एसएसपी साहब! शराब माफिया के दबाव में शाहकोट पुलिस नहीं ले रही एक्शन
एसएसपी सतिंदर सिंह ने शिकायत सुनने के बाद एसएचओ की फोन पर जमकर क्लास लगाई। उन्होंने एसएचओ से पूछा कि छठे महीने की लड़ाई हुई और केस आठवें महीने में दर्ज हुआ।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। एक तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह डीजीपी को देसी शराब माफिया पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दे रहे हैं तो दूसरी तरफ वही पुलिस उसी माफिया से साठगांठ के घेरे में है। ताजा मामला शाहकोट के हाजीपुर गांव का है। देसी शराब माफिया के दबाव में पहले तो पुलिस ने एक युवक को धारदार हथियारों से जख्मी करने वाले भाइयों पर केस दर्ज नहीं किया। फरियाद पुलिस मुख्यालय पहुंची तो एसएसपी के स्टाफ ने फरियाद बड़े साहब तक नहीं पहुंचने दी और एसएचओ को फोन करके दफ्तर से वापस लौटा दिया। इसके बाद भी बयान दर्ज करने के बदले एएसआइ ने सात हजार रुपये की रिश्वत ले ली। पुलिस ने पर्चा दर्ज तो कर लिया लेकिन आरोपितों को गिरफ्तार नहीं किया। खुद को खतरे की बात कहकर पीड़ित व्यक्ति मुंह व सिर पर लगी चोटों पर पट्टी करवाकर पत्नी के साथ सोमवार को एसएसपी दफ्तर पहुंचा। उनकी शिकायत सुनने के बाद एसएसपी सतिंदर सिंह ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
युवक की जुबानी पढि़ए- 11 टांके लगे, सवा महीने बाद पर्चा दर्ज हो पाया
गांव हाजीपुर के जसवीर उर्फ विक्की ने कहा कि उसके पिता की गांव में रहने वाले कुछ लोगों से झड़प हो गई। 25 जून को रात साढ़े आठ बजे वह घर पहुंचकर नहाने के लिए मोटर चलाने गया तो गगन व शिवा ने तेजधार हथियार से उस पर हमला कर दिया। जिससे उसके माथे व नाक पर चोटें लगी। वह शाहकोट सरकारी अस्पताल में भर्ती हो गया। डॉक्टरों की रिपोर्ट में सिर से नाक तक उसे 11 टांके लगे। उसके सिर के बीचोंबीच भी टांके लगे हैं। शाहकोट थाने से कोई उसका बयान लेने नहीं आया। फिर वह एसएसपी दफ्तर शिकायत लेकर आया तो यहां के शिकायत वाले स्टाफ ने उसे अंदर मिलवाने की बजाय चार बार एसएचओ शाहकोट से बात करवाई और फिर उसे वापस बुला लिया गया। इसके बावजूद उसके बयान लेने के बदले सात हजार रुपये की रिश्वत मांगी गई। पत्नी मोना ने यह पैसे इकट्ठा कर दिए। एएसआइ ने पैसे लेकर सिर्फ बयान दर्ज किए, पर्चा दर्ज नहीं किया। इस बाबत एएसआइ की रिकॉर्डिंग भी उनके पास है। जिसमें एएसआई कह रहा है कि उन्होंने जेल जाने वाला जुर्म नहीं किया है और चाहे तो जालंधर (एसएसपी के पास) चले जाओ।
जसवीर की पत्नी मोना ने कहा कि उनके गांव में एक व्यक्ति को पुलिस ने महीना लेकर सरेआम देसी शराब के धंधे की छूट दी हुई है। इसी कारण पुलिस विरोधी पक्ष की तरफदारी कर रही है। यहां तक कि दोनों हमलावर पुलिस के समक्ष पेश भी हुए लेकिन उन्हें कोरोना का बहाना बनाकर गिरफ्तार नहीं किया गया।
एसएसपी ने लगाई एसएचओ की क्लास, डीएसपी को जांच के आदेश
एसएसपी सतिंदर सिंह ने शिकायत सुनने के बाद एसएचओ की फोन पर जमकर क्लास लगाई। उन्होंने एसएचओ से पूछा कि छठे महीने की लड़ाई हुई और केस आठवें महीने में दर्ज हुआ। इतना समय क्यों लगा?। एसएसपी ने कमजोर केस दर्ज करने के सवाल पर कहा कि अगर उनकी चोटें ज्यादा हैं तो बनती धाराएं लगाई जाएंगी। इसके बाद उन्होंने शाहकोट के डीएसपी को मामले की जांच के आदेश दिए। शिकायतकर्ता जसवीर व उनकी पत्नी मोना को डीएसपी से मिलने को कहा है।
शराब बिक्री का पता नहीं, बयान देरी से दिए : एसएचओ
शाहकोट के एसएचओ सुरिंदर कुमार ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि आरोपित शराब बेचते हैं, इसके बारे में उन्हें नहीं बताया गया। जसवीर ने पहले बयान नहीं दिए और कहा कि राजीनामा कर रहे हैं। इसके बदले वो एक लाख रुपया मांग रहे थे। जैसे ही बयान दिए तो हमने केस दर्ज कर लिया। जिस पर शराब बिक्री के आरोप हैं, वह तो बिस्तर पर पड़ा है। हम पर लगे आरोप गलत हैं।