शहर दरबार: पुलिसवालों की राजनीति के आगे नेता फेल और नए प्रधान से भाजपा में हलचल
आजकल शहर में पुलिस का बदला चर्चा में है। खासकर नेताओं में पुलिस की राजनीति की खूब बात हो रही है।
जालंधर, जेएनएन। पुलिस प्रशासन की वे खबरें जो आप तक नहीं पहुंची, उन्हें अपने चुटीले अंदाज में संजोया है हमारे संवाददाता जगजीत सिंह सुशांत ने। आइए, डालते हैं एक नजर।
पुलिस का बदला
आजकल शहर में 'पुलिस का बदला' चर्चा में है। खासकर नेताओं के बीच पुलिस की राजनीति की खूब बात हो रही है। संडे मार्केट के मुद्दे पर जो हुआ वह सियासी गलियारों में लंबे समय तक चर्चा का विषय रहेगा। शिकायत निवारण समिति की मीटिंग में ट्रैफिक सिस्टम को लेकर पुलिस पर मेयर के अंगुली उठाने के कुछ घटे बाद ही पुलिस ने निगम के साथ शहर में अभियान छेड़ दिया था। पाच दिन खूब अभियान चलाया। निगम की टीम भी खासी उत्साहित हो गई और संडे मार्केट पर कार्रवाई की घोषणा कर दी गई। जब संडे आया तो पुलिस का 'बदला' सामने आ गया। पूरे मामले से अदृश्य रहे पुलिस कमिश्नर की एंट्री क्या हुई, निगम की चाल ही बिगड़ गई। इसे इत्तेफाक समझें या कुछ और कि उनके आते ही अचानक मेयर, निगम कमिश्नर के घेराव की बात उठने लगी। चर्चा यह है कि पुलिस ने सुरक्षा का हवाला दिया और हाथ पीछे खींच लिया। ..और इस तरह ले लिया बदला।
आइपीएस बनाम आइएएस
पुलिस के बदले तक ही संडे मार्केट का मसला खत्म नहीं हुआ है। मेयर की पुलिस से लड़ाई अब आइपीएस बनाम आइएएस होती जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि निगम कमिश्नर ने इसे दिल पर ले लिया है। आखिरी समय में पुलिस के कारण संडे मार्केट पर निगम कमिश्नर की रणनीति फेल हुई थी। इसमें कितनी सियासत है कितनी नहीं, यह तो वे ही जानें लेकिन सच्चाई है कि पुलिस के ढुलमुल रवैये से निगम अफसरों को मुंह लटका कर वापस जाना पड़ा था। उसके बाद से निगम अफसर शांत हैं और कार्रवाई रुकी हुई है। निगम कमिश्नर अब इस हारी हुई लड़ाई को जीतने की तरकीब ढूंढ़ रहे हैं। चर्चा है कि यह तरकीब उन्होंने ढूंढ़ भी ली है लेकिन अभी इसे गुप्त रखा हुआ है। आइएएस अफसर ने जो तरकीब ढूंढ़ी है उसके लिए पुलिस को खुद कार्रवाई के लिए डंडा उठाना पड़ सकता है। अब बस इंतजार उस दिन का है जब आइएएस अफसर अपनी चाल चलेंगे।
एक साल में एक चिट्ठी
जिला काग्रेस के प्रधान बलदेव सिंह देव ने 10 दिन पहले मंजूर हुई पदाधिकारियों की सूची से पहली चिट्ठी जारी कर दी है। प्रधान ने अपना कार्यकाल पूरा होने पर एक पदाधिकारी को यह चिट्ठी सौंपी। अब चर्चा है कि प्रधान रोज ऐसे ही एक-एक चिट्ठी जारी करेंगे तो फिर तो काम हो गया ! पंजाब काग्रेस ने 253 नाम मंजूर किए हैं। इनमें से पहला नाम अब सामने आया है। प्रधान जी ने चिट्ठी जारी करने के साथ अपने एक साल के कार्यकाल में हुए काम भी गिनाए हैं। एक तरफ प्रधान अपने काम गिना रहे हैं तो दूसरी तरफ वर्करों में यह चर्चा है कि कामकाज को लेकर प्रधान की कुर्सी भी जा सकती है। विरोधी तो पहले ही दम लगा रहे थे और अब वह भी दम लगा रहे हैं जिन्होंने प्रधान बनवाया था। खतरा है कि अगले चुनाव में प्रधान का काम उन पर ही न भारी पड़ जाए।
नए प्रधान से भाजपा में हलचल
पंजाब भाजपा अध्यक्ष पद पर अश्विनी शर्मा का नाम तय हो जाने से जालंधर की राजनीति में भी उथल-पुथल तय है। श्वेत मलिक के पंजाब प्रधान बनने के बाद से जो पार्टी नेता हाशिए पर चले गए थे उनमें जान आ गई है। हाशिए पर चल रहे नेता एकदम से सक्रिय हो गए हैं। वहीं श्वेत मलिक के खेमे के नेता जो पंजाब में तेजी से आगे बढ़े थे उनके माथे पर ंिचंता की लकीरें खिंचने लगी है। कइयों को अपनी कुर्सी खतरे में नजर आ रही है, खासकर जालंधर में टिकट को लेकर उठ रही नई दावेदारी भी अब मंद पड़ सकती है। इसके साथ ही उन नेताओं के लिए भी मुश्किल है जो पहले किसी भी गुट में शामिल नहीं थे, इन नेताओं को अब यह समझ नहीं आ रहा है कि अब वे क्या कदम उठाएं। न्यूट्रल रहें या फिर किसी एक गुट के साथ जुड़ जाएं।