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तीन पीढ़ियों की आवाज में फिर गूंजी वारिस शाह की 'हीर', बेटे ने पिता व दादा संग कंपोज किया गाना

अमृतसर निवासी परिवार की तीन पीढ़ियों ने वारिस शाह की कालजयी रचना हीर की पंक्तियों को फिर से जीवंत कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 12:08 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 12:08 PM (IST)
तीन पीढ़ियों की आवाज में फिर गूंजी वारिस शाह की 'हीर', बेटे ने पिता व दादा संग कंपोज किया गाना
तीन पीढ़ियों की आवाज में फिर गूंजी वारिस शाह की 'हीर', बेटे ने पिता व दादा संग कंपोज किया गाना

जालंधर, [सुमित मलिक]। हीर आखदी वे जोगिया झूठ बोले, कौण विछड़े यार मिलवादां ए, ऐसा कोई न मिलेया वे मैं ढूंढ थकी, जेड़ा गेया नूं मोड़ लेयावांद ई... यह वारिस शाह की कालजयी रचना हीर की पंक्तियां हैं। ढाई सौ साल पहले जिस हीर के दर्द को वारिस ने कागज पर उकेरा, उसकी हूक आज भी है। न जाने कितने गायकों ने इसे अब तक आवाज दी है। कारण यही कि हीर के हर शब्द में कशिश है। एक बार फिर कुछ नए अंदाज में हीर गूंज रही है। इस बार तीन पीढ़ियों ने एक साथ इसे गाया है, जिसने सरहद पार पाकिस्तान तक धमाल मचा दिया है।

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अमृतसर निवासी 91 साल के मोहिंदर लाल, उनके बेटे 62 वर्षीय मुकेश मेहता और 29 वर्षीय पोते विपुल मेहता ने आज के हालात में महिला की वेदना को नए कलेवर में प्रस्तुत कर हीर-रांझा की अमर प्रेम कथा को फिर से जीवंत कर दिया है। यह हीर सादगी भरे संगीत की ताजगी और नएपन का अहसास करवाती है।

अमृतसर के रहने वाले इंडियन आइडल-6 के विजेता विपुल मेहता ने बताया कि उन्होंने हीर को सबसे पहले 10-11 साल की उम्र में अपने दादा मोहिंदर लाल मेहता से सुना। अकसर वे इसे घर में गुनगुनाते और वे बैठकर उसे सुनते। हीर का वह दर्द, वह बोल करीब दो दशक बाद भी उनके जेेहन में हैं।

लॉकडाउन के दौरान वर्ल्ड म्यूजिक डे के मौके पर बिना किसी स्टेज या लाइव परफार्मेंस के हीर को तीनों पीढ़ियों ने मिलकर घर की छत से नई आवाज दी तो सो़शल मीडिया से लेकर यूट्यूब तक धमाल मच गया। अब तक इसे लाखों लोग यूट्यूब, इंस्टाग्राम व फेसबुक पर देख-सुन चुके हैं और लाइक भी कर चुके हैं। हर किसी के कमेंट में सिर्फ एक ही बात - ‘सुकून मिल गया’। सलीम मर्चेंट व गुरदास मान भी इसकी तारीफ कर चुके हैं।

यहां से आया आइडिया

विपुल ने बताया कि लॉकडाउन व कोरोना न होता तो शायद हीर को ऐसे शूट न कर पाते। लॉकडाउन ने उन्हें आइसोलेशन का टाइम दिया। वह टाइम जिसे वे अपनों के साथ गुजार सकते थे। एक दिन ऐसे ही बैठे आइडिया आया कि उनके दादा जी की कोई याद नहीं हैं। कोई ऐसी आवाज नहीं है जिसे वे ताउम्र अपने साथ रख सकें। यहीं से हीर’ उनमें दिमाग में आई और उन्होंने दादा जी को इसके लिए तैयार किया। इसके बाद सोचा कि क्यों न पिता जी को भी इसमें लिया जाए। वैसे तो वे ज्वैलर हैं लेकिन कॉलेज के दिनों में वे स्टेज पर खूब गाते थे, इसलिए उन्होंने उन्हें भी साथ लिया।

उन्हें नहीं पता था कि ये हीर न जाने कितनों के दिलों को अपना बनाएगी। बकौल विपुल, हीर को शूट करने के लिए किसी खास पहरावे, प्रोफेशनल कैमरा या तैयारी नहीं की। सुबह वे तीनों छत पर ही बैठे और इस गाने को गाया। पत्नी ज्योति शाह ने इसे आइफोन से रिकॉर्ड किया। महज दो घंटे में शूट के बाद उन्होंने इसे वर्ल्ड म्यूजिक डे पर इसे यूट्यूब पर अपलोड भी कर दिया। तब से हीर लाखों लोगों के दिल को छू चुकी है।

जिसने सुना, बस हीर का होकर रह गया

बिना किसी प्रोफेशनलिज्म के हीर को ऐसे गाया गया है यह हर किसी को खुद से जोड़ती जा रही है। इनके बोल सुन मानो खुद वारिस शाह मोहित हो गए हों। सन् 1767 में जैसे वारिस शाह की इस हीर ने कई दीवानों को रांझा बनाया दिया, उसी तरह मेहता परिवार ने इस हीर से लाखों लोगों के दिल को छू लिया। यह भी गौरतलब है कि इन तीनों में विपुल के अलावा कोई भी प्रोफेशनल गायक नहीं, लेकिन जिस तरह का यह गीत कंपोज हुआ है, उसे सुनकर हर कोई मुग्ध हो जाता है।

बॉर्डर पार से भी हीर को मिल रहा काफी रिस्पांस

विपुल ने बताया कि बॉर्डर पार से भी हीर को काफी रिस्पांस मिला है। उनके दादा जी मूलरूप से पाकिस्तान में लाहौर के पास पट्टी के रहने वाले हैं। फेसबुक पर उर्दू में कई कमेंट आए। विपुल कहते हैं कि मुझे तो उर्दू नहीं आती लेकिन जब दादा जी को ये कमेंट पढ़ाए गए तो वे रो पढ़े। उन कमेंट्स में लिखा था कि इन रूहानी रूहों को हमारी तरफ से सलाम। दादा मोहिंदर लाल ने बताया कि इस उम्र में ऐसी शोहरत मिलेगी, उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।


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