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पंजाब में अध्यापकों ने अनिश्चितकाल के लिए बंद की शिक्षा, खेल व पाठ्यक्रम गतिविधियां, 7वें वेतन आयोग को लागू करने की मांग

पंजाब के सभी यूनिवर्सिटिज और कालेजस में शिक्षा गतिविधियां बंद रहेंगी। कालेजों के शिक्षकों की यही मांग है कि जब तक सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं करती वे संघर्ष के राह पर चलेंगे। अध्यापकों की तरफ से डीएवी लायलपुर खालसा कालेज और एचएमवी में रोष व्यक्त किया गया।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 03:53 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 03:53 PM (IST)
पंजाब में अध्यापकों ने अनिश्चितकाल के लिए बंद की शिक्षा, खेल व पाठ्यक्रम गतिविधियां, 7वें वेतन आयोग को लागू करने की मांग
जालंधर में डीएवी कालेज के बाहर धरने पर बैठे शिक्षक।

जागरण संवाददाता, जालंधर। पंजाब में सभी यूनिवर्सिटिज और कालेजस में शिक्षा, खेल गतिविधियां, सह पाठयक्रम गतिविधियां अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगी। कालेजों के शिक्षकों की यही मांग है कि जब तक सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं करती, वे संघर्ष के राह पर चलेंगे। सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों को पांच साल के कार्यकाल के बाद ही पेंशन दे सकती है, जबकि एक शिक्षक 35 सालों तक सेवाएं देने के बाद भी पेंशन को हकदार क्यूं नहीं। इसी बात को लेकर विभिन्न कालेजों के आगे पीसीसीटीयू से जुड़े कालेजों के शिक्षकों ने अपने-अपने कालेजों को आगे सरकार के खिलाफ चार घंटे रोष व्यक्त कर नाराजगी जाहिर की। अध्यापकों की तरफ से डीएवी, लायलपुर खालसा कालेज और एचएमवी में रोष व्यक्त किया गया।

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शिक्षकों को कहना है कि पंजाब को छोड़कर पूरे देश में 7वां वेतन आयोग लागू कर दिया गया है। एक महीने से 196 कालेजों के प्रोफेसर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के मेन गेस्ट हाउस के सामने भूख हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि सातवें वेतनमान को पंजाब के प्रोफेसरों और शिक्षकों के लिए पंजाब सरकार के द्वारा लागू किया जाए। केंद्र सरकार द्वारा 2016 से लागू किए गए वेतनमान को पंजाब सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है।

पीसीसीटीयू के महासचिव प्रो. एसएस रंधावा ने कहा कि पूरे मामले को लेकर पंजाब के वित्त मंत्री के सामने स्पीकर और यहां तक ​​कि मुख्यमंत्री के सामने भी मामला उठाया गया है। इसके बावजूद अभी तक सरकार की ओर से केवल खोखले आश्वासन ही मिले हैं। उच्च शिक्षा आयोग के सचिव के साथ शिक्षकों की एक बैठक भी हुई जो कि बेनतीजा रही। पंजाब कैबिनेट ने इसका हल निकालने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया। प्रोफेसरों की मांग है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी खुद इस मामले को देंखे और जल्द से जल्द सातवें वेतनमान को लागू करें। सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मांगों की अनदेखी के कारण शिक्षक मजबूरी में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हमारे पास एजुकेशन को पूर्ण तरह से बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नही बचा है।

जिला प्रधान डा. संजीव धवन ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा। पंजाब सरकार द्वारा इसे लागू नहीं करने के कारण शिक्षक भी कई वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले विभाग के साथ उनकी चर्चा में प्रतिक्रिया सकारात्मक थी लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। शिक्षा मंत्री परगट सिंह और शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार से मुलाकात की थी, जहां वे शिक्षकों की जायज मांगों को मानने के लिए तैयार हो गए, लेकिन कुछ भी निर्णायक नहीं निकला। सरकार और उच्च शिक्षा विभाग का उदासीन रवैया इतने प्रतिभाशाली लोगों के पंजाब छोड़ने का कारण है।


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