एसजीपीसी ने कहा, लाल किले पर निशान साहिब नहीं केवल झंडी लगाई गई
Violence on Red Fort सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था एसजीपीसी का कहना है कि लाल किले पर निशान साहिब नहीं लगाया गया बल्कि यह सिर्फ एक झंडी है। निशान साहिब को ऐसे नहीं लगाया जाता। इसका विधि विधान होता है।
जेएनएन, अमृतसर। Violence on Red Fort: 26 जनवरी को लाल किले पर लगाए गए केसरी झंडे को इंटरनेट मीडिया पर कुछ लोगों की ओर से निशान साहिब चढ़ाने की संज्ञा दी जा रही है। इसमें कुछ सिख बुद्धिजीवी भी शामिल हैं जो यह कर रहे हैं निशान साहिब चढ़ाने पर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है। निशान साहिब तो सेना की वर्दी पर भी इस्तेमाल होता है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी (एसजीपीसी) ने इन तमाम दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।
एसजीपीसी का कहना है कि निशान साहिब चढ़ाने की अपनी मर्यादा है और भीड़ के हिस्से में से जिस तरह से एक युवक ने केसरी झंडे को वहां टांग दिया, वह निशान साहिब नहीं बल्कि केवल एक झंडी है। एसजीपीसी के मुख्य सचिव एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि लाल किले में लगाए गए झंडे को निशान साहिब कतई नहीं कहा जा सकता। वह सिर्फ एक झंडी है। इस तरह की झंडियों को कई किसानों ने अपने हाथों में पकड़ा हुआ था।
एसजीपीसी ने कहा कि जिस ढंग से झंडी लाल किले पर बांधी गई है, उसे किसी भी तरह लाल किले पर निशान साहिब चढ़ाना नहीं कहा जा सकता। निशान साहिब चढ़ाने के लिए बकायदा विधि अपनानी पड़ती है। एसजीपीसी के प्रवक्ता कुलविंदर सिंह रमदास ने कहा कि निशान साहिब चढ़ाते समय पाठ किया जाता है। गौरतलब है कि जिस युवक जुगराज सिंह ने यह झंडा वहां लगाया, उसे कुछ अन्य लोग तिरंगा लगाने के लिए दे रहे थे, लेकिन उसकी ओर से तिरंगे को नीचे फेंक कर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया।