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Pulwama Terror Attack: पंजाब के बलिदानी सुखजिंदर के नन्‍हे बेटे की बातें आसुुओं संग देती हैं गर्व

Pulwama Terror Attack दो साल पहले जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में तरनतारन के सुखजिंदर सिंह भी देश के लिए बलिदान हो गए थे। उनके परिवार के पास बस वीर सपूत की यादें रह गईं हैं। सुखजिंदर के मासूम बेटे में अभी से पिता की तरह जोश दिखता है।

By Sunil kumar jhaEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 12:03 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 02:27 PM (IST)
Pulwama Terror Attack: पंजाब के बलिदानी सुखजिंदर के नन्‍हे बेटे की बातें आसुुओं संग देती हैं गर्व
Pulwama Terror Attack: शहीद सुखजिंदर सिंह की फाइल फोटो और उनका मासूम बेटा।

तरनतारन, [धर्मबीर सिंह मल्हार]। Pulwama Terror Attack : दो साल पहले पुलवामा आतंकी हमले में बलिदान हुए सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन के हेड कांस्टेबल सुखजिंदर सिंह के ढाई साल के मासूम बेटे की तोतली बातें आंसू के साथ ही गर्व से भर देते हैं। ढा़ई साल गुरजाेत का मासूम खेल-खेल में रंगों में दौड़ रहे बहादुर पिता के खून का अहसास देता है। वह घर के आंगन में खिलाैने वाली पिस्‍तौल से खेलते हुए कहता है, 'मैं वी डैडी वांग देश दी सेवा करांगा। एह मेरी बंदूक दुश्मनां दा खात्मा करण लई ए। ( मैं भी डैडी की तरह देश की सेवा करुंगा। यह मेरी बंदू‍क दुश्‍मनाें का खात्‍मा करने के लिए है।)'

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सुखजिंदर जब देश पर कुर्बान हुए थे तो गुरजोत करीब छह माह का था। पिता को उसने तस्‍वीरों से ही पहचाना है। पिता काे पास नहीं देखकर वह अपनी मां से उनके बारे में पूछता है। मां के यह कहने पर कि वह देश की सेवा और दुश्‍मनों का खात्‍मा करने गए हैं ताे नन्‍हा बालक अपनी खिलाैने वाली पिस्‍तौल ले आता है और खेलते हुए थी वीरता की झलक दिखा जाता है।

गुरजोत दे डेडी, तूहानूं बिछड़ेयां दो साल लंघ गए, तुहाडी याद खून दे आंसू रुलांदी ए

सुखजिंदर की पत्‍नी सरबजीत कौर का असमय ही अपना सुहाग उजड़ जाने का दर्द अब भी उभर आता है। पति को याद करते हुए वह कहती है, ' गुरजोत दे डेडी, तूहानूं बिछड़ेयां दो साल लंघ गए णे। पर तुहाडी याद मैनूं खून दे आंसू रुलांदी ए। तुहाडा गुरजोत बार-बार एही पुछदा ए कि डेडी क्यों नईं आउंदे। उस दी एस गल्ल दा ओस वेले मेरे कोल कोई जवाब नयी हुंदा। (गुरजोत के डैडी, आपको बिछड़े दो साल हो गए। लेकिन आपकी याद मुझे खून के आंसू रुलाती है। आपका गुरजाेत बार-बार यही पूछता है कि डैडी क्‍यों नहीं आते हैं। उसकी इस बात का मेरे पास कोई जवाब हाेता।)'

गांव गंडीविंड धत्तल में बेटे फोटो के साथ पिता गुरमेज सिंह, मां हरभजन कौर । साथ में  पत्‍नी सरबजीत कौर व मासूम गुरजोत सिंह। (जागरण)

