डीजल की कीमत मुताबिक नहीं भाड़ा, ऑपरेर्ट्स ने ट्रक खड़े किए
डीजल की आसमान छूती कीमत के मुताबिक भाड़ा नहीं मिल पा रहा है और ऑपरेर्ट्स ने वित्तीय नुकसान से बचने की कवायद में ट्रक ही सड़कों से उतार कर खड़े कर लिए हैं।
मनुपाल शर्मा, जालंधर : डीजल की आसमान छूती कीमत के मुताबिक भाड़ा नहीं मिल पा रहा है और ऑपरेर्ट्स ने वित्तीय नुकसान से बचने की कवायद में ट्रक ही सड़कों से उतार कर खड़े कर लिए हैं। डीजल की कीमत 72 रुपए प्रति लीटर से भी महंगी हो गई है और थमने का नाम नहीं ले रही है। ट्रक ऑपरेर्ट्स का तर्क है कि कीमत कहीं जाकर खड़ी हो तभी तो भाड़ा भी निर्धारित किया जा सके। अगर डीजल की आज की कीमत के मुताबिक भाड़ा माग रहे हैं तो मिल नहीं रहा और अगले ही दिन डीजल की कीमत में फिर बढ़ोतरी हो रही है। ऑपरेर्ट्स का कहना है कि अगर डीजल की कीमत मुताबिक भाड़ा नहीं मिलेगा, तो आपरेटर अपनी जेब से डीजल डलवा कर ढुलाई नहीं कर सकते। एक अनुमान के मुताबिक डीजल की मौजूदा कीमत के मुताबिक प्रत्येक 2 हजार के डीजल के पीछे लगभग 10 लीटर डीजल कम हो गया है। ऑल ट्रक ऑपरेर्ट्स यूनियन के अध्यक्ष हैप्पी संधू ने कहा कि पंजाब की इकॉनिमी ही कृषि आधारित है और सरकार इसे भूल रही है। कृषि आधारित इकॉनिमी की रीढ़ डीजल है, लेकिन सरकार इस पर भी टैक्स लगा कर महंगा बेच रही है। हैप्पी संधू ने आशका जाहिर की कि अभी तक तो किसी तरह से ट्रक ऑपरेटर किसी तरह से गाड़ी चला रहे हैं, लेकिन 20 सितंबर के बाद तो हालातों का मुश्किल होना तय ही है। धान की ढुलाई शुरू होनी है। सरकार के साथ जिस रेट पर एग्रीमेंट तय हुआ है, उस मुताबिक तो ढुलाई करनी पड़ेगी, लेकिन शैलर मालिकों के लिए नए रेट ही निर्धारित करने पड़ेंगे। इसके अलावा सब्जी, अनाज आदि की ढुलाई भी नए रेट पर ही करना होगी। बिना भाड़ा बढ़ाए ट्रक ऑपरेर्ट्स को ट्रक चलाना असंभव ही है और इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार है। हैप्पी संधू ने कहा कि अन्य ट्रक ऑपरेर्ट्स की बात छोड़ भी दें, उन्होंने तो अपने ही ट्रक खड़े कर दिए हैं। लोग पेट्रोल पंप संचालकों से बहस रहे
पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन (पीपीडीए), पंजाब के प्रवक्ता मौंटी गुरमीत सहगल ने कहा कि हैरानीजनक तथ्य है कि अर्बन माने जाने वाले चंडीगढ़ में डीजल ग्रामीण पंजाब से अढ़ाई रुपए प्रति लीटर महंगा बिक रहा है। यह सब पंजाब सरकार की टैक्स वसूली की वजह से ही है। उन्होंने कहा कि लोग पेट्रोल पंप संचालकों से आकर बहस रहे हैं कि अब की बार एवरेज में फर्क पड़ गया। लोग यह नहीं समझ रहे कि उन्होंने तो अपने बजट मुताबिक ही तेल डलवाया, जितना वे पहले डलवा रहे थे, लेकिन अब उतने पैसों में तेल मंहगा होने की वजह से मात्रा कम हो गई है। मौंटी गुरमीत सहगल ने कहा कि सरकार को तो कई दिन पहले चेत जाना जाहिए था, लेकिन अब तो पंजाबियों का खासा वित्तीय मुकसान हो चुका है। पैट्रोलियम व्यवसाय पड़ोसी राज्यों के कम टैक्स होने की वजह से बुरी तरह से पिट गया है।