ग्रामीण बस सेवा ठप्प, शहर से टूटा लोगों का संपर्क
कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से पिछले तीन माह से ग्रामीण बस सेवा पूरी तरह से बंद है।
नरेश कद, कपूरथला : कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से पिछले तीन माह से ग्रामीण बस सेवा पूरी तरह से बंद है। जिसके कारण लोगों के लिए शहर आना बेहद मुश्किल हो गया है, हालाकि कुछ लोग जरूरी कार्यों के लिए अपने संसाधनों से शहर पहुंच रहे है लेकिन ग्रामीण बस सेवा पर निर्भर आम लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कभी लिफ्ट लेने की मजबूरी तो कभी ऑटों में दोगुने पैसे खर्च करने पड़ रहे है। तीन महीनों से ग्रामीण बस सेवा बंद होने के कारण गांवों के लोगों का शहर से संपर्क कट गया है। कोरोना के कारण महिलाओं व बुजुगरें की मुश्किलें सबसे अधिक ज्यादा बढ़ी हैं।
शहरी अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा व गति देने वाले ग्रामीण कोरोना काल के चलते करीब साढे तीन महीने बाद भी शहरों का रुख नहीं कर पा रहे हैं। अपनी घरेलू जरूरतों के लिए वह या तो गांवों में उपलब्ध साधनों पर ही निर्भर हो गए हैं या अपने वाहनों से शहरों का रुख करने वाले पड़ोसियों व जानकारों पर आश्रित होकर रह गए हैं। इस वजह से शहरों की अर्थ व्यवस्था भी पटरी पर नही लौट रही है। मंदी के दौर से गुजर रहे हैं शहर के दुकानदार
शहर के दुकानदारों का कहना है कि शहर के लोग तो जरूरत मुताबिक थोड़ी सी चीज खरीदते हैं लेकिन गांवों के लोग हर वस्तु की खरीददारी अधिक मात्रा में करते हैं, क्योकि उनके लिए रोजाना शहर आना संभव नहीं होता। कपूरथला के गांवों में भी अभी तक ग्रामीण बस सेवा शुरू नहीं हो पाई है। सरकार कह चुकी है कि बसों का संचालन अब 100 फीसद सीटें भरकर किया जा सकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोग अभी भी बस सेवा से महरुम हैं। ग्रामीण रूट पर चलने वाली सरकारी और निजी बसें नहीं चल पा रही हैं। इससे दो पहिया वाहन पर सवार होकर गांव के लोग खरीददारी करने के लिए आ रहे हैं। इस वजह से शहर के विभिन्न दुकानदार गांवों से लोगों के बेहद कम आने से मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।
अभी ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो रहा बसों का संचालन पंजाब रोडवेज की बसें शहरों के लिए तो 10 और 20 सवारियां लेकर ही चल रही हैं लेकिन जिले के अधिकाश गावों में मिन्नी बस सेवा चलती है, लेकिन उसका संचालन अभी तक दोबारा शुरू नही हो सका है। कपूरथला से कालरु, मसीता, कपूरथला से नानो मल्लिया, मोठावाल, कपूरथला से ढिलवा व बेगोवाल के ग्रामीण क्षेत्रों में बसों का संचालन नहीं हो रहा है। दैनिक जागरण द्वारा कपूरथला बस स्टैंड का दौरा किया गया तो पाया कि बस स्टैंड पर काफी कम बसें जाने के लिए रूटों पर खड़ी थी, लेकिन उनमें सवारियां नाममात्र ही थी, समय पूरा होने पर जैसे ही ड्राइवर द्वारा बसों को चला दिया गया, लेकिन बसें कम सवारियों के साथ ही जाती दिखाई दी। जालंधर के लिए पहले लगभग 60 और 70 बार जालंधर और कपूरथला का चक्कर लगाती थी, लेकिन अब 20 से 25 चक्कर ही लगा पाती हैं। उसमें भी सवारियां ही कम होती है।
कोरोना के डर से बस में कम ही लोग कर रहे हैं सफर पैप्सू रोडवेज के जीएम प्रवीण कुमार ने बताया कि कोरोना के डर से लोग बसों में सफर कम कर रहे हैं। जैसे-जैसे कोरोना का खौफ लोगों के दिलों से निकलेगा, तब लोग सफर करेंगे। सवारी कम मिलने का कारण स्कूलों व कॉलेजों में छुंिट्टयां चल रही हैं, जिससे मजबूरन कम सवारियां ही बसों में लेकर जाना पड़ रहा है और दूसरी ओर पंजाब सरकार के दिशा निर्देशों पर रास्ते की सवारी नहीं बिठाई जाती, ताकि कोरोना के खतरे को कम किया जा सके।