श्री गणेश चतुर्थी पर 120 वर्ष बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें पूजा और स्थापना का शुभ मुहूर्त
श्री गणेश चतुर्थी उत्सव 13 सितंबर से शुरू होकर 23 सितंबर तक चलेगा। इस बार खास बात यह है कि 13 सितंबर को ही गुरु-स्वाति योग भी बन रहा है।
जालंधर [जेएनएन]। रिद्धि सिद्धि के दाता श्री गणेश चतुर्थी उत्सव 13 सितंबर से शुरू होकर 23 सितंबर तक चलेगा। इस बार खास बात यह है कि 13 सितंबर को ही गुरु-स्वाति योग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक यह अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग करीब 120 वर्ष के बाद बनने जा रहा है।
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इस दिन श्री गणेश की मूर्ति को प्रतिष्ठापित करना अति शुभ है। इस योग में घर में बने मंदिर में भी मूर्ति स्थापित करना शुभ माना जाता है। इस दिन वीरवार होने से यह देवताओं के गुरु का दिन है। इसलिए इस नक्षत्र और वार में रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश की स्थापना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
श्री मेला राम मंदिर सदा गेट के प्रमुख पुजारी पंडित भोलानाथ द्विवेदी का कहना है कि शुभ नक्षत्र में श्री गणेश का आगमन सर्वत्र शुभ फल प्रदाता माना गया है। भाद्रपद मास की चतुर्थी पर इस प्रकार का संयोग करीब 120 वर्षों बाद बना है।
उन्होंने बताया कि चतुर्थी तिथि के देवता भगवान गणेश हैं, जो रिद्धि-सिद्धि प्रदान करते हैं। बृहस्पति जिन्हें ज्ञान का प्रदाता माना गया है। वायु देवता जो मनुष्य में पंच प्राण को संतुलित रखते हैं। इस दृष्टि से ज्ञान बुद्धि का संतुलन कार्य में सिद्धि प्रदान करता है। वहीं, गुरु स्वाति योग में दस दिवसीय गणेशोत्सव में विधिवत पूजा मानोवांछित फल प्रदान करने वाला रहेगा।
यह है स्वाति नक्षत्र का महत्व
वैदिक पंचांगों के मुताबिक चतुर्थी तिथि के दिन गुरु-स्वाति संयोग होने से गणेश जी की स्थापना सुख-समृद्धि के साथ सर्व सिद्धिदायक भी होती है। इस बारे में प्राचीन श्री गोपीनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी तथा ज्योतिषाचार्य पंडित दीनदयाल शास्त्री का कहना है कि 27 नक्षत्रों में स्वाति नक्षत्र का स्थान 15वां है। इसे शुभ और कार्यसिद्ध नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र के अधिपति देवता वायुदेव होते हैं। इस नक्षत्र के चारों चरण तुला राशि के अंतर्गत आते हैं जिसका स्वामी शुक्र है। शुक्र धन, संपदा, भौतिक वस्तुओं और हीरे का प्रतिनिधि ग्रह है।
श्री गणेश मूर्ति स्थापना व पूजा का शुभ मुहुर्त
- तिथि : 13 सितंबर
- समय : सुबह 11 बजकर 09 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक।
- कुल अवधि : 2 घंटे 26 मिनट
श्री गणेश पूजा विधि
- गणेश के दौरान शुद्ध आसन पर बैठने से पहले सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर लें।
- पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि के साथ पूजा शुरू करें।
- भगवान गणेश को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।
- भगवान गणेश भगवान को लड्डू बहुत पसंद हैं। उन्हें देशी घी से बने लडुडुओं का प्रसाद अर्पित करें।
- श्री गणेश के दिव्य मंत्र ॐ श्री गं गणपतये नम: का 108 बार जाप करें।
- श्री गणेश के अलावा भगवन शिव व गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा करें।
- शास्त्रानुसार श्री गणेश की पार्थिव प्रतिमा बनाकर उसे प्राण प्रतिष्ठित कर पूजा-अर्चन के बाद विसर्जित करने कि परम्परा है। जिसे पूजा खत्म होने के बाद उत्साहपूर्वक विसर्जित करना चाहिए।