ये हैं 'केसरी' के वीर सिख सैनिक... जिन्होंने फिल्म में अफगानियों को टक्कर दे सपनों को लगाए पंख
हाल में रिलीज हुई अक्षय कुमार अभिनीत बॉलीवुड फिल्म केसरी में पंजाब के तीन कलाकारों ने भी दमदार भूमिका निभाई है।
जालंधर। हाल में रिलीज हुई अक्षय कुमार अभिनीत बॉलीवुड फिल्म केसरी में पंजाब के तीन कलाकारों ने भी दमदार भूमिका निभाई है। सारागढ़ी की लड़ाई पर आधारित इस फिल्म में पंजाब के कलाकार सिख सैनिकों की भूमिका में हैं। इन कलाकारों में फरीदकोट जिले के गांव करीरवाली निवासी युवक रंगदेव सिंह व हैरी बराड़ तथा मोगा के कस्बा बाघापुराना के पाली संधू शामिल हैं।
कुछ बड़ा करने के सपने के लिए हैरी ने छोड़ दी सरकारी नौकरी
केसरी फिल्म में सिख सैनिक सुंदर सिंह का किरदार निभाने वाले हैरी बराड़ को भी शुरू से ही फिल्मों में जाने का शौक था। बकौल हैरी स्कूल टाइम से ही वह फिल्मों में जाना चाहते थे। एक बार उनके टीचर व सुप्रसिद्ध रंगकर्मी जगदेव ढिल्लों ने उन्हें थिएटर व अभिनय के बारे में बताया। वह ढिल्लों के साथ थिएटर के साथ जुड़ गए। ग्रेजुएशन के बाद वह जगदेव ढिल्लों के देव लोक कला मंच के साथ जुड़े और कई नाटकों में अभिनय किया। इसके बाद हैरी मास्टर डिग्री के लिए पटियाला यूनिवर्सिटी चले गए। जहां उन्होंने एमए थिएटर व टेलीविजन में की।
हैरी का कहना है कि इसी दौरान उन्होंने कुछ लघु फिल्मों में अभिनय किया व वहीं रहकर अपने अभिनय को और निखारा। यहीं रह कर उन्होंने थिएटर व मीडिया में अंतर समझ आया। इसके बाद उनके संघर्ष का दौर शुरू हुआ और फिर कुछ नाटकों में भी उन्होंने अभिनय किया, जिनमें से डीडी पंजाबी पर चलने वाले नाटक घरां नूं परतण दा समां में उनके द्वारा निभाया गया विलेन के किरदार को काफी सराहा गया।
हैरी ने पंजाबी की हिट फिल्म निक्का जैलदार में भी अभिनय किया। इसी दौरान उन्हें संगरूर के सरकारी कॉलेज में पंजाबी के प्रोफेसर की सरकारी नौकरी भी मिल गई। हालांकि वर्तमान समय में प्रत्येक युवा का सपना सरकारी नौकरी है, लेकिन हैरी बराड़ ने 4 वर्ष तक सरकारी नौकरी करने के बाद इसे छोड़ दिया। दरअसल, वह थिएटर व अभिनय के क्षेत्र जाना चाहते थे। केसरी फिल्म में किए गए अभिनय से वह बेहद खुश हैं। हैरी बराड़ कहते हैं कि हालांकि काम की कमी नहीं है, लेकिन यदि बेहतर स्तर का काम करना है तो उसके लिए बहुत ही संभलकर चलना पड़ता है। यही कारण है कि उनका काम चाहे बहुत थोड़ा है, लेकिन उन्होंने बढ़िया काम को तरजीह दी है।
जोरा 10 नंबरिया में भी रंग जमा चुके हैं रंगदेव
सिख सैनिक भगवान सिंह का किरदार निभाने वाले रंगदेव सिंह स्कूल स्तर से ही थिएटर से जुड़ गए थे। बकौल रंगदेव जब वह गांव चैना के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते थे तो उन्हें उनके टीचर व प्रसिद्ध रंगकर्मी जगदेव सिंह ढिल्लों ने थिएटर से जोड़ा। वह 2002 में थिएटर से जुड़े और तब से लेकर अब तक जगदेव ढिल्लों के साथ काम करते आ रहे हैं। 2002 में नाटक मिट्टी ते माया में अपने अभिनय की शुरुआत करके वे लगभग 50 से अधिक नाटकों में अभिनय कर चुके हैं।
