जालंधर के विरसा विहार में अर्बन ग्रीन फ्यूचर्स की वंदना ने बागवानी की नई तकनीक से करवाया रूबरू
बागवानी की नई तकनीक का उपयोग करके पानी बचाया जा सकता है। इसके साथ ही बहुत कम जगह में ऑर्गेनिक सब्जियां उगा कर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे एक तो घर की सुंदरता में निखार आता है और दूसरा ऑर्गेनिक सब्जियां घर में ही तैयार हो जाती हैं।
जालंधर, जेएनएन। मिट्टी से जुड़े रहने के लिए व कुदरत के प्रति जागरूक करने के लिए विरसा विहार में बागवानी की नई तकनीक से रूबरू करवाने के लिए वर्कशाप का आयोजन करवाया गया। इसमें अर्बन ग्रीन फ्यूचर्स की वंदना ने बागवानी के नई तकनीकों के बारे में पूरी जानकारी दी। उन्होंने घर व दीवारों को हरे-भरे पौधों से सजाने और घरेलू बगीची के द्वारा जैविक सब्जियों को उगाने के लिए लोगों को प्रेरित भी किया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि बागवानी की नई तकनीक का उपयोग करके पानी बचाया जा सकता है। इसके साथ ही बहुत कम जगह में ऑर्गेनिक सब्जियां उगा कर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे एक तो घर की सुंदरता में निखार आता है और दूसरा ऑर्गेनिक सब्जियां घर में ही तैयार हो जाती हैं।
इस तकनीक का उपयोग करके वह लोग भी अपने घर में हरियाली ला सकते हैं जिनके पास जगह नहीं है लेकिन ऑर्गेनिक सब्जियां उगाने का शौक रखते हैं। रबी और खरीफ सीजन के बीच के तीन महीने की अवधि में दलहनी फसलें मूंग और उड़द की खेती के साथ तिलहनी सूरजमुखी की खेती भी होती है। इसके साथ सीजनल सब्जियों और फलों की खेती भी की जाती है। परंपरागत फसलों की खेती के साथ इन फसलों से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है।
जायद सीजन के दौरान आमतौर पर बरसात नहीं होती है। इस दौरान फलदार पेड़ आम, लीची में सेब फूल आने लगते हैं, जबकि अंगूर और अन्य फसलों की तैयारियां तेज हो जाती है। इसी मौसम की सीजनल फल खरबूजा, तरबूज, ककड़ी और अन्य फसलें लगाई जाती है, जो बहुत कम समय में फल देने लगती हैं। इसी दौरा गरमी सीजन वाली सब्जियां भी तैयार होती हैं। इसमें सीताफल, लौकी, तोरी और अन्य सब्जियां तैयार होती है, जो किसानों की आमदनी का यह सबसे अच्छा समय होता है।