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कोरोना काल में शहर में बना महिला साइक्लिस्टों का पहला क्लब

शहर में पहली बार महिला साइक्लिस्टों ने अपना क्लब बनाकर अन्य महिलाओं को इसके साथ जोड़ रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 06:01 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 06:01 AM (IST)
कोरोना काल में शहर में बना महिला साइक्लिस्टों का पहला क्लब
कोरोना काल में शहर में बना महिला साइक्लिस्टों का पहला क्लब

संवाद सहयोगी, जालंधर : कोरोना काल में महिलाओं की सेहत को मद्देनजर रखते हुए शहर में पहली बार महिला साइक्लिस्टों ने अपना क्लब बनाकर अन्य महिलाओं को इसके साथ जोड़ रही हैं। क्लब की कोशिश है कि निगेटिव विचारों को पीछे छोड़कर पाजिटिव विचारों के साथ साइकिल चलाएं। खुद भी सेहतमंद बनें और दूसरों को भी जागरूक करें। क्लब में शहर की 15 लड़कियां जुड़ी चुकी हैं। राइड टू रोर नाम से बनाए गए क्लब की सदस्य महिला सशक्तीकरण का संदेश भी लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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क्लब की तरफ से सदस्यों को लगभग 50 से 60 किलोमीटर की दूरी को तय करने का लक्ष्य दिया जा रहा है। क्लब एक दिन पहले ही सदस्यों को संबंधित स्थान के बारे में जानकारी दे देता है कि कि अगले दिन कहां तक साइकिल चलानी है। महिलाएं शहर के विभिन्न स्थानों से ग्रुप में साइकिल पर निकलती हैं और निर्धारित स्थान पर बाकि सदस्यों से जाकर मिलती हैं। इसमें बीएमसी चौक, हवेली, एमबीडी मॉल, बीएमसी चौक, पुष्पा गुजराल साइंस सिटी, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी व अन्य स्थानों पर राइड टू रोर के सदस्य साइकिल चला कर जाती हैं। खास बात यह है कि इसमें किसी भी वर्ग व आयु की महिला जुड़ सकती है। सदस्यों को राइडिग के लिए टास्क दिया जाता है, जिसके तहत कुछ दिन पहले ही एक लड़की ने 300 किलोमीटर साइकिलिग कर अपना टास्क पूरा किया। इस ग्रुप में 10 साल की लड़कियां भी शामिल हैं।

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साइकिल इवेंट से आया यह आइडिया

राइड टू रोर की फाउंडर दिशा सचदेवा ने बताया कि वह किसी साइकिल इवेंट में भाग लेने के लिए गई हुई थीं। वहां पर उनके अलावा केवल एक ही लड़की साइकिल राइड में हिस्सा लेने के लिए पहुंची थी। यह देखकर उन्हें बड़ा अजीब लगा कि साइकिल राइडिग में लड़कियां आगे नहीं आ रही है। छानबीन करने पर उन्हें पता चला कि शहर में कई ऐसी लड़कियां है जो अपनी सेहत को लेकर साइकिल राइडिग करना चाहती है लेकिन किसी वजह से आगे नहीं आ रही हैं। दिशा ने कहा कि घरवाले साइकिल राइडिग के लिए मुझे सपोर्ट करते हैं। उनका कहना है कि लड़कियों को घर से बाहर तभी निकलने दिया जाता है जब उसके साथ कोई लड़की हो। वहीं से उनके मन में आइडिया आया कि क्यों ना एक ऐसा क्लब बनाया जाए जिसमें केवल लड़कियां ही हो। इसलिए उन्होंने राइड टू रोर क्लब बनाया।

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कोरोना काल में शुरू की थी तैयारी

दिशा सचदेवा ने बताया कि उनके साथ सबसे पहले सिमरन अरोड़ा जुड़ी। उसके बाद मनु गुप्ता, खुशी मरवाहा, सुरभि, फाउंडर सिमरन अरोड़ा , लीजा वर्मा, फाउंडर दिशा सचदेवा, विनीता गोस्वामी, मानसी, कमल, रुचि वालिया, वेनस के रूप में कारवां बढ़जा जा रहा है। क्लब को स्थापित करने की तैयारी कोरोना काल में शुरू की थी। लाकडाउन लगने के कारण क्लब स्थापित करने में देरी हो गई।

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सभी का क्लब में स्वागत

क्लब का नाम राइड टू रोर इसलिए इसलिए रखा गया ताकि इसमें शामिल होने के लिए महिलाओं के मन में यह न आए कि इस ग्रुप में शामिल होकर हमें कुछ साबित करना है या फिर कुछ बनाना है। दिशा ने बताया कि क्लब तो बनाना था लेकिन मन में एक शंका थी कि ऐसा क्या नाम रखें जिससे महिलाएं बेफिक्र निडर होकर हमारे साथ क्लब में शामिल हो। बहुत सोचने के बाद हमारे मन में राइड टू रोर नाम आया। इसमें करना कुछ नहीं है केवल शामिल होकर अपनी सेहत के प्रति जागरूक होना है वह अन्य को करना है।

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सुरक्षा रखती हैं ध्यान

क्लब ने सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा है। साइकिलिग करते समय किसी को कोई नुकसान ना पहुंचे इसलिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा राइड टू रोर प्रिट की हुई टी-शर्ट और जैकेट बनवाए गए हैं, जिसे साइकिलिग करते समय महिलाएं ग्रुप में रोड पर निकलती हैं।


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