'जब शहर हमारा सोता है' ने बटोरी वाहवाही
यह नाटक प्रसिद्ध लेखक शेक्सपीयर के नाटक रोमियो और जूलियट का रूपांतरण है।
विजय शर्मा, जालंधर : युवा रंग उत्सव-2019 का आखिरी नाटक पीयूष मिश्रा का 'जब शहर हमारा सोता है' पेश किया गया। यह नाटक प्रसिद्ध लेखक शेक्सपीयर के नाटक रोमियो और जूलियट का रूपांतरण है।
इस नाटक में लड़कों के दो गुट जमीन के एक टुकड़े के लिए एक दूसरे से भिड़ते हैं। एक गुट फनियर हिदू लड़कों का है और दूसरा ग्रुप खंजर मुस्लिम लड़कों का। धीरे-धीरे दोनों में नफरत बढ़ती जाती है, लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है जब खंजरों की एक लड़की तराना को फनियर के एक लड़के आभास से प्यार हो जाता है। तराना आभास से वादा लेती है कि वो दोनों गुटों की दुश्मनी को खत्म कर दे, ताकि वे एक खूबसूरत जिंदगी जिएं। आभास लाख कोशिशों के बाद भी युवाओं को आपस में लड़ने से नहीं रोक पाता।
इसी बीच लड़ाई में तराना के भाई असलम के हाथों फनियर के लीडर विलास का खून हो जाता है। अपने दोस्त को मरता देख ग़ुस्से में आया आभास भी असलम को मार देता है। असलम का साथी अकील तराना को बता देता है कि आभास ने उसके भाई को मार दिया है। अब प्यार नफरत में बदल जाता है, लेकिन जब तराना को पता लगता है कि हुआ क्या था तो वो आभास का साथ नहीं छोड़ती। मगर नफरत में डूबा अकील आभास को मार देता है। करीब सवा दो घंटे चले इस नाटक ने लोगों की काफी वाह-वाही बटोरी।
नाटक का निर्देशन डॉक्टर अंकुर शर्मा ने बताया कि इस नाटक में मुख्य भूमिकाएं शेन बट्टा, विशेष अरोड़ा, सर्वप्रीत, निधि, विक्रम, अभिषेक भारद्वाज, दीपक, रोहन, सार्थक, मन्नत, सोनी, अभय, पंकज, प्रियांशु, चाहत आनेज, दिनेश आदि ने निभाई हैं। नाटक में लाइट ऋषि चीमा व संगीत दिनेश कुमार, शमी कुमार, परिधान डिजाइनर विशेष, शायना बत्ता आदि ने अपना योगदान दिया है।