आयुष्मान योजनाः अस्पतालों में पहुंचे मरीजों को नहीं मिला इलाज, भटकते रहे लोग jalandhar News
सरकारी और निजी अस्पतालों में बुधवार को ई-कार्ड बनाने वालों की भीड़ लगी रही लेकिन सर्वर बार-बार डाउन होने से लोग परेशान हुए।
जालंधर, जेएनएन। सरकारी तंत्र की कमजोरी से आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के लागू होने के पहले दिन ही डॉक्टरों व मरीजों को परेशानियों से जूझना पड़ा। योजना की नीतियों को लेकर सरकारी अधिकारी और निजी डॉक्टरों के साथ-साथ स्टाफ को अंधेरे में रखने के कारण मरीजों को निराशा ङोलनी पड़ रही है। मरीज दिन भर कार्ड लेकर भटकते रहे और समस्या समाधान नहीं हो सका। सरकारी और निजी अस्पतालों में बुधवार को ई-कार्ड बनाने वालों की भीड़ लगी रही, लेकिन सर्वर बार-बार डाउन होने से लोग परेशान हुए।
कार्ड बनाने के लिए मांगे पचास रुपये
104 नंबर पर आशा वर्कर के खिलाफ पचास रुपए लेकर ई कार्ड बनाने की शिकायत की गई है। जानकारी के अनुसार जालंधर से एक उपभोक्ता ने सेहत विभाग की हेल्पलाइन पर मोहल्ले की आशा वर्कर के खिलाफ ई-कार्ड बाने के एवज में 50 रुपये मांगने की शिकायत की है। शिकायत सिविल सर्जन ऑफिस में पहुंच गई है। सिविल सर्जन ने मामले की जांच के लिए डीएमसी को आदेश दिए है। योजना लागू होने के पहले दिन कैपिटोल अस्पताल, गोयल किडनी केयर, थिंद आई अस्पताल, सेंट्रल अस्पताल व दुग्गल आई अस्पताल में इलाज करवाने के लिए कई मरीज पहुंचे।
गोयल किडनी केयर में मरीज रीटा व उनके साथ बेटी इंदू।
दुग्गल आई अस्पताल में मोतिया बिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए सर्बजीत कौर मरीज पहुंची। वहां नई नीतियों के अनुसार सिविल अस्पताल से रेफर करवाने के लिए कहा गया। मरीज सिविल अस्पताल पहुंचा तो उन्हें सिविल अस्पताल में ही ऑपरेशन करवाने की बात कही। मरीज ने पहले एक आंख का ऑपरेशन दुग्गल आई अस्पताल से करवाया था और दूसरी आंख का ऑपरेशन भी वहीं करवाने का इच्छुक था। उन्होंने बताया कि योजना लागू होने के पहले ही सरकार ने उन्हें अंधेरे में रखा जिसकी वजह से उन्हें रोष है। उन्होंने कहा कि दोबारा अपनी जेब से पैसे खर्च कर ऑपरेशन निजी अस्पताल से ही करवाएंगे।
आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के सिविल अस्पताल में ई कार्ड बनवाने वालों लगा तांता।
मुकेरियां की रहने वाली रोटी (46) का आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना कार्ड बना है। उनके पित्ते और किडनी में पत्थरी होने की वजह से हालत गंभीर होने पर परिजन दसूहा के सरकारी अस्पताल से मंगलवार को सुबह गोयल किडनी केयर में दाखिल हुए। उस समय योजना लागू नही हुई थी। अपनी जेब से पैसे खर्च किए और बुधवार को योजना के तहत कैशलैस सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। सुविधा के लिए किसी भी प्रकार परेशानी नही झेलनी पड़ी है।
सरकारी अस्पतालों का कद बढ़ाने में जुटी सरकार
राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों का कद बढ़ाने की कवायद में जुट गई है। विभाग की ओर से 124 प्रकार की बीमारियों की सूची जारी है, जिनका ईलाज सरकारी अस्पतालों में होगा। सरकार की कवायद से ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में मंदी के बादल छाने के आसार पैदा हो गए हैं। सूची में मेंटल हेल्थ, आंखों की बीमारियां, महिला रोग, हड्डी रोग, जनरल सर्जरी से संबंधित इलाज सरकारी अस्पतालों में होगा। सरकारी अस्पताल में डॉक्टर व बेड न होने की वजह से रेफर करने के बाद निजी अस्पताल इलाज कर सकेंगे। सरकार की नीति से निजी अस्पतालों के डॉक्टरों में खासा रोष है। वहीं, राज्य सरकार ने जिले के सभी 14 अस्पतालों को पैनलमेंट में शामिल कर लिया है और 44 निजी अस्पतालों को पैनलमेंट का इंतजार करना पड़ रहा है। कुल 87 सरकारी व निजी अस्पतालों नें पैनलमेंट के लिए आवेदन किया है।
नर्सिंग होम एसोसिएशन प्रधान ने जताया रोष
नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रधान डॉ. राकेश विग ने सरकार की ओर से जारी सूची को लेकर रोष व्यक्त किया है। जिन कैटेगिरी में मरीजों की संख्या ज्यादा है वो सरकार ने सरकारी अस्पतालों के पाले में डाल दिए हैं। सरकार ने निजी अस्पतालों को अंधेरे में रखा है। योजना लागू होने के बाद सूची जारी की है। निजी डाक्टरों को पैनलमेंट में शामिल करने से पहले योजना से अवगत करवाना चाहिए था। सरकार निजी अस्पतालों की पैनलमेंट को भी ठंडे बस्ते में डाल कर बैठी है।
योजना के बारे डॉक्टरों को नहीं पूरी जानकारी
सेंट्रल अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. यश शर्मा का कहना है कि नई योजना के तहत राज्य सरकार ने जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ी बीमारियों के इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों को दे दी है। नॉर्मल डिलीवरी के बारे में किसी भी पैकेज में जिक्र नहीं किया है। हालांकि इस संबंध में अधिकारियों से पत्रचार किया जा रहा है।
कैपिटोल अस्पताल में तीन मरीज पहुंचे
कैपिटोल अस्पताल के चेयरमैन डॉ. सीएस परूथी ने नई लागू हुई योजना को सराहा है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में पहले दिन यश पाल, संदीप कुमार व जोगिंदर सिंह तीन मरीज इलाज के लिए पहुंचे। तीनों मरीजों की जांच पड़ताल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद मरीजों का योजना के तहत इलाज किया जाएगा। इनमें एक कैंसर का संदिग्ध मरीज भी है। उन्होंने कहा कि योजना से गरीब मरीजों को बेहतर इलाज का लाभ मिलेगा।
लॉग आइडी देने के बाद शुरू हुआ योजना का लाभ
सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर कौर चावला ने बाताया कि मंगलवार दोपहर को विभाग की ओर से पैनलमेंट में शामिल अस्पतालों को ई-मेल और लॉगइन आइडी अलाट कर दी गई थी। बुधवार को विभाग की ओर से मरीजों को सरकारी व निजी अस्पतालों में दाखिल कर इलाज करने की व्यवस्था लागू करने के लिए संदेश जारी किया था। अस्पतालों को एमओयू की शर्तों पर ही पैनलमेंट में शामिल किया था। सभी अस्पतालों को एमओयू के तहत कागजात भेजने के लिए मेल कर दी है।