तुलसी पूजन को लेकर युवाओं में भी बढ़ रहा क्रेज, जानिए धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से क्यों अहम है यह पौधा
दलते दौर में अब युवा पीढ़ी का रुझान भी तुलसी पूजन की तरफ बढ़ने लगा है। तुलसी एक औषधिक पौधा है जो कि शरीर के कई रोगों को दूर करता है। तुलसी में तनावरोधक बिमारीरोधक तत्व भरपूर मात्रा में होते है।
जालंधर, [प्रियंका सिंह]। त्योहारों का सीजन चल रहा है और ऐसे में हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक मास में एकादशी व्रत एवं तुलसी विवाह बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। शहर के मंदिरों में लोग एकजुट होकर तुलसी माता का विवाह भगवान तुलसा जैसे कर रहे हैं। इस दिन कि यह मान्यता है कि जिन लोगों की बेटी नहीं है वह अपनी कन्यादान पुण्य की इच्छा को पूरी करने के लिए तुलसी माता का विवाह कर उनका कन्यादान करते हैं। इस दिन को लोग त्योहार की तरह मनाते हैं। बदलते दौर में अब युवा पीढ़ी का रुझान भी तुलसी पूजन की तरफ बढ़ने लगा है। सुबह उठकर नहा-धोकर तुलसी को जल देते हैं एवं पूजा अर्चना करते हैं। जहां लोग अपने मन की मुरादे पूरी करने के लिए तुलसी माता की पूजा करते हैं तो वहीं सेहत प्रति लाभ लेने के लिए भी तुलसी बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।
प्राचीन काल से ही तुलसी की बहुत मान्यता रही है। यह एक औषधिक पौधा है जो कि शरीर के कई रोगों को दूर करता है। भारत में तुलसी को देवी का रुप मानकर इसकी रोजाना पूजा भी की जाती है। तुलसी सदाबहार पौधा है जिसके अनेक फायदे हैं। इसके अंदर बहुत से पौष्टिक गुण पाए जाते हैं, जो छोटी बीमारी से लेकर बड़ी बिमारी को ठीक करने में लाभदायक सिद्ध हुए हैं। सर्दियों में खांसी, जुकाम जैसी समस्याएं आम ही होती हैं। इस दौरान लोग तुलसी का घरेलू उपाए कर ऐसी बीमारियों से निजात पा रहे हैं। तुलसी में तनावरोधक, बिमारीरोधक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अत्याधिक गुणी के कारण तुलसी का पौधा भारत के हर घर में पाया जाता है। तुलसी के पत्ते देवी देवताओं को भी अर्पण किए जाते हैं और प्रसाद के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता है।
तुलसी माता के विवाह का महत्त्वः
प्राचीन कथा के मुताबिक तुलसी विवाह का प्राचीन इतिहास उस समय से जुड़ा हुआ है। जब भगवान शंकर का जलंधर नाम का एक अंश देवी वृंदा यानी तुलसी से शादी कर अमर होना चाहता था। लेकिन भगवान विष्णु ने राक्षस का विनाश करने के लिए उसकी इस इच्छा को पूरा नहीं होने दिया और देवी वृंदा से भगवान विष्णु ने स्वयं विवाह किया। तब से हिंदू पंचांग की तिथि के मुताबिक हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवी वृंदा यानी तुलसी जी का विवाह तुलसा जी यानी भगवान विष्णु से किया जाता है।
तुलसी के अनेक फायदे:
तुलसी हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसके अंदर हर बिमारी से लड़ने की क्षमता है। इसके उपयोग से विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाई जाती है। तुलसी वाली चाय रोजाना पीने से सिर दर्द, खांसी, जुकाम, थकावट व बुखार जैसी समस्या से राहत मिलती है। एक गिलास पानी में तुलसी के पत्ते, काली मिर्च पाउडर मिला कर काढ़ा बनाकर पीने से भी शरीर को कई फायदे मिलते है।दवाई खाने से अच्छा है कि तुलसी का सेवन करें क्योंकि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
तनाव को करता है दूर:
भागदौड़ की जिंदगी में अपने काम को लेकर आज के समय में लोग अक्सर तनाव में रहते हैं। वो ऐसी स्थिति में दवाईयों का सेवन करते हैं जो कि शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। इससे मुक्ति पाने के लिए तुलसी अति उत्तम है। रोजाना सुबह 10 से 12 पत्ते गर्म पानी में धो कर खाने से तनाव की समस्या दूर की जा सकती है।
ठंड से बचाती है:
कई लोगों को सर्दियों में बहुत ठंड लगती है। जिस वजह से वो बीमार पड़ जाते है। इससे बचने के लिए तुलसी का एक अहम योगदान होता है। जिन्हें बहुत ठंड लगती हो वो रोज दुध में तुलसी के पत्तेे उबाल कर पिएं। इससे शरीर को गर्माहट मिलती है।
आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद:
तुलसी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें विटामिन-ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो आंखों की रोशनी के लिए लाभदायक औषधि है। इसका सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और इसमें होने वाली जलन से भी छुटकारा मिलता है।
प्रेग्नेंसी के लिए उत्तम:
महिलाओं में कई बार प्रेनेंसी के दौरान खून की कमी पाई जाती है। ऐसी स्थिति के समय औरतों को रोज तुलसी का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से गर्भवती महिलओं की खून की कमी की समस्या दूर हो जाती है।
त्वचा में लाए निखार:
चेहरे में निखार लाने के लिए भी तुलसी बहुत गुणकारी साबित होती है। नींबू और तुलसी का लेप बनाकर हफ्ते में दो बार चेहरे पर लगाने से सुंदरता में निखार आता है। इससे दाग धब्बे व फुंसियों से निजात पाया जा सकता है और टैनिंग की परेशानी भी दूर होती है।