इन गांवों में चलाए जा रहे हैं।