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अंग्रेजों से बचने के लिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने जालंधर के इस कालेज में ली थी शरण, जानिए कई रोचक बातें

उत्तर भारत में आजादी से पहले कन्याओं के लिए बने एक मात्र कन्या महाविद्यालय (केएमवी) ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने भी आजादी के संग्राम के दौरान एक बार घायल होने के बाद इसी कालेज में शरण ली थी।

By Rohit KumarEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 11:11 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 11:11 AM (IST)
अंग्रेजों से बचने के लिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने जालंधर के इस कालेज में ली थी शरण, जानिए कई रोचक बातें
कन्या महाविद्यालय (केएमवी) ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। (फाइल फोटो)

जालंधर, प्रियंका सिंह। उत्तर भारत में आजादी से पहले कन्याओं के लिए बने एक मात्र कन्या महाविद्यालय (केएमवी) ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने भी आजादी के संग्राम के दौरान एक बार घायल होने के बाद इसी कालेज में शरण ली थी। इतना ही नहीं लाहौर में 1930 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा जब भारत के पूर्ण स्वराज की घोषणा की जा रही थी तो उस मौके पर इस कालेज से छात्राओं ने जनसभा में हिस्सा लिया था।

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कालेज की स्थापना लाला देवराज ने 1886 में की थी। पांच लड़कियों से शुरू हुआ यह कालेज आज 5000 से भी अधिक छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। यहां की छात्राओं ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को एक बार अंग्रेजों से बचाया था। उनके पीछे अंग्रेजी फौज लगी थी। उस समय अंग्रेजों से बचने के लिए वह यहां पर आए थे। छात्राओं ने भगत सिंह को होस्टल के कमरे में छुपा दिया था। कालेज की डीन मधुमित का कहना है कि इसका जिक्र खटकड़कला में बने शहीद भगत सिंह संग्रहालय में भी लिखित रूप में किया गया है। कालेज में बनाई गई शहीद भगत सिंह की प्रतिमा के नीचे भी उनके यहां आने का जिक्र है। उस समय सुशीला देवी ने भगत सिंह को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। बाद में वह भी क्रांतिकारियों के साथ जुड़ गईं थीं।

पूर्ण स्वराज घोषणा में छात्राओं ने लिया था हिस्सा

1930 में लाहौर में जब पूर्ण स्वराज की घोषणा कांग्रेस सेशन में हो रही थी, तब इस कालेज की 150 छात्राओं ने उसमें हिस्सा लिया था। उस दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा जो तिरंगा लहराया गया था, उसे इन्हीं छात्राओं को पकड़ाया गया था। उसके बाद कन्या महाविद्यालय कालेज में भी आए थे।

हमने सिद्धांतों से नहीं किया समझौता : डा. अतिमा

कालेज की प्रिंसिपल डा. अतिमा शर्मा द्विवेदी का कहना है कि कालेज ने आज भी अपने मूल्यों व सिद्धांतों से समझौता नहीं किया है। हम छात्राओं में देशभक्ति व राष्ट्रभक्ति की भावना भरकर उन्हें एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए तैयार करते हैं।

महात्मा गांधी ने की थी इस कालेज की तारीफ

छात्राओं को उच्च शिक्षा देने वाली विरासत की तारीफ करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था कि गुजरात में भी कन्या महाविद्यालय माडल पर ही कालेज बनेगा। जब यह विद्यालय शुरू हुआ था, तब यहां पर छात्राएं और अध्यापक खादी पहन कर आती थी, जो परंपरा आज भी कायम है।


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