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निजी अस्पतालों को रोशन कर रहे स्पेशलिस्ट डॉक्टर

हालाकि जालंधर, लुधियाना, पटियाला, अमृतसर व मोहाली के जिला अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के तकरीबन सभी पद भरे है, जबकि अन्य जिलों में भारी कमी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 11:24 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 11:27 AM (IST)
निजी अस्पतालों को रोशन कर रहे स्पेशलिस्ट डॉक्टर
निजी अस्पतालों को रोशन कर रहे स्पेशलिस्ट डॉक्टर

जगदीश कुमार, जालंधर : राज्य सरकार भले ही लोगों को बेहतर सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे कर रही है, लेकिन वह लोगों व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का विश्वास नहीं जीत पा रही है। स्पेशलिस्ट डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने से हाथ पूरी तरह पीछे खींच रहे हैं। अधिक वेतन व सुविधाओं के लिए डॉक्टर निजी अस्पतालों को रोशन कर रहे हैं। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में माहिर डॉक्टरों की कमी के चलते लोग निजी अस्पतालों में मंहगा इलाज करवा रहे हैं। अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल के बाद काग्रेस सरकार भी सरकारी अस्पतालों में माहिर डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं कर पा रही है। सेहत विभाग ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में 513 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भर्ती के लिए 27 जुलाई, 3 व 4 अगस्त 2018 को वॉक इन इंटरव्यू ली थी। तीन दिन की इंटरव्यू के बाद 282 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का नाम ही सूची में आया। हालाकि जालंधर, लुधियाना, पटियाला, अमृतसर व मोहाली के जिला अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के तकरीबन सभी पद भरे है, जबकि अन्य जिलों में भारी कमी है। एक्सरे व स्कैन करने वाले नहीं पहुंचे

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वॉक-इन-इंटरव्यू में एक्सरे व स्कैन करने के माहिर रेडियोलॉजिस्टों की भारी कमी है। राज्य में कुल पद 69 है और इनमें से 46 खाली पड़े हैं। इंटरव्यू में केवल तीन डॉक्टरों का नाम ही सूची में आ पाया। जनरल सर्जरी के 242 पदों में से 64 खाली और 26 डॉक्टर मिले। महिला रोग माहिरों 38 में से 16 तथा बाल रोग 121 में से 25 डॉक्टर मिले।

कम वेतन और अधिक मानसिक तनाव

पीसीएमएस स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रदेश प्रधान डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों में पिछले दो दशक से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी पूरी नही कर पाई। सरकारी अस्पताल में नौकरी करने पर नए स्पेशलिस्ट डॉक्टर को करीब 72 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है, जबकि निजी अस्पतालों में इससे दोगुणा वेतन मिल जाता है। पीसीएमएस डॉक्टरों को सरकार ने भले ही क्लास वन श्रेणी में रखा है, लेकिन उन्हें सुविधाएं नाममात्र ही मिलती है। मरीजों की जाच व इलाज करने के मुकाबले वीआईपी ड्यूटी व प्रबंधकीय कायरें में अधिक समय खराब करते है। इसके अलावा डॉक्टरों को जल्दी तरक्की नहीं मिलती और तबादले के बादल हमेशा छाए रहते हैं। सेवाओं की पूरी तस्वीर देखने के बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टर सरकारी नौकरी ज्वाइन करने से कतराते है।

सरकारी अस्पतालों में की जाएगी स्टाफ की कमी पूरी

राज्य के सेहत मंत्री ब्रह्मं मोड्क्षहदरा का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के अलावा अन्य स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए प्रक्त्रिया शुरू है। यह प्रक्त्रिया इस माह के अंत तक पूरी हो जाएगी। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए पूरे प्रयास जारी है। वहीं 306 जनरल ड्यूटी मेडिकल अफसरों की भर्ती की जाएगी, ताकि मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टर की सुविधा मिल सके।

स्पेशलिटी मंजूरशुदा पद खाली पद भरे गए

एंस्थीसिया 138 60 44

ईएनटी 48 14 27

जनरल सर्जरी 242 64 26

गायनीकलोजिस्ट 254 38 16

मेडिसन 253 69 26

आप्थोमोलॉजी 75 13 17

आर्थोपीडिक्स 83 21 30

पैथोलॉजी 95 14 28

पीडियाट्रिक्स 290 121 25

साइक्त्रेटी 80 30 23

रेडियोलाजी 69 46 03

स्किन एंड वीडी 37 12 16

टीबी एंड चेस्ट 32 11 02

कुल 1696 513 282


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