सड़क पर न दिखा नाका व न हुई चेकिंग, पुलिस की सुस्ती से नियमों पर नहीं दे रहे ध्यान Jalandhar News
बस कभी गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू तो कभी सूर्या एन्क्लेव की गलियों में ही घूमती दिखी। इस पूरे प्रकरण के दौरान कोई भी नाका नहीं दिखा और बस बिना रोकटोक के दौड़ती रही।
जालंधर, जेएनएन। सड़क पर बच्चों की सुरक्षा का मापदंड पूरा नहीं करने वाली बसें ओवरलोड होकर दौड़ रही हैं। ऐसे में बच्चों का सफर खतरों से भरा है। हैरानी की बात तो यह है कि अभिभावक भी बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ होता देखकर भी अनजान बने हैं। सड़क वाहन सुरक्षा के तहत स्कूल बसों में बच्चों के हिसाब से सीटें होनी चाहिए, ताकि झटका लगने पर भी बच्चों को कोई नुकसान न हो।
बस की खिड़कियों के आगे लोहे की ग्रिल होनी चाहिए, बस के पीछे ड्राइवर की शिकायत व सुझाव देने के लिए हेल्पलाइन नंबर होना जरूरी है। बस में महिला अटेंडेंट का होना लाजमी है। इन सभी नियमों पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है, क्योंकि इन पर नजर रखने वाला पुलिस प्रशासन भी सुस्ती की चाल चल रहा है। कोई हादसा हो तो एक-दो दिनों की हरकत के बाद काम फिर से पुराने ढर्रे पर चलने लगता है। यही सच्चाई जानने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने स्कूल वाहनों के पीछे 13 किलोमीटर का सफर तय किया और रिपोर्ट तैयार की।
कहीं भी नहीं दिखा नियमों का पालन
टीम डिफेंस कॉलोनी से कैंट रोड पहुंची। इस रोड पर सेंट जोसेफ और सेवंथ डे एडवेंटिस्ट स्कूल हैं। यहां बच्चों को ले जाने के लिए बसें खड़ी थीं। दोनों स्कूलों में छुट्टी होते ही सड़क पर भी जाम लग गया। इसमें करीब दस बसें तो ऐसी थीं, जो नियमों के अनुसार तो सड़क पर दौड़ ही नहीं सकती थी। ड्राइवर उसमें बच्चों को चढ़ा रहे थे। इनमें से चार तो सफेद टैंपो ट्रैवलर थे और तीन पर महज पीला रंग करके इतिश्री कर दी गई। एक टैंपों ट्रैवलर में तो नंबर प्लेट ही नहीं लगी थी। कई वाहनों में न ही खिड़कियों पर बच्चों की सेफ्टी के लिए ग्रिल थी और न ही अटेंडेंट। बस के पीछे कोई हेल्पलाइन नंबर भी नहीं लगा था।
यहां से बस चली तो डिफेंस कॉलोनी के अंदर सेंट जोसेफ कोएड स्कूल के बाहर खड़ी हो गई। यहां से चलने के बाद बस बीएसएफ चौक से होते हुए गुरु नानकपुरा फाटक पहुंची। चौगिट्टी चौक के पेट्रोल पंप से तेल भराने के बाद बस गलत दिशा से चौगिट्टी फ्लाईओवर पर चढ़ गई। फ्लाईओवर से उतरने के बाद बस करोल बाग गई। यहां से एक बच्चे को उतारकर बस सूर्या एन्क्लेव अंडरपाथ की तरफ गई और दो बच्चों को उतारा गया। बस में कोई अडेंटेंट तो नही था, ऐसे में एक लड़की ही अन्य बच्चों को उतारने के लिए सड़क पर उतरी।
नहीं दिखा कोई नाका
बस कभी गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू तो कभी सूर्या एन्क्लेव की गलियों में ही घूमती दिखी। इस पूरे प्रकरण के दौरान कोई भी नाका नहीं दिखा और बस बिना रोकटोक के दौड़ती रही।
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