कुमाउंनी गीत-संगीत और वेशभूषा में दिखी उत्तराखंड की संस्कृति
कमाउं मंडला कोटि-कोटि प्रणाम हो, कमाउं का वीर है हम, देव भूमि का लाल हम. जैसे लोकगीत के जरिये उत्तराखंड की संस्कृति की झलक दिखाई गई।
जागरण संवाददाता, जालंधर : कुमाऊं विकास मंडल जालंधर के 20वें वार्षिक कार्यक्रम में उत्तराखंड की संस्कृति की झलक दिखाई गई। कमाऊं मंडला कोटि-कोटि प्रणाम हो, कुमाऊं का वीर है हम, देव भूमि का लाल हम... जैसे लोकगीतों के जरिये कार्यक्रम में मौजूद लोगों को भावविभोर कर दिया गया।
सत्यनारायण भगवान की कथा से समारोह की शुरुआत की गई। इसके बाद बाल प्रतियोगिता करवाई गई, जिसमें उत्तराखंड की संस्कृति से संबंधित प्रश्नोतरी के जबाव बच्चों ने दिए। सांस्कृतिक कार्यक्रम में मेयर जगदीश राजा, पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया, एमएलए राजिंदर बेरी ने मुख्य मेहमान के तौर पर शिरकत की। विधायक राजिंदर बेरी ने कुमाउं विकास मंडल को एक लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा भी की। विपिन देव व उनकी टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के शानदार पेशकश दी। गायक बिशन सिंह हरियाला, नंद लाल आर्या, प्रेम बिष्ट, नरिया रावत ठेठ पहाड़ी, रवि चंद्र, रज्जु सूरज, बसंती बिष्ट, कविता देव तथा कोमल राणा ने गायकी से समां बांधा। हास्य कलाकार शिबु रावत ने लोगों को खूब हंसाया।
इस मौके पर चाचा रौनकी राम फेम बलविंद्र विक्की, पार्षद नीलम रानी, जितेंद्र जौनी, पार्षद मनदीप जस्सल, पार्षद बलराज ठाकुर, आरसीएफ कपूरथला की डिपो सामग्री के अधीक्षक तिरलोक सिंह नेगी, कर्नल डीएस बिष्ट, लेफ्टीनेंट कर्नल महिन्द्र रौतेला, लवली सेनिटेशन के एमडी विकास अग्रवाल, ह्यूमन राइट्स ऑल इंडिया की चेयरमैन उषा रानी, गढ़वाल सभा के प्रधान कुंदन सिंह गोसाईं व उत्तराखंड की समस्त सभाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। इसके अलावा कुमाउं विकास मंडल के सभापति बालम सिंह रावत, प्रधान अंबादत्त रिखाड़ी, महासचिव सोवन सिंह रावत व अन्य सदस्य मौजूद रहे।
बाल प्रतियोगिता में लड़कियों ने मारी बाजी
उत्तराखंड की संस्कृति से संबंधित जानकारी के लिए 6वीं से लेकर 10वीं कक्षा तक के उत्तराखंड के विद्यार्थियों ने भाग लिया। 25 बच्चों की लिखित प्रतियोगिता करीब एक घंटे तक चली। इसमें पहला स्थान सोनिया नेगी, दूसरा स्थान मुन्नी रावत तथा तीसरा स्थान विनिता तुलेरा को मिला। बाकी लड़कियों ने भी परीक्षा में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया। परंपरा को लोकगीतों के जरिये किया पेश कार्यक्रम के दौरान स्टेज पर हुई हर परफॉर्मेंस बेहद शानदार दी। श्री गणेश की पूजा, शिव तांडव, माता के भजन सब कुमाऊंनी भाषा में पेश किए गए। लोकगीतों के जरिये भी पंजाब में रह रहे उत्तराखंड के लोगों को अपनी संस्कृति की पहचान करवाई। संगीत के साथ साथ पहरावे और आभूषणों में भी उत्तराखंड की परंपरा नजर आई।