...जब पुलिस मुलाजिम बोेले- हेलमेट नहीं तां मास्क दा चलान ही कटवा लै, वादे च रहेंगा
पुलिस वालों ने एक बाइक सवार को रोका उसने मास्क पहना हुआ था और दस्तावेज भी पूरे थे। इस पर पुलिस मुलाजिम बोले तूं हेलमेट नहीं पाया ते फेर इसदा चलान तां बणदा ही ए।
जालंधर, सुक्रांत। शहर में कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए पुलिस ने चालान काटने की मुहिम शुरू की है। नियम तोडऩे पर पांच सौ से दो हजार रुपये तक का जुर्माना लग रहा है। जुर्माने की रकम रोज बढ़ती जा रही है। ऐसे में लगता है शायद अधिकारियों ने कोई निर्देश जारी किया है या चालान काटने की ललक पुलिस मुलाजिमों में बढ़ गई है और वे हर हाल में चालान काटना चाहते हैं।
शहर के बस्तियात क्षेत्र में खड़े पुलिस वालों ने बाइक सवार युवक को रोका। उसने मास्क पहना हुआ था और दस्तावेज भी पूरे थे। इस पर पुलिस मुलाजिम बोले तूं हेलमेट नहीं पाया ते फेर इसदा चलान तां बणदा ही ए। जब युवक ने कहा कि हेलमेट का चालान ना काटो, वैसे ही काम का बुरा हाल है तो पुलिस मुलाजिम बोले, हेलमेट नहीं, तां मास्क दा चलान ही कटवा लै, वादे च रहेंगा।
जुगाड़ च माहर निकले साडे साब
शहर में लंबे समय से बड़े अफसरों का तबादला नहीं हुआ तो सभी को जालंधर में ही रहना अच्छा लगने लगा। यहां से अधिकारियों को ऐसा प्यार हुआ कि कोई बाहर जाने की सोच भी नहीं रहा। बीते दिनों एक दम से तबादलों की आंधी चली तो शहर के दो एसीपी भी बदले गए। इनमें एक एसीपी ट्रैफिक हरबिंदर सिंह भल्ला तो दूसरे एसीपी मॉडल टाउन धर्मपाल थे।
कुछ दिनों तक तो दोनों शांत रहे लेकिन बाद में एकदम से दोनों का फिर से तबादला हुआ और दोनों ही वापस जालंधर में आ गए। एसीपी भल्ला के दफ्तर में ही काम करने वाले लोगों में इस बात की कानाफूसी होने लगी कि साहब जुगाड़ च बड़े माहर ने ते ऐसे करके ओह आप तां वापस आए ते नाल दे साब नूं वी लै के आए। ऐही जुगाड़ ते जलंधर दी कुर्सी दा मोह ऐहनां नूं बचा के रखदा।
आखिर पक्के हो ही गए थानेदार ...
वैसे तो हर थाने का एक पक्का थाना प्रभारी होता है। उसके छुट्टी पर जाने के बाद जिसे यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है, उसके लिए स्थिति सामान्य नहीं होती। ऐसे ही हालात कुछ समय पहले ही इंस्पेक्टर प्रमोट हुए भगवंत सिंह भुल्लर के थे। वह शहर के लगभग सभी थाना प्रभारियों के छुट्टी पर जाने के बाद उनकी जगह पर ड्यूटी निभाते, लेकिन थाने के इंचार्ज बन जाने के बावजूद उनके चेहरे पर खुशी नहीं होती थी।
कारण यह था कि थाने में कुछ दिन रहने के बाद जब छुट्टी पर गया थाना प्रभारी काम पर लौट आता तो उनके लिए बिना छत के मकान में रहने वाली स्थिति हो जाती। हाल ही में अब उनको थाना भार्गव कैंप में पक्के तौर पर प्रभारी लगा दिया गया तो उनके चेहरे की रौनक देखने लायक थी। बोले, हुण तां मैं वी पक्का हो गया। बार-बार इक थां तों दूजी थां भटकणा नहीं पैणा।
कोरोना ते जित मुलाजिमां दी बहादरी....
कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए अग्रिम श्रेणी के योद्धाओं में शामिल पुलिस वाले लोगों को बचाते-बचाते इसकी चपेट में आ गए। एक दो नहीं दर्जनों पुलिस वाले कोरोना वायरस का शिकार हो गए लेकिन किसी भी पुलिस कर्मी ने हिम्मत नहीं गंवाई। सीआइए स्टाफ के प्रभारी हरमिंदर सिंह भी अपनी टीम के कई साथियों के साथ कोरोना वायरस के शिकार हो गए।
इंस्पेक्टर हरमिंदर सिंह ने न तो खुद हिम्मत हारी और न ही अपने साथियों का हौसला नीचे आने दिया। इसका सिला यह मिला कि खुद भी ठीक हुए और अंदरूनी हिम्मत से उनके बाकी साथी भी ठीक हो गए। उन्होंने बाकी पुलिस मुलाजिमों की भी जमकर तारीफ की और उनसे कहा कि कोरोना ते जित साडे मुलाजिमां दी बहादरी ए, हर जंग जित्तण दी आदत ए पंजाब दे पुलिस मुलाजिमां नूं ते कोरोना वाले दुश्मन नूं भी आपां पंजाब विच हरा के ही रहांगे।