रंगदेव पंजाब के अलावा उत्तराखंड व ग्वालियर में एनएसडी पासआऊट रंगकर्मी अयाज खान के साथ भी काम कर चुके हैं। उनकी पहली पंजाबी फिल्म गत वर्ष जोरा 10 नंबरिया थी, जिसमें उन्होंने अपने सशक्त अभिनय से सभी को प्रभावित किया था, जबकि दूसरी फिल्म अक्षय कुमार की केसरी है। इसके अतिरिक्त उनके एक और पंजाबी फिल्म शीघ्र रिलीज होगी, जिसमें वह हास्य कलाकार की भूमिका में होंगे।
रंगदेव कहते हैं कि पंजाबी फिल्मों में थिएटर आर्टिस्ट को इतनी तवज्जो नहीं दी जाती, जबकि बॉलीवुड में थिएटर के कलाकारों का बोलबाला है। फिल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अक्षय कुमार के साथ काम करने का अनुभव तो अपनेआप में बड़ा था ही। साथ ही एतिहासिक फिल्म में काम करना और इस तरह के शूरवीर सिख सैनिक का किरदार निभाना अपनेआप में गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि अक्षय कुमार किसी को महसूस भी नहीं होने देते कि वे इतने बड़े स्टार हैं।
फिल्म केसरी में मोगा के पाली संधु ने निभाई दमदार भूमिका
बाघापुराना निवासी पाली संधू ने फिल्म में नारायण सिंह की दमदार भूमिका में हैं। फिल्म साल 1897 में सारागढ़ी किले में तैनात सिख रेजीमेंड के 21 सिख सैनिकों ने 10 हजार अफगानी सैनिकों को टक्कर देने वाली सच्ची घटना पर आधारित है। नारायण सिंह (पाली संधू) की जिम्मेेदारी बारूद की सांझ-संभाल व देखभाल की थी। पाली बताते हैं कि फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार के वे बचपन से ही फैन रहे हैं।
साल-2013 में पाली ग्रेजुएशन करने के बाद एमए थियेटर में करने के लिए पंजाब यूनीवर्सिटी चंडीगढ़ चले गए थे, यही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। फिल्म के कलाकारों के लिए देश के विभिन्न शहरों में अॉडीशन हुआ था, चंडीगढ़ में पाली ने अॉडीशन दिया। अक्षय के पहले से ही फैन थे, जैसे ही उन्हें चयन कर लिए जाने की सूचना मिली एेसा लगा मानो मन की मुराद पूरी हो गई हो, उन्हें अपने चहेते कलाकार अक्षय कुमार के साथ काम करने का मौका मिल गया।
पाली बताते हैं कि उन्हें 25 दिन की ट्रेनिंग दी गई थी, इस ट्रेनिंग में राइफल को लोडिंग करना, अनलोडिंग करना, चलाना आदि की ट्रेनिंग दी गई थी, ट्रेनिंग पाकर पूरी फिल्म में लगा ही नहीं कि नारायण सिंह असल फौजी है या फिर एक कलाकार। फूड एंड सिविल सप्लाई विभाग में कार्यरत रहे पाली के पिता राजवीर सिंह का काफी साल पहले निधन हो चुका है, उन्हें उनके बड़े भाई गुरलाल सिंह ने पाला है।
पाली बताते हैं कि बड़े भाई ने पिता की तरह उन्हें उनके सपने पूरे करने में सहयोग किया है, उन्हीं के कारण आज वे इस मुकाम तक पहुंच चुके हैं। पाली इससे पहले भी पंजाबी फिल्म किस्सा पंजाब, साका, जोरा दस नंबरिया में काम कर चुके हैं। पंजाबी फिल्म यारा वे, मिट्टी आने वाली पंजाबी फिल्में हैं। केसरी की सफलता के बाद पाली के हौंसले बुलंद हैं, भविष्य में सफल अभिनेता बनना चाहते हैं।
(इनपुटः मोगा से सत्येन ओझा व फरीदकोट से जितेंद्र कुमार)