एलपीयू के दीक्षा समरोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति बोले-युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति से जुड़े, मातृभाषा में करे बात
विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों से जोड़ा जाना चाहिए। युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और अपनी मातृभाषा का आदर करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, जालंधर : वर्तमान में शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों का ज्ञान देना जरूरी है। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों से जोड़ा जाना चाहिए। युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और अपनी मातृभाषा का आदर करना चाहिए। ये विचार उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में आयोजित 9वें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने मेधावी विद्यार्थियों को डिग्री वितरित की। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत सतश्री अकाल से की। उन्होंने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, लाला लाजपत राय, सुभाष चंद्र बोस, चंद्र शेखर, गुरु गोबिंद सिंह ने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दिया। चंद्रशेखर आजाद ने देश को आजाद करवाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि जीवन में तरक्की करने पर चार बातें हमेशा ध्यान में रखें। मा-बाप को हमेशा याद रखें और उनका सत्कार करें। दूसरा मातृभाषा को कभी भूलना नहीं चाहिए। पारिवारिक सदस्यों के साथ मातृभाषा में ही बात करनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विदेश में लोग एक-दूसरे से मातृभाषा में ही बात करते हैं। बच्चे की प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। बच्चे माता-पिता को मम्मी डैडी बोलते हैं। अगर मातृभाषा की बात करें तो बच्चे बेबे-बापू क्यों नहीं बोल सकते। गुरु का हमेशा सत्कार करना चाहिए। अगर गूगल आया है तो गूगल को चलाने के लिए गुरु का होना भी जरूरी है। मातृभूमि से हमेशा प्यार करें, देश की संस्कृति से हमेशा जुड़े रहें।
युवा देश की शक्ति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवा देश की शक्ति हैं। इसलिए युवाओं को पढ़-लिखकर अपनी अलग पहचान बनानी है। उन्होंने पंजाब में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के साथ-साथ बेटी बढ़ाओ की बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बेटिया किसी से कम नहीं है। हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही हैं, सशक्त बन रही हैं। इस अवसर पर एलपीयू के चासलर अशोक मित्तल, प्रो चासलर रश्मी मित्तल व अन्य उपस्थित थे।