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World Heart Day : जिंदगी की दौड़ में हांफने लगा मुटियारों का भी दिल

एक अध्ययन के अनुसार बदलती जीवनशैली ने 35 साल और उससे ऊपर की दस में से छह महिलाओं को दिल की बीमारियों के खतरे से जूझ रहे मरीजों की लाइन में खड़ा कर दिया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 05:19 PM (IST)
World Heart Day : जिंदगी की दौड़ में हांफने लगा मुटियारों का भी दिल
World Heart Day : जिंदगी की दौड़ में हांफने लगा मुटियारों का भी दिल

जालंधर [जगदीश कुमार]। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली नारी पर भी दिल की बीमारी भारी पड़ने लगी है। कृषि प्रधान प्रदेश पंजाब की मुटियारों का दिल भी जिंदगी की दौड़ में हांफने लगा है। डाॅक्टरों की मानें तो स्टडी के अनुसार बदलती जीवनशैली ने 35 साल और उससे ऊपर की दस में से छह महिलाओं को दिल की बीमारियों के खतरे से जूझ रहे मरीजों की लाइन में खड़ा कर दिया है। तंबाकू व शराब के सेवन को त्याग और पौष्टिक आहार व व्यायाम को जिंदगी का अटूट अंग बनाने से समय से पहले होने वाली 80 फीसद मौतों पर काबू पाना संभव है। वहीं महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दिल की बीमारी के लक्षण भी अलग होते हैं।

बाईपास सर्जरी के 21 साल भी बाद भी दिल जवां

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गांव बूटरा की रहने वाली करतार कौर जिंदगी के 90 बसंत देख चुकी हैं। 21 साल पहले छाती में दर्द होने की वजह से टैगोर हार्ट केयर अस्पताल के चीफ कार्डियक सर्जन डॉ. अश्वनी सूरी को दिखाने गए तो जांच में दिल की तीन मुख्य नाडिय़ा बंद थी। डॉ. सूरी के अनुसार उनकी बाईपास सर्जरी की गई थी। इसके बाद उन्होंने जीवन शैली में बदलाव किया और खुद को फिट रखा। करतार कौर बाईपास सर्जरी करवाने के बाद पांच साल कनाडा में भी रह कर आई हैं। व्यायाम करने तथा खाने में परहेज से दिल की फिटनेस को हमेशा बरकरार रखा जा सकता है।

महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा

  • कम और बाॅर्डर लाइन एचडीएल और गुड कॉलेस्ट्रोल से तीन फीसद
  • हाई टोटल कॉलेस्ट्रोल से तीन फीसद
  • धूम्रपान करने वाली महिलाओं को चार फीसद
  • मधुमेह से छह फीसद
  • मोटापा व अत्याधिक भार से 72 फीसद

हार्ट होने से पहले महिलाओं के जबड़े में उठता है दर्द : डॉ. शर्मा

श्रीमन अस्‍पताल के डायरेक्टर डॉक्टर डॉ. वीरपी शर्मा का कहना है कि दिल की बीमारियों से केवल पुरूष ही नहीं महिलाएं भी प्रभावित होती हैं। अटैक के संकेत महिलाओं में एकदम से जाहिर नहीं होते हैं। हार्ट अटैक के सबसे कॉमन लक्षणों में छाती में दर्द या बैचेनी मानी जाती है। लेकिन महिलाओं को जबड़े ,गर्दन और कंधों के पीछे बीच में दर्द, कमजोरी और थकान के साथ दर्द उभरता है। सांस की समस्या, कफ, चक्कर आने जैसी समस्या भी हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप अक्सर गलत निदान या उपचार में देरी होती है। महिलाओं में कार्डियोवेस्क्यूलर बीमारियों के प्रमुख कारणों में बदलती जीवनशैली और अन्य सहायक कारणों से घटता एस्ट्रोजन लेवल है। अन्य जोखिम कारणों में डायबिटिज, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी एवं अन्य इससे जुड़े कारण शामिल हैं।

हार्ट अटैक होने पर पहला एक घंटा गोल्डन: डाॅ. निपुण

टैगोर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. निपुण महाजन के अनुसार करीब 50 प्रतिशत हार्ट अटैक बिना किसी संकेत के आते हैं और बाद में की जाने वाली ईसीजी में इनका पता चलता है। हार्ट अटैक का सामना करने वाले कई मरीज पहले गोल्डन आवर को गवां देते हैं। उपचार के पहले घंटे में जटिलताएं कम करने की आदर्श परिस्थिति होती हैं। हार्ट अटैक तब होता है जब हार्ट मसल्स के किसी हिस्से में ऑक्सीजन रक्त का प्रवाह अचानक से अवरोधित होता है। अधिकांश जीवन रक्षक दवाएं जो हार्ट अटैक रोकने में मदद करती है, सर्वश्रेष्ठ परिणाम तब देती हैं, जब उन्हें लक्षण प्रकट होने के एक या दो घंटे के भीतर दे दिया जाए।

एक सेहतमंद  हार्ट के लिए कम सोडियम वाली डाईट लें, ट्रांस वसा की खपत को कम करें कार्बोहाइड्रेट जैसे ब्रेड, पास्ता या यहां तक कि सफेद चीनी से बचें। उन्हें पूरे अनाज के अंकुरित अनाज, स्वस्थ हरे अनाज और दलिया जैसे विकल्पों से बदलें। दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें -यह दिल के लिए बहुत फायदेमंद है।
 

भारत में हार्ट फेल्योर के मरीजों की दर दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा: डॉ. चावला

हार्ट फेल्योर भारतीयों में हृदय रोग की प्रमुख जटिलताओं में से एक है इसकी मृत्यु दर 20 -30 फीसद है। हार्ट फेल्योर बुजुर्गों में अधिक होता है। बदलती जीवनशैली के चलते यह कम उम्र के लोगों में भी विकसित होने लगा है। हार्ट फेल्योर या तो कम समय के लिए हो सकता है या क्रोनिक भी बन सकता है। जैसा कि आमतौर पर हार्ट अटैक के बाद होता है, क्रोनिक हार्ट फैलियर से हार्ट को ब्लड फ्लो करने वाले हार्ट वाल्वस को कंट्रोल करने में भी कुछ समस्या हो सकती है। कमजोर और थका हुआ महसूस करने के साथ ही हार्ट फेल्योर वाले लोगों में कुछ और लक्षण भी सामने आ सकते हैं जैसे सांस लेने में परेशानी, टखनों, पांव या पेट में सूजन, वजन बढऩे, चक्कर आने, खांसी या भूख ना लगने की समस्या हो सकती है।

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