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कॉलोनियों में प्रशासन का नहीं, सोसायटियों का 'राज'

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए क‌र्फ्यू के दौरान बंद किए गए कॉलोनियों के गेट अभी तक नहीं खुले हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 12:41 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 12:41 AM (IST)
कॉलोनियों में प्रशासन का नहीं, सोसायटियों का 'राज'

जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए क‌र्फ्यू के दौरान बंद किए गए कॉलोनियों के गेट अभी तक नहीं खुले हैं। इसे लेकर लगातार लोगों की शिकायतें व विवाद बढ़ते ही जा रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है। इन कॉलोनियों में रूटीन की आवाजाही तो प्रभावित हो रही है, साथ ही अगर आपात स्थित सामने आने पर बड़ा नुकसान होने का भी डर बना हुआ है।

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सभी अधिकारी यह तो मान रहे हैं कि कॉलोनियों में गेट लगाना और इसे बंद करके जनता का रास्ता रोकना गलत है, लेकिन इन्हें खुलवाने के लिए कोई एक्शन नहीं ले रहा है। इस समय शहर में 50 से ज्यादा कॉलोनियों के गेट बंद है। इनमें से कई कॉलोनियां तो मुख्य मार्ग से सटी हैं और यहां पैदल व दोपहिया वाहनों का काफी आवागमन रहता है। गेट बंद होने के कारण समाचार पत्र विक्रेताओं, सब्जी-फल विक्रेताओं, दूध देने के लिए आने वालों को भी आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते कई बार तो गेट पर विवाद भी हो चुका है।

इन इलाकों में परेशानी अधिक

सूर्या एंक्लेव, विजय नगर, ग्रीन पार्क, जेपी नगर, न्यू विजय नगर आदि कॉलोनियां शहर की प्रमुख सड़कों से सटी होने के कारण यहां समस्या अधिक हैं। ऐसे ही गोल्डन एवेन्यू, सिल्वर रेजीडेंसी, नकोदर रोड पर विर्क कॉलोनी, मोता सिंह नगर समेत कई अन्य कॉलोनियों से भी लोगों की शिकायतें आ रही हैं कि गेट बंद होने से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। लोगों का कहना है कि ये गेट कॉलोनी के लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए हैं, लेकिन इन्हें सिर्फ रात में ही बंद रखा जाए। क‌र्फ्यू के बाद से ये गेट दिन में भी बंद रहते हैं। कहीं आना-जाना हो तो कभी गेट की चाबी नहीं मिलती और कभी गेटमैन ही गायब रहते हैं। कई बार तो विवाद भी हो चुके हैं। ऐसे में जनता बार-बार यह मांग कर रही है कि कॉलोनियों के गेट खोले जाएं।

लोगों की शिकायतें लगातार बढ़ रही

हरबंस नगर में रहने वाले इंद्रपाल और एकता नगर में रहने वाले कंवलजीत सिंह ने कहा कि कई बार ऐसा हुआ कि किसी इलाके में जाने के लिए कॉलोनी के एक गेट से अंदर चले जाते हैं तो बाकी गेट बंद मिलते हैं। इससे मुड़कर वापस आना पड़ता है। यह तरीका ठीक नहीं है। सड़कें लोगों के आने-जाने के लिए है। इसे निजी प्रॉपर्टी के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ग्रीन एवेन्यू के राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि अगर कॉलोनियों में सुरक्षा के लिए गेट लगाए भी गए हैं तो यह रात में ही बंद किए जाने चाहिए। इसके खोलने का समय भी निर्धारित होना चाहिए। गेट पर हमेशा चौकीदार रहे ताकि इमरजेंसी में लोगों के लिए खोला जा सके।

आपातकालीन स्थिति में हो सकता है बड़ा नुकसान

कॉलोनियों में गेट बंद के कारण बड़ा नुकसान भी हो सकता है। अगर कहीं आगजनी की घटना होती है तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी का समय पर पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाएगा। कारण, फायर ब्रिगेड की टीम को यह पता ही नहीं होगा कि किसी इलाके में जाने के लिए कौन सा गेट खुला है और कौन सा बंद। ऐसे में समय पर नहीं पहुंच पाने पर आग के कारण नुकसान हो सकता है। ऐसा ही एंबुलेंस के मामले में भी है। एंबुलेंस के पहुंचने पर अगर गेटमैन गेट पर न हुआ और गेट समय पर नहीं खुला तो जानी नुकसान भी हो सकता है। पिछले दिनों ऐसे ही अवतार नगर में गेट बंद होने के कारण बीमार महिला को अस्पताल ले जाने में देरी हो गई थी। बाद में महिला की मौत हो गई थी।

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मेयर व निगम कमिश्नर के समक्ष उठाया जाएगा मुद्दा

नगर निगम के एसई बीएंडआर रजनीश डोगरा ने कहा कि कॉलोनियों के गेट बंद होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। लोगों की इस परेशानी को दूर करने के लिए जल्द ही मीटिग बुलाकर फैसला लिया जाएगा। सुरक्षा के लिए लगाए गेट परेशानी का कारण नहीं बनने चाहिए। उन्होंने कहा कि सोमवार को मेयर और कमिश्नर के साथ मीटिग में यह मुद्दा उठाया जाएगा। इस सबंध में एमटीपी परमपाल सिंह ने कहा कि इस बारे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। कॉलोनियों में गेट की जिम्मेदारी और फैसला सोसायटियों पर डाला गया है, लेकिन इन्हें पक्के तौर पर तो बंद नहीं किया जा सकता। गेट बंद करने और खोलने का शेड्यूल बनाया जा सकता है और गेट पर चौकीदार की उपस्थिति जरूरी है।


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