कांग्रेस छोड़ पूर्व जेल मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर और बेटा दमनवीर शिअद (संयुक्त) में शामिल, भाजपा को मिल सकता है फायदा
सरवन सिंह फिल्लौर छह बार के विधायक रहे हैं और कांग्रेस में अपनी उपेक्षा को लेकर उन्होंने अपने बेटे दमनवीर सिंह फिल्लौर के साथ सोमवार को कांग्रेस छोड़ दी। उनका यह कदम शिअद (संयुक्त)-भाजपा-पीएलसी (पंजाब लोक कांग्रेस) गठबंधन के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।

जासं, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में पूर्व जेल मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर और बेटे दमनवीर सिंह फिल्लौर ने कांग्रेस छोड़ दी है। वे शिअद-संयुक्त में शामिल हो गए हैं। उनका यह कदम शिअद (संयुक्त)-भाजपा-पीएलसी (पंजाब लोक कांग्रेस) गठबंधन के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है। नए घटनाक्रम को मुख्य रूप से दोआबा क्षेत्र में पंजाब कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। यहां फिल्लौर परिवार का काफी राजनीतिक दबदबा है।
सरवन सिंह फिल्लौर छह बार के विधायक रहे हैं और कांग्रेस में अपनी उपेक्षा को लेकर उन्होंने अपने बेटे दमनवीर सिंह फिल्लौर के साथ सोमवार को कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल-एस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम से गठबंधन को दोआबा क्षेत्र में 5-6 सीटों का फायदा होना तय है। गौरतलब है कि सरवन सिंह फिल्लौर पहले अकाली दल (बादल) के साथ थे, जिसे उन्होंने 2016 में कांग्रेस में शामिल होने के लिए छोड़ दिया था।
पार्टी में उनका स्वागत करते हुए सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि सरवन सिंह फिल्लौर और दमनवीर सिंह फिल्लौर बीते कई दशकों से उत्पीड़ित वर्गों के उत्थान के लिए काम करते आए हैं। उन्होंने पिछले कई सालों में दिन-रात दोआबा के लोगों, विशेष रूप से फिल्लौर के लोगों की सेवा की है। ढींडसा ने कहा कि फिल्लौर जैसे नेताओं को उनकी कड़ी मेहनत के बावजूद कांग्रेस में कोई स्थान और सम्मान नहीं मिला। कांग्रेस के नेताओं की केवल पंजाब और उसके संसाधनों का शोषण करके पैसा बनाने में रुचि है। शिअद-संयुक्त में उनकी आमद से दोआबा क्षेत्र और एससी वर्ग में गठबंधन मजबूत किया जाएगा।
सरवन सिंह फिल्लौर ने कहा कि कांग्रेस और अकाली दल (बादल) जैसी सभी पार्टियां ड्रग, रेत और परिवहन माफियाओं के साथ हाथ मिला रही हैं। इन्होंने राज्य के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। हम इन हालात को बदलने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने माफिया संस्कृति, भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने की कोशिश की और बिगड़ती कानून व्यवस्था और फिल्लौर में विकास की कमी जैसे मुद्दों को लगातार उठाया लेकिन न तो कांग्रेस और न ही केंद्रीय नेतृत्व समस्याओं को हल करने के लिए तैयार था। इससे लोगों के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती रहीं। इसलिए हमारे पास पार्टी से इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।
दमनवीर सिंह फिल्लौर, जिन्होंने फिल्लौर में ड्रग व्यापार के खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू किया था, ने खुलासा किया कि उन्होंने पीपीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, राज्य के कैबिनेट मंत्री परगट सिंह और कई अन्य नेताओं और अधिकारियों को भी लिखा और एक ज्ञापन दिया ताकि रेत और ड्रग माफियाओं के खिलाफ किसी जांच का आदेश दिया जा सके लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। दमनवीर सिंह फिल्लौर ने कहा कि विक्रमजीत चौधरी को फिल्लौर से कांग्रेस का टिकट दिया गया, बावजूद इसके कि चौधरी परिवार लगातार 3 बार चुनाव हार चुका है।
Edited By Pankaj Dwivedi