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पंजाब में कालेजों और यूनिवर्सिटियों के शिक्षक प्रदर्शन पर, आज पढ़ाई व खेल गतिविधियां नहीं होंगी

पंजाब में शिक्षकों पर सातवां पे कमिश्न लागू न करने के विरोध में यूनिवर्सिटियों और कालेजों में पढ़ाई खेल आदि गतिविधियां आज नहीं होंगी। जिला प्रधान डा. संजीव धवन ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा।

By Vinay KumarEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 09:22 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:22 AM (IST)
पंजाब में कालेजों और यूनिवर्सिटियों के शिक्षक प्रदर्शन पर, आज पढ़ाई व खेल गतिविधियां नहीं होंगी
पंजाब में आज भी कालेजों और यूनिवर्सिटियों के शिक्षक प्रदर्शन करेंगे।

जागरण संवाददाता, जालंधर। कालेजों के शिक्षकों पर सातवां पे कमिश्न लागू न करने के विरोध में यूनिवर्सिटियों और कालेजों में पढ़ाई, खेल आदि गतिविधियां आज नहीं होंगी। क्योंकि पंजाब चंडीगढ़ कालेज टीचर यूनियन ने

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पीफैकटो के आह्वान पर यह फैसला लिया है। जिसमें जब तक सरकार कालेजों के शिक्षकों पर सातवां पे कमिश्न लागू नहीं करती तब तक कोई भी गतिविधियां व पाठ्यक्रम न यूनिवर्सिटियों और कालेजों में लागू होगा। उनका यही कहना है कि सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों को पांच साल के कार्यकाल के बाद ही पेंशन दे सकती है, तो 35 सालों तक सेवाएं देने के बाद भी पैंशन को हकदार शिक्षकों को को क्यूं नहीं।

पीसीसीटीयू के महासचिव प्रो. एसएस रंधावा ने कहा पंजाब को छोड़ कर देश के सभी राज्यों में सातवां पे कमिश्न लागू कर दिया गया है, फिर राज्य सरकार उसे क्यूं नहीं लागू कर रही है। यहां तक की पंजाब के वित्त मंत्री, मुख्यमंत्री के सामने भी इस मामले को उठाया जा चुका है। मगर इस तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उनकी यही मांग है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी खुद इस मामले को देंखे और जल्द से जल्द सातवें वेतनमान को लागू करें। सरकार की अनदेखी का खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। यही कारण है कि शिक्षक मजबूरी में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हमारे पास एजुकेशन को पूर्ण तरह से बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। जिला प्रधान डा. संजीव धवन ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा।

पंजाब सरकार द्वारा इसे लागू नहीं करने के कारण शिक्षक भी कई वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले विभाग के साथ उनकी चर्चा में प्रतिक्रिया सकारात्मक थी लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। शिक्षा मंत्री परगट सिंह और शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार से मुलाकात की थी, जहां वे शिक्षकों की जायज मांगों को मानने के लिए तैयार हो गए, लेकिन कुछ भी निर्णायक नहीं निकला। सरकार और उच्च शिक्षा विभाग का उदासीन रवैया इतने प्रतिभाशाली लोगों के पंजाब छोड़ने का कारण है।


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