विजिलेंस ने पूछताछ के लिए उठाया आरटीए का कारिंदा, बाद में छोड़ा
जागरण संवाददाता, जालंधर होशियारपुर-नवांशहर आरटीए के गनर एएसआइ रमेश चंद उर्फ हैप्पी से पूछताछ
जागरण संवाददाता, जालंधर
होशियारपुर-नवांशहर आरटीए के गनर एएसआइ रमेश चंद उर्फ हैप्पी से पूछताछ के बाद वीरवार को विजिलेंस ब्यूरो ने जालंधर आरटीए से जुड़े एक कारिंदे को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। पूछताछ के बाद उसे देर रात छोड़ दिया गया। संकेत मिले हैं, आने वाले दिनों में कुछ और कर्मचारियों से पूछताछ की जा सकती है। कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है।
बताया जा रहा है कि विजिलेंस रमेश की इनकम के स्त्रोतों की तलाश कर रही है, वीरवार को उठाया कारिंदा इसी पूछताछ का हिस्सा बताया जा रहा है। आधिकारिक रूप में विजिलेंस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन कारिंदे को हिरासत में लिए जाने से इन्कार भी नहीं किया है।
जालंधर विजिलेंस ब्यूरो ने एक ट्रांसपोर्टर की शिकायत पर 7 नवंबर को होशियारपुर आरटीए के गनर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। गनर काफी समय तक जालंधर में तैनात रहा था। यहां तैनात रहे अधिकारियों के साथ उसके करीबी संबंध बताए जा रहे हैं। उस पर जालंधर में तैनात रहे एक अधिकारी के नाम पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था। वह दो महीने पहले ही जालंधर से तबादला होकर होशियारपुर पहुंचा था।
सूत्रों के अनुसार पूछताछ में रमेश ने जालंधर आरटीए से संबंधित कई खुलासे किए हैं। एक करोड़पति बाबू का मामला चर्चा में में है। उसने मुंबई व नोयडा के सेक्टर-15 के साथ गुरुदासपुर जिले में बड़ा इनवेस्टमेंट किया है। एक अन्य कारिंदे की हिमाचल में कई करोड़ से बन रहे होटल की जानकारी मिली थी। पूछताछ में कई तथ्य सामने आने के बाद से जालंधर आरटीए में दिन में कारिंदे अपनी सीटों पर नहीं बैठ पा रहे हैं। वे अपने क्लाइंट्स के काम या तो शाम को पांच बजे के बाद दफ्तर खोलकर कर रहे हैं, या फिर छुंट्टी वाले दिन। बताया जा रहा है कि वीरवार को सरकारी दफ्तर में अवकाश होने पर भी दोपहर बाद कारिंदों ने कामकाज शुरू कर दिया था। इसी दौरान एक कारिंदे को विजिलेंस पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई।
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विजिलेंस के डर से बदली मुहर
विजिलेंस की दहशत से आरटीए में एक बाबू द्वारा आरसी के डॉक्यूमेंट में तीन सालों से गैरकानूनी ढंग से लगाई जा रही मुहर में सरकारी पद नाम हटा दिया है। इस बाबू का सरकारी सेवा के दौरान एक ही सीट पर दस साल से ज्यादा समय तक कब्जा रहा। दो साल के एक्सटेंशन के दौरान भी वहीं जमे रहे। अब ट्रांसपोर्ट वेलफेयर सोसायटी का कर्मचारी बनकर भी उसी सीट पर हैं। आरसी के डॉक्यूमेंट में आज भी ये बाबू अपने जूनियर असिस्टेंट के पद की मुहर का प्रयोग कर रहा था। नियमानुसार निजी कारिंदा सरकारी डॉक्यूमेंट तैयार तो कर सकता है, लेकिन सरकारी कागजातों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता है। विजिलेंस की रेड के बाद अब इस कर्मचारी ने डॉक्यूमेंट पर लगाई जा रही जूनियर असिस्टेंट की मुहर से जूनियर असिस्टेंट शब्द हटा दिया है।
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कोई भी कर्मचारी एक सीट पर इतनी लंबी अवधि तक नियमानुसार नहीं रह सकता है। ये गलत है। मेरी जानक ारी में ऐसा कोई मामला नहीं है। अगर कोई कर्मचारी इस तरह काम कर रहा है तो उसकी जांच कराई जाएगी।
-बीएस धालीवाल, असिस्टेंट स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, चंडीगढ़।
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