यादों के सहारे जी रहा गांव गंडीविंड निवासी पुलवामा शहीद सुखजिंदर सिंह का परिवार

जिले के गांव गंडीविंड धत्तल निवासी सुखजिंदर सिंह 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में शहादत को प्राप्त हुए थे। उस घटना को आज दो वर्ष बीत गए, लेकिन परिवार के पास यदि कुछ है तो बस शहीद की वर्दी वाला ट्रंक और उनसे जुड़ी यादें हैैं, जिनके सहारे वे जीवन व्यतीत कर रहे हैैं। दैनिक जागरण की ओर से जब शहीद के परिवार से बातचीत की गई तो उस समय माहौल काफी भावुक हो गया। सुखजिंदर का ढाई साल का बेटा गुरजोत हाथ में शहीद पिता की फोटो लिए निहार रहा था। फिर वह खिलौना पिस्तौल लेकर घर के आंगन में खेलते हुए जो बातें अपनी ताेतली जुबान में बोलने लगा उसने इस संवाददाता सहित वहां मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू ला दिया।

पोते की मासूम बातों से छलक उठती हैं दादी हरभजन कौर की आंखें

पोते की मासूम बातें सुनकर शहीद सुखजिंदर की बुजुर्ग मां हरभजन कौर की आंखें भी छलक उठीं। भरे मन से पति गुरमेज सिंह उन्हें दिलासा देते हैैं। सुखजिंदर के पिता गुरमेज बताते हैैं, 'शहादत से एक दिन पहले सुखजिंदर ने परिवार से फोन पर बातचीत की थी, उसी को याद बनाकर हम वक्त गुजार रहे हैं।

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पंजाब सरकार ने शहीद के परिवार को घोषित वित्तीय राशि दे दी थी। गांव के स्कूल का नाम भी पुलवामा शहीद सुखजिंदर के नाम पर रखा गया है। उनके नाम पर स्‍टेडियम भी बन रहा है, लेकिन लंबे समय से  अधूरा पड़ा है। उस समय खडूर साहिब के तत्‍कालीन सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने स्टेडियम के लिए जो 20 लाख रुपये दिए थे, उससे दो एकड़ जमीन में स्टेडियम का निर्माण शुरू किया गया। बाद में न तो सरकार ने राशि दी और न ही स्टेडियम पूरा हो पाया। शहीद के नाम पर यादगारी गेट भी एक सपना बनकर रह गया है।

मां का दर्द: शहादत पर लोगों ने आंसू बहाए, बाद में कोई सुध नहीं ली

बलिदानी सुखजिंदर सिंह की मां हरभजन कौर कहती हैं कि उनके पुत्र की शहादत पर सैकड़ों लोगों ने आंसू बहाए। सरकारी अधिकारी और सियासी नेता कई वादे करके गए, लेकिन बाद में किसी ने सुध नहीं ली। प्रशासन के पास इतनी समझ भी नहीं कि 26 जनवरी या 15 अगस्त के मौके पर शहीद बेटे के नाम पर कोई सम्मान ही दे दिया जाए।

वादे पर बेरुखी, नहीं मिली पत्‍नी को उचित नौकरी

शहीद सुखजिंदर की पत्‍नी सरबजीत कौर को पंजाब सरकार ने सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उनको स्कूल में दर्जा चार कर्मी की नौकरी देने की आफर की गई। इसे सरबजीत ने यह कहते ठुकरा दिया कि शहीद की पत्‍नी को अगर यह नौकरी शोभा देती है तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हें बताएं। सरबजीत ने बताया कि दर्जा चार की नौकरी उन्होंने ठुकरा दी थी। इसके बाद शिक्षा विभाग में लेबोरटरी असिस्टेंट की नौकरी के लिए इंटरव्यू हो चुका है, परंतु शहीद की दूसरी बरसी आने के बावजूद अब तक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिल पाया।

कुर्बानी नजरअंदाज, दूसरी बरसी कल, प्रशासन नहीं मना रहा, घर में रखवाया पाठ

शहीद सुखजिंदर सिंह की दूसरी बरसी आ गई है। शायद इस बाबत या तो प्रशासन को जानकारी नहीं या फिर शहीद की कुर्बानी को नजरअंदाज किया जा रहा है। तभी तो शहीद की बरसी के लिए प्रशासन ने कोई श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं रखा। शहीद सुखजिंदर के भाई गुरजंट सिंह ने बताया कि घर में अखंड पाठ साहिब का भोग डाला जा रहा है। इसमें सरपंच अमरजीत सिंह भी सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहीद की याद में स्वागती गेट, खेल स्टेडियम दो वर्ष में न बन पाना साबित करता है कि पुलवामा शहीदों के प्रति सरकार कितनी जिम्मेदारी निभा रही है।

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