पिता के अाशीर्वाद व मेहनत से वरुण मेहता ने पाया मुकाम, अब बना रहे 300 से ज्यादा प्रकार के जूते
नीविया के डायरेक्टर वरुण मेहता बताते हैं कि दयानंद माडल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद डीएवी कालेज से ग्रेजुएशन की और जूते बनाने का कोर्स किया। तकनीकी तौर पर इस काम में खुद को प्रशिक्षित करने के बाद हमने जालंधर के लेदर कांप्लेक्स में पहली फैक्ट्री खोली।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। मेरे पिता सतीश मेहता जी एलआइसी में काम करते थे। साथ ही 1949 से उन्होंने जूते बनाने का काम शुरू किया था। मैने उनके व्यवसाय को 1993 में ज्वाइन किया था। पहले हमारी छोटी फैक्ट्री होती थी। पिता के आशीर्वाद व अपनी मेहनत और नीविया के संचालक राजेश खरबंदा जी की लीडरशिप में मैने जूते बनाने के काम में महारथ हासिल की। आज हम अपनी नीविया फैक्ट्री में 300 से ज्यादा प्रकार से जूते बना रहे हैं।
नीविया के डायरेक्टर वरुण मेहता बताते हैं कि दयानंद माडल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद डीएवी कालेज से ग्रेजुएशन की और जूते बनाने का कोर्स किया। तकनीकी तौर पर इस काम में खुद को प्रशिक्षित करने के बाद हमने जालंधर के लेदर कांप्लेक्स में पहली फैक्ट्री खोली। सन 2000 में लेदर कांप्लेक्स में खुलने वाली हमारी पहली फैक्ट्री होती थी। कुछ समय बाद हमने देशी बाजार में अपने उत्पादों की सप्लाई के साथ-साथ जूतों का एक्सपोर्ट भी शुरू कर दिया।
वरुण कहते हैं आज हमें खुशी होती है कि दुनिया भर के तमाम देशों के खिलाड़ियों के साथ भारतीय खिलाड़ी जब खेल के मैदान में हमारे जूते पहनकर उतरते हैं। हमने कभी भी गुणवत्ता व कंफर्ट से किसी भी प्रकार कोई समझौता नहीं किया। यही वजह रही कि खेल के बाजार में हमारे उत्पादों ने अपनी अलग पहचान बनाई। आज हम लोग फुटबाल, बैडमिंटन, बास्केटबाल, वालीबाल, रेसलिंग व बाक्सिंग सहित तमाम खेलों में खिलाड़ियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले जूतों को पूरी रिसर्च के बाद तैयार कर रहे हैं।
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तीन से लेकर हर उम्र के खिलाड़ियों के बनाते हैं जूते
वरुण बताते हैं कि उनकी फैक्ट्री में तीन साल की आयुवर्ग से लेकर सभी आयु वर्ग के खिलाड़ियों के लिए जूते तैयार किए जाते हैं। जूतों को तैयार करने से पहले कंपनी की रिसर्च टीम द्वारा बाकायदा तैयार होने वाले उत्पादों पर रिसर्च की जाती है। इनमें खिलाड़ियों के कंफर्ट व उनके प्रदर्शन को हम शामिल करते हैं। साथ गी विभिन्न रंगों में जूतों को तैयार करने से पहले उनकी फोटोग्राफी करवाते हैं।
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सबसे अच्छा है जालंधर का कल्चर
वरुण बताते हैं जालंधर का कल्चर सबसे अच्छा है। पंजाब के तमाम शहरों के मुुकाबले जालंधर का कच्लर उन्हें काफी पसंत है। यहां पर सभी एक दूसरे का मान सम्मान करते हैं। ईमानदारी व मेहनत से काम करने वालों के लिए इस शहर में काफी मौके हैं। जालंधर में सफाई व प्रदूषण का बुरा हाल हो रहा है। इसे लेकर सभी को गंभीर होने की जरूरत है।
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युवा टारगेट पर काम करने की आदत डालें
वरुण कहते हैं आज के युवा में उत्साह की कमी नहीं हैष उन्हें टारगेट को समझकर उसी पर फोकस करना होगा। युवा अपने अच्छे या बुरे सक्रिल के कारण कई बार गुमराह हो जाते हैं। समय बहुत इंपोर्टटेंस रोल प्ले करता हैष इस बात को सभी युवाओं को समझना चाहिए। इसलिए समय बर्बाद किए बिना अरने टरगेट को पूरा करने की कोशिश करें।
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कोरोना को लेकर सतर्क रहें
शहरवासियों के लिए वरुण कहते हैं कि अभी कोरोना खतम नहीं हुआ है। इसलिए इसे लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। हमें एकजुट होकर कोरोना को हराना है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम पहले खुद की सुरक्षा करें और दूसरों को भी इसे लेकर जागरुक करें। हर काम हम सरकार पह नहीं छोड़ सकते हैं। अपनी जिम्मेवारियों को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। कोरोना से सभी देश जुुझ रहे हैं। हम निश्चित तौरपर इसपर जीत हासिल कर लेंंगे। जैसे सभी ने चार महीनों में धैर्य व सुुरक्षा के साथ इसका मुकाबला किया है वैसे ही थोड़ा समय और धैर्य तथा सुरक्षा जरूरी है।