LokSabha Election: मतगणना में होगी विधायकों की भी परीक्षा, नतीजे बताएंगे पास हुए या फेल
जालंधर शहर की चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। वीरवार को आने वाला नतीजा यह भी साबित करेगा कि कौन-कौन से विधायक अपनी साख बचाने में सफल रहे।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। लोकसभा चुनाव के परिणाम वीरवार को आ जाएंगे। इन परिणामों के साथ जालंधर सीट पर विधायकों की हार-जीत भी तय हो जाएगी। शहर की चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। नतीजतन चुनाव के परिणाम को लेकर कांग्रेस विधायकों में खासी खलबली मची है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मतदान से पहले ही कांग्रेस विधायकों को सीधी चेतावनी दे चुके हैं कि पार्टी में उनका भविष्य उनके हलकों में कांग्रेस की जीत या हार तय करेगी।
अनुसूचित जाति आरक्षित सीट पर सबसे ज्यादा मतदान फिल्लौर व वेस्ट हलके में हुआ है। फिल्लौर खुद चौधरी का हलका रहा है और अब उनके बेटे बिक्रम चौधरी इसकी कमान संभाल रहे हैं। बिक्रम 2017 का विधानसभा चुनाव इसी हलके से हार चुके हैं। इस चुनाव में सियासी पंडित फिल्लौर में मतदाताओं द्वारा चौधरी का विरोध करने को ही सबसे ज्यादा मतदान की वजह मान रहे हैं। अगर चौधरी इस हलके से पिछड़ते हैं, तो अगले विससभा चुनाव में उनके बेटे बिक्रम चौधरी की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।
यही हाल जालंधर वेस्ट हलके का है। वेस्ट में चौधरी के खिलाफ टिकट मांगने वाले कांग्रेस विधायक सुशील रिंकू की साख भी दांव पर लग सकती है। अगर कांग्रेस हारी, तो इसका प्रभाव रिंकू पर भी पड़ना तय है। हालांकि इस हलके में गुप्त रूप से मोहिंदर सिंह केपी का भी प्रभाव अभी कायम है। कांग्रेस की हार की कारण उनका चुनावी प्रचार से दूर रहना भी हो सकता है।
जालंधर नॉर्थ हलके में भी मतदान तीसरे नंबर पर रहा है। नॉर्थ हलके में भाजपा व संघ काफी मजबूत स्थिति में है। यहां से पूरे चुनाव में कांग्रेस विधायक जूनियर हैनरी ने काफी जोर भी लगाया है। उनके साथ-साथ सीनियर हैनरी भी लगे रहे हैं। देखना है कि इस हलके में भंडारी दो सालों में कमजोर हुए हैं या मजबूत।
कैंट हलके में कांग्रेस विधायक परगट सिंह की भी परीक्षा इस चुनाव में होनी तय है। सिद्धू के साथ करीबी रिश्तों को लेकर परगट पहले से ही पार्टी के कैप्टन खेमे के टारगेट पर हैं। परगट मंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। अगर यहां पर कांग्रेस हारती है, तो जगबीर सिंह बराड़ मजबूत होंगे। क्योंकि उनकी टिकट काटकर परगट को कांग्रेस ने यहां से उतारा था।
जालंधर सेंट्रल हलके में राजिंदर बेरी भी चुनाव के शुरू से लेकर अंत तक चौधरी के साथ डटे रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के मनोरंजन कालिया ने अपनी टीम के साथ गठबंधन का जोरदार प्रचार किया है। सेंट्रल से कांग्रेस हारी, तो बेरी के लिए भी आने वाले समय में शहर की सियासत मुश्किल भरी हो सकती है। बेरी व मेयर के करीबी रिश्तों से पहले से ही तमाम कांग्रेसी नाराज चल रहे हैं। हार का ठीकरा मेयर पर फोड़ कर बेरी को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है। साथ ही कालिया कितने मजबूत हुए दो सालों में इसका भी अंदाजा लग जाएगा।
जिन मुद्दों पर शुरू हुआ चुनाव वह मतदान तक हवा में उड़ गए
विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों से लोकसभा चुनाव का मैदान सजने के बाद उठे मुद्दे मतदान वाले दिन तक हवा में उड़ गए थे। नशा, बेरोजगारी व पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप तथा विकास के मुद्दों में घिरी कांग्रेस की चुनावी नैया पार लगाने के लिए चौधरी संतोख सिंह ने स्मार्ट सिटी का मुद्दा उठा दिया था। अकाली-भाजपा उम्मीदवार चरणजीत सिंह अटवाल ने शुरू से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम को ही मुद्दा बनाकर खुद को जनता की अदालत में पेश किया था। इसे काउंटर करने के लिए चौधरी ने जीएसटी व नोटबंदी जैसे मुद्दों पर मोदी को घेरने की कोशिश की।
मतदान से एक सप्ताह पहले तक उम्मीदवारों की रणनीति कामयाब हो चुकी थी और जालंधर के मतदाता एक बार फिर पिछले इतिहास को दोहराते हुए उस रणनीति में फंस चुके थे। पूरे चुनाव में नशा व बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों की बात तो दूर शहर के विकास के मुद्दे गायब ही हो गए थे। इसी बीच जातीय समीकरण में मतदाताओं को उलझाने के बाद उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी चुनावी हार-जीत के आंकड़े तय करने शुरू दिए थे। अलग बात है कि छोटी बारादरी जैसे पॉश इलाकों सहित शहर की सैकड़ों कॉलोनियों की टूटी सड़कें व बजबजाते सीवरेज को सही करवाने की आवाज चुनावी शोरगुल में हवा में उड़ गई।
हलका मतदान प्रतिशत
फिल्लौर 65.54
नकोदर 61.50
शाहकोट 64.00
करतारपुर 63.80
जालंधर वेस्ट 65.20
जालंधर सेंट्रल 58.82
जालंधर नॉर्थ 64.15
जालंधर कैंट 60.00
आदमपुर 63.13
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