स्वच्छता सर्वे के लिए निगम ने 30 पक्के डंप खत्म किए तो बिना मंजूरी 100 नए बन गए
शहर से नोटिफाइड कूड़े के डंप बंद किए तो उसके बदले में तीन गुना अवैध डंप बन गए।
जागरण संवाददाता, जालंधर : स्वच्छ भारत मिशन सर्वे में नंबर हासिल करने के लिए निगम ने पिछले चार साल में शहर से नोटिफाइड कूड़े के डंप बंद किए तो उसके बदले में तीन गुना अवैध डंप बन गए। अब इन डंपों को संभालना निगम के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। इस समय शहर में निगम के नोटिफाइड डंप की गिनती करीब 30 है लेकिन बिना मंजूरी शहर के अलग-अलग इलाकों, खासकर बाहरी एरिया में 100 से ज्यादा डंप बन गए हैं। ऐसे में निगम की गेम उल्टी पड़ गई है। वेस्ट मैनेजमेंट के लिए निगम का कोई भी दांव काम नहीं कर रहा है। पिट्स प्रोजेक्ट पर भी काम जरूर चल रहा है लेकिन इसका नतीजा शून्य है। कूड़े की सेग्रीगेशन की मुहिम भी सफल नहीं हो पा रही।
अधिकृत डंप कम करने का असर यह हुआ है कि रैग पिकर्स को कूड़ा फेंकने के लिए जगह नहीं मिल रही। रैग पिकर्स घरों से कूड़ा तो उठाते हैं लेकिन दूर के डंपों पर ले जाना आसान नहीं है इसलिए इलाके में ही खाली जगहों पर कूड़े का डंप बना देते हैं। ऐसे डंप बाहरी इलाकों में ही ज्यादा हैं क्योंकि वहां ओपन स्पेस काफी है और कूड़ा फेंकने में कोई रुकावट नहीं आती। इसी कारण शहर में 100 से ज्यादा अवैध डंप बन गए हैं। निगम के पास जो गाड़ियां हैं वह नोटिफाइड डंप से कूड़ा उठाने के लिए ही हैं लेकिन बिना मंजूरी बने डंप से भी कूड़ा तो उठाना ही पड़ेगा। इससे मुश्किल इसलिए बढ़ गई है क्योंकि बिना मंजूरी बने डंप अव्यवस्थित हैं और मोहल्लें में बने हैं। इससे गाड़ियों का पहुंचना मुश्किल होता है। यह डंप कई दिन तक साफ नहीं हो पाते। ये है नियम : मेन रोड पर नहीं हो सकते डंप
स्वच्छ भारत के नियमों के अनुसार मेन रोड पर डंप नहीं हो सकते। खासकर कोई भी ऐसा डंप नहीं होना चाहिए जो लोगों को नजर आए। डंप को पूरी तरह से कवर करना जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। नगर निगम ने डंपों को कवर करने का काम शुरू किया था लेकिन दो-तीन डंप कवर करने के बाद काम रुक गया। टीवी सेंटर के सामने, नकोदर रोड पर स्कूल के बाहर, ज्योति नगर, मॉडल टाउन, फुटबॉल चौक, जोशी अस्पताल, 120 फुट रोड समे सभी प्रमुख डंप ओपन में हैं। शहर में डंप साइट काफी कम हैं। इसमें टाउन प्लानिग विग की भी कमी है क्योंकि जब भी कहीं कालोनियां विकसित की गई वहां पर वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जगह नहीं छोड़ी जाती। इसके बावजूद यह कोशिश है कि डंप की गिनती कम की जाए।
श्रीकृष्ण शर्मा, हेल्थ अफसर, निगम स्वच्छ भारत मिशन के सेग्रीगेशन सिस्टम से हर घर से गीला और सूखा कूड़ा उठाया जाना है। इस पर काम चल रहा है। ई-रिक्शा खरीदे जा रहे हैं ताकि घरों से कूड़ा इक्ट्ठा करके सीधा डंप पर भेजा जा सके। इससे बिना मंजूरी डंप खत्म होते जाएंगे।
करनेश शर्मा, निगम कमिश्नर