275 अवैध कालोनियों के खिलाफ विजिलेंस ने शुरू की जांच, अफसरों-कालोनाइजरों में मचा हड़कंप
विजिलेंस कालोनियों की मंजूरी के लिए आए आवेदनों को खंगालेगी। इससे निगम और जेडीए के अफसरों और कालोनाइजरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आरोप है कि निगम और जेडीए ने मंजूरी के लिए आए आवेदनकर्ताओं से फीस नहीं वसूली है। इससे जेडीए और निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ है।
जालंधर, जेएनएन। नगर निगम और जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी (जेडीए) के तहत आते इलाकों में बिना मंजूरी विकसित हुई अवैध कालोनियों की विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने जांच के पहले चरण में शिकायतकर्ता आरटीआइ एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह को अवैध कालोनियों के संबंध में दी शिकायत पर बयान दर्ज करवाने के लिए चंडीगढ़ बुलाया है।
बयान बुधवार को दर्ज होने हैं। सिमरनजीत ने नगर निगम के अधिकार क्षेत्र वाले इलाके में मंजूरी के लिए आई करीब 35 कालोनियों और जालंधर डेवलपमेंट अथारिटी के अधिकार क्षेत्र के इलाके में आई करीब 240 कालोनियों की शिकायत विजिलेंस से की थी। जेडीए के इलाके में जालंधर की 100, होशियारपुर की 115 और कपूरथला की करीब 25 कालोनियों को मंजूर करने के आवेदन आए हैं।
विजिलेंस इन सभी कालोनियों की मंजूरी के लिए आए आवेदनों को खंगालेगी। इससे निगम और जेडीए के अफसरों और कालोनाइजरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आरोप है कि निगम और जेडीए ने मंजूरी के लिए आए आवेदनकर्ताओं से फीस नहीं वसूली है। इससे जेडीए और निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ है।
आरटीआइ एक्टिविस्ट ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को 20 अगस्त 2020 को शिकायत दी थी। शिकायतकर्ता ने पहले सिर्फ जालंधर डेवलपमेंट अथारिटी के अधिकार क्षेत्र के इलाकों में विकसित हुई अवैध कालोनियों की शिकायत दी थी लेकिन बाद में अतिरिक्त शिकायत देकर निगम की हद में आती कालोनियों की भी जांच मांगी है। यही नहीं रेगुलराइजेशन पालिसी आने के बाद विकसित हुई कालोनियों की जांच की भी मांग की गई है।
हालात : डेढ़ साल से नहीं हुई वसूली
पंजाब सरकार ने अवैध कालोनियों को रेगुलर करने के लिए 18 अक्टूबर 2018 को रेगुलराइजेशन पॉलिसी जारी की थी। इसके तहत 19 मार्च 2018 से पहले बनी सभी कालोनियों को शर्तों के अनुसार नियमित किया जाना है। इसी पालिसी के तहत करीब 270 कालोनियों को मंजूर करने नगर निगम और जेडीए को आवेदन मिले थे। आवेदन के साथ 10 प्रतिशत फीस और एक महीने बाद 15 प्रतिशत फीस जमा करवाने का नियम है।
बाकी 75 फीसद फीस डेढ़ साल में तीन किस्तों में चुकानी थी। आरटीआइ एक्टिविस्ट का आरोप है कि जेडीए के तहत आते इलाकों जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला में कालोनाइजरों ने पेंडिंग फीस नहीं चुकाई। इससे जेडीए और निगम को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। सिमरनजीत सिंह का आरोप है कि इसमें अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है और सभी की जांच होनी चाहिए।
लापरवाही: नियमित न होने वाली कालोनियों पर भी कार्रवाई नहीं
सिमरनजीत सिंह ने यह सवाल उठाया है कि जो कालोनियां पालिसी के तहत रेगुलर नहीं हो सकती उन पर क्या कार्रवाई की गई। आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है कि ऐसी कालोनियों को विकसित करने से रोकना था और जुर्माना वसूला जाना था। जेडीए और निगम ने अभी तक नहीं बताया कि मंजूरी के लिए कितने आवेदन आए थे और इनमें से कितने रेगुलर करने के लिए ठीक पाए गए हैं। जो आवेदन रद हुए हैं उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
रोष : निगम की बिल्डिंग कमेटी भी फीस वसूली न होने से नाराज
निगम की टाउन प्ला¨नग एंड बिल्डिंग एडहॉक कमेटी भी बार-बार यही मुद्दा उठा रही है। बिल्डिंग कमेटी ने बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों से यह रिपोर्ट मांगी हुई है कि जिन कालोनियों को मंजूर करने के लिए आवेदन आए हैं उनसे आवेदन के साथ दी गई 10 प्रतिशत राशि के अलावा पेंडिंग 90 प्रतिशत राशि की वसूली क्यों नहीं की जा रही है। निगम की बिल्डिंग ब्रांच इन सवालों को टाल रही है। इससे पिछली मीटिंग में कमेटी चेयरमैन और सदस्यों ने अफसरों से नाराजगी जताते हुए मीटिंग का बायकाट कर दिया था।
सुझाव : बिल्डिंग कमेटी बोली-वन टाइम सेटलमेंट पालिसी जारी करवाई जाए
निगम की बिल्डिंग एडहॉक कमेटी ने मंगलवार को मेयर और कमिश्नर को ज्ञापन देकर मांग की है स्थानीय निकाय विभाग से बिल्डिंग रेगुलर करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी जल्द जारी करवाई जाए। नक्शा, एनओसी सीएलयू ऑनलाइन अप्लाई करने के साथ-साथ ऑफलाइन आवेदन करने की मंजूरी भी दी जाए। कमेटी के सदस्यों ने कहा कि इससे लोगों को राहत मिलेगी और निगम को विकास के लिए करोड़ों रुपये का बड़ा फंड मिल जाएगा।