जान खतरे में डाल घर से स्कूल जा रहे मासूम, रेलवे की ओर नहीं उठाया जा रहा कदम
शहर की बेटियां फिर से हादसे के ट्रैक पर हर रोज जीवन को खतरे में डालकर स्कूल से घर व घर से स्कूल जा रहे हैं। प्रशासन व रेलवे की नींद तभी खुलती है जब हादसा होता है।
जालंधर, [सत्येन ओझा]। अमृतसर ट्रेन हादसे में बहे घड़ियाली आंसू सूखते ही शहर की बेटियां फिर से हादसे के ट्रैक पर हर रोज जीवन को खतरे में डालकर स्कूल से घर व घर से स्कूल जा रहे हैं। प्रशासन व रेलवे की नींद तभी खुलती है जब हादसा होता है। कुछ दिन सक्रियता दिखती है, उसके बाद फिर गहरी नींद में सो जाते हैं। अब न इस पर किसी सांसद या विधायक की नजर है और न ही अमृतसर हादसे के बाद कैंडल लेकर सड़कों पर रैलियां निकालते लोगों की। हादसे के बाद ही सब सक्रिय नजर आते हैं, बाद में फिर वहीं पुराना ढर्रा। सिटी रेलवे स्टेशन पर सोमवार दोपहर यहीं नजारा देखने को मिला। दोपहर 2.53 बजे शान-ए-पंजाब के प्लेटफार्म नं.2 पर पहुंचने का एनाउंसमेंट हो रहा था। ठीक उसी समय मंडी फैंटनगंज गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छुट्टी होते ही काजीमंडी की ओर जाने वाले स्कूल के लगभग 300-400 बच्चे सिटी स्टेशन के पुलिस व आरपीएफ वाले गेट से प्रवेश करते हुए तीन रेलवे ट्रैक पार करते हुए काजीमंडी की तरफ पहुंचे। स्कूल के बच्चे जिस स्थान से रेलवे ट्रैक पार करते हैं वहां यार्ड होने के कारण मालगाड़ी अक्सर बैक होकर लगती हैं।
इसके साथ ही सुपरफास्ट समेत 100 से अधिक गाड़ियों का आवागमन होता है। सिर्फ 15 दिन रही सख्ती दैनिक जागरण ने अमृतसर ट्रेन हादसे के बाद इस मुद्दे को 20 अक्टूबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अगले ही दिन आरपीएफ के जवानों ने सख्ती से बच्चों को ट्रैक पार करने से रोक दिया था। 15 दिन तो यह सख्ती रही, बाद में फिर मासूमों को उनके हाल पर छोड़ दिया। संत सिनेमा मार्केट वेलफेयर सोसायटी 29 अप्रैल 2016 को केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री को पत्र भेजकर इस समस्या से अवगत करवा चुकी है। प्रतिलिपि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रेलमंत्री मानव संसाधन विकास मंत्री, मुख्यमंत्री, स्टेशन अधीक्षक के साथ ही डिप्टी कमिश्नर व पुलिस कमिश्नर को भेजी गई थी। बाद में संस्था ने 11 स्मरण पत्र भी भेजे।
यह हो सकता है समाधान
जीएम नॉर्दर्न रेलवे को जालंधर स्टेशन के निरीक्षण के दौरान 22 दिसंबर 2017 को उन्हें भी मौके पर समस्या से अवगत करवाया गया था। जीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कंडम पड़े रेलवे के फुट ओवरब्रिज को काजीमंडी की तरफ एक्सटेंड करने का सुझाव दिया। इंजीनियरिंग ब्रांच ने इस पर 2-3 लाख रुपये खर्च का अनुमान लगाया था। ड्राइंग भी तैयार कर ली गई थी, लेकिन प्रस्ताव डीआरएम फिरोजपुर के पास फाइलों में जाकर डंप हो गया।
स्थायी हल निकाला जाएगा
आरपीएफ के इंस्पेक्टर पीके वर्मा का कहना है कि हमारे पास स्टाफ की कमी, नियमित रूप से जवान तैनात नहीं कर सकते आरपीएफ के पास स्टाफ की काफी कमी है। ऐसे में बच्चों की क्राॅसिंग के दौरान नियमित रूप से जवान तैनात नहीं किए जा सकते हैं। 15 दिन सख्ती की थी, अभिभावकों व स्कूल प्रबंधन को अवेयर किया था, तब तक सब ठीक रहा। अब फिर से वही स्थिति है, लेकिन इसका स्थायी हल तो निकालना ही पड़ेगा।
समस्या की लिखित जानकारी दे दी है: स्टेशन अधीक्षक
स्टेशन अधीक्षक आरके बहल का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई डीआरएम स्तर से होनी है, उन्होंने समस्या की लिखित जानकारी दे दी